Fatehpur News: सरकंडी प्रकरण में प्रधान पति और 25 हजार के इनामिया संतोष द्विवेदी को हाईकोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर रोक
फतेहपुर के सरकंडी गांव में हुए विवाद और फायरिंग मामले में भाजपा नेता व प्रधान पति संतोष द्विवेदी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हत्या के प्रयास के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर 16 फरवरी तक रोक लगा दी गई है.
Fatehpur Sarkandi News: यूपी के फतेहपुर जिले के असोथर विकास खंड स्थित सरकंडी गांव के बहुचर्चित विवाद में ग्राम प्रधान पति और भाजपा नेता संतोष द्विवेदी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बलवा और हत्या के प्रयास की एफआईआर में नामजद संतोष द्विवेदी की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.
सरकंडी गांव का विवाद क्या है, 17 दिसंबर को क्या हुआ था?

देखते ही देखते विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और दोनों पक्षों के बीच मारपीट के साथ फायरिंग भी हुई. गांव में अफरा तफरी मच गई और मौके पर मौजूद अधिकारी भी स्थिति संभालने में असहज हो गए. इस घटना ने पूरे इलाके में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल बढ़ा दी. आरोप विकास कार्यों में अनियमितता, धन के दुरुपयोग और जांच को प्रभावित करने के प्रयासों से जुड़े बताए गए.
एफआईआर में किस पक्ष पर क्या आरोप, कितने लोग नामजद
इसके अलावा दोनों पक्षों से करीब 15-15 अज्ञात समर्थकों को भी आरोपी बनाया गया. पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में बलवा, मारपीट और फायरिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए गए. बाद में प्रधान पक्ष के कुछ आरोपियों पर हत्या के प्रयास की धारा भी बढ़ा दी गई, जिसे लेकर विवाद और गहरा गया.
हत्या के प्रयास की धारा जोड़ने पर उठे सवाल
मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने प्रधान पक्ष के छह आरोपियों पर हत्या के प्रयास की धारा बढ़ाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वहीं कोटेदार पक्ष के नौ लोगों का शांतिभंग में चालान किया गया. इसी कार्रवाई को लेकर संतोष द्विवेदी की ओर से गंभीर आपत्ति जताई गई.
उनका कहना था कि एफआईआर में बाद में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ना दुर्भावनापूर्ण है और यह उन्हें फंसाने के उद्देश्य से किया गया. पुलिस की कार्रवाई को लेकर क्षेत्र में यह चर्चा भी तेज रही कि दोनों पक्षों के साथ अलग अलग व्यवहार किया गया है.
हाईकोर्ट में क्या दलीलें दी गईं, जानिए पूरी बात
भाजपा नेता संतोष द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता डीके सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में कहा गया कि एफआईआर न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इसमें लगाए गए आरोप तथ्यहीन हैं. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हत्या के प्रयास की धारा बाद में जोड़ना कानून का गलत इस्तेमाल है.
वहीं सरकारी अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत के लिए पहले ही आवेदन किया है जिसकी सुनवाई 6 जनवरी को निर्धारित है. ऐसे में गिरफ्तारी पर रोक की मांग समानांतर उपाय है जो विधि सम्मत नहीं है.
हाईकोर्ट का आदेश और आगे की सुनवाई की स्थिति
न्यायमूर्ति राजीव मिश्र और सत्यवीर सिंह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद संतोष द्विवेदी की गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को चार सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया जबकि याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय दिया गया है. अगली सुनवाई की तिथि 16 फरवरी तय की गई है. इस आदेश को संतोष द्विवेदी के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है. वहीं प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं.
