UP Fatehpur News: फतेहपुर में 18 करोड़ के मुआवजे की चाल ! बिना आदेश खतौनी में चढ़ाया गया नाम, लेखपाल सस्पेंड
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में चौडगरा में 18 करोड़ के मुआवजे वाली जमीन की खतौनी में एक लेखपाल ने बिना सक्षम आदेश के नाम दर्ज कर दिया. हरियाणा की कंपनी ने जमीन खरीदी थी, लेकिन राजस्व नियमों की अनदेखी कर खुद ही नाम चढ़ा दिया गया. लेखपाल को सस्पेंड कर जांच कर दी गई है.

UP Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर (Fatehpur) जिले में एक बड़ा मामला उजागर हुआ है, जिसमें एक लेखपाल ने बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के जमीन के मालिकाना हक की खतौनी में हेराफेरी कर दी. मामला करीब 18 करोड़ रुपये के मुआवजे से जुड़ा है, जिसे लेकर अब प्रशासनिक हलकों में हलचल मची हुई है. लेखपाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर जांच के आदेश दे दिए हैं.
प्रीमियम पाइप्स की 48 बीघे जमीन बिकी थी प्राइम्स पाइप को
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिंदकी तहसील के चौडगरा रेलवे पुल के निकट प्रीमियम पाइप्स लिमिटेड की कुल 48 बीघे जमीन छह महीने पहले हरियाणा की प्राइम्स पाइप एवं ट्यूब्स लिमिटेड को बेची गई थी.
इस सौदे के बाद प्राइम्स पाइप के डायरेक्टर हिमांशु बत्रा ने बैनामा के आधार पर खतौनी में नाम चढ़वाने के लिए आवेदन दिया था. लेकिन हैरानी की बात यह रही कि खतौनी में उनका नाम बिना किसी आदेश के दर्ज कर दिया गया.
लेखपाल ने खुद ही चुपचाप कंप्यूटर कक्ष में कराया नाम दर्ज
बताया जा रहा है कि लेखपाल ब्रजेंद्र ने बिना किसी सक्षम अधिकारी के लिखित आदेश के ही खुद निर्णय लेते हुए बिंदकी तहसील के कंप्यूटर कक्ष में जाकर खतौनी में हिमांशु बत्रा का नाम दर्ज करवा दिया. जानकारी के मुताबिक पूरी प्रक्रिया गुपचुप तरीके से की गई, जिससे किसी को भनक तक नहीं लगी. सूत्रों की माने तो लेखपाल ने बड़ी रकम चलते साठगांठ करके ये कारनामा किया है.
मुआवजा पाने की कोशिश में हुआ खुलासा
इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब हिमांशु बत्रा ने अधिग्रहण प्रक्रिया को तेजी से निपटाने और मुआवजा जल्द लेने के प्रयास शुरू किए. मामला जब एसडीएम रहे प्रभाकर त्रिपाठी के संज्ञान में आया तो उन्होंने तत्काल जांच कराई. प्रारंभिक जांच में ही साफ हो गया कि खतौनी में नाम चढ़ाने के लिए किसी भी स्तर से कोई अनुमति या आदेश प्राप्त नहीं किया गया था.
18 करोड़ के मुआवजे की जमीन पर खेल
यह भूमि भोगनीपुर-बिंदकी रोड और चौडगरा मार्ग के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया में है. साथ ही रेलवे ओवर ब्रिज भी इसी क्षेत्र में प्रस्तावित है. जिस हिस्से का अधिग्रहण होना है, उसका अनुमानित मुआवजा करीब 18 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. यहीं से पूरी साजिश की परतें खुलने लगीं कि खतौनी में नाम दर्ज कराने का असल उद्देश्य अधिग्रहण मुआवजे की रकम को हड़पना था.
तहसीलदार ने दी सख्त प्रतिक्रिया, लेखपाल सस्पेंड
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिंदकी के तहसीलदार अचलेश सिंह ने मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के खतौनी में न तो कोई नाम काटा जा सकता है और न ही जोड़ा जा सकता है. उन्होंने पुष्टि की कि लेखपाल ब्रजेंद्र द्वारा नियमों की अनदेखी करते हुए यह कार्रवाई की गई, जिसके चलते उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है.