Fatehpur Triple Murder: वर्चस्व की जंग में खून से सना अखरी गांव, किसान नेता समेत तीन की हत्या से थर्राया प्रदेश
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में वर्चस्व की जंग ने एक ही परिवार के तीन लोगों की जान ले ली. किसान नेता, उनका बेटा और भाई सरेआम गोलियों से भून दिए गए. यह हत्याकांड न सिर्फ गांव को दहशत में छोड़ गया, बल्कि एक पूरा परिवार उजाड़ गया.

Fatehpur Murder News: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के हथगांव थाना क्षेत्र के अखरी गांव में मंगलवार सुबह का सूरज एक घर के लिए अमावस की रात लेकर आया. करीब साढ़े 7 बजे गांव की सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई ने ऐसा भयानक रूप लिया कि तीन लोगों की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई.
मरने वालों में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के जिला उपाध्यक्ष विनोद सिंह उर्फ पप्पू (50) उनका इकलौता बेटा अभय सिंह (21) और छोटा भाई अनूप सिंह उर्फ रिंकू (44) शामिल हैं. घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है.
सियासी रंजिश से खूनी नरसंहार तक की इनसाइड स्टोरी
बताया जा रहा है कि मृतक पप्पू सिंह वर्तमान ग्राम प्रधान रामदुलारी सिंह के बेटे थे, जिनका राजनीतिक प्रभाव गांव में बढ़ता जा रहा था. वहीं मुख्य आरोपी पूर्व प्रधान सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू बीते दो दशकों से गांव की राजनीति पर हावी रहा है. पहले पंचायत चुनाव में हार और फिर वर्चस्व खत्म होने की कड़वाहट ने इस खौफनाक वारदात की नींव रखी.
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार सुबह पप्पू सिंह अपने घर के बाहर थे तभी मुन्नू सिंह का बेटा पीयूष सिंह ट्रैक्टर से वहां से गुजरा और कहासुनी हो गई. इसके बाद पीयूष ट्रैक्टर लेकर निकल गया. तभी पप्पू, उनका बेटा अभय और भाई अनूप मोटरसाइकिल से उसके पीछे निकल पड़े.
गांव के बाहर पहले से घात लगाए बैठे सुरेश सिंह और उसके बेटे अन्य साथी हथियारों से लैस थे. पप्पू सिंह की गाड़ी रुकते ही सभी को दौड़ा-दौड़ा गोलियों से भून डाला. अचानक हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में तीनों की मौके पर ही मौत हो गई.
गोलियों की गूंज से गूंज उठा अखरी गांव
ग्रामीणों के अनुसार, हमलावरों ने पहले पप्पू को गोली मारी, फिर उसके भाई रिंकू को दौड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया. जब अभय जान बचाने के लिए भागा, तो उसे भी बेरहमी से मार दिया गया. हमलावर मौके से ट्रैक्टर छोड़कर फरार हो गए. हत्या की यह वारदात इतनी निर्मम थी कि गांववालों के रौंगटे खड़े हो गए.
गांव में तनाव, शवों को पोस्टमार्टम से रोका गया
हत्या के बाद गांव में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई. आक्रोशित ग्रामीणों ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए उठाने से मना कर दिया और धरने पर बैठ गए. उनका साफ कहना था कि जब तक सभी हत्यारों का एनकाउंटर नहीं होगा, तब तक शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
पुलिस प्रशासन अलर्ट, बड़े अफसर मौके पर पहुंचे
मामला संवेदनशील देखते हुए जिले की सभी थानों की पुलिस, पीएसी और हमीरपुर, कौशांबी, बांदा से फोर्स मंगाई गई. प्रयागराज जोन के एडीजी भानु भास्कर, आईजी प्रेम गौतम समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंचे.
ADG भानु भास्कर ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि पुरानी रंजिश के चलते यह हमला हुआ है. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है. बाकी की गिरफ्तारी के लिए दस टीमें बनाई गई हैं, जो लगातार दबिश दे रही हैं. किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा.
6 नामजद के खिलाफ हत्या का केस दर्ज
मृतक अनूप सिंह की पत्नी मनीषा सिंह की तहरीर पर मुख्य आरोपी सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू, उसका बेटा पीयूष सिंह, भूपेंद्र सिंह, विपुल सिंह, सज्जन सिंह और राहुल पाठक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.
क्या होगी बुलडोजर की कार्रवाई
जिले में तिहरे हत्याकांड को लेकर प्रशासन अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं. सूत्रों की मानें तो इस जघन्य वारदात में शामिल आरोपियों के घरों में बुलडोजर की कार्रवाई हो सकती है.
पुलिस-प्रशासन की टीमें लगातार आरोपियों को पकड़ने के लिए दबिश दे रहीं हैं. माना जा रहा है कि वारदात की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा सकता है.
परिवार की कहानी जहां अब सिर्फ सन्नाटा बचा है
जिस परिवार की पहचान कभी किसान नेता, प्रधान और सामाजिक चेतना थी, अब वहां सिर्फ मातम और खामोशी बची है. विनोद सिंह उर्फ पप्पू का बेटा अभय उनका इकलौता सहारा था. बचपन में ही मां को खो चुका अभय पिता की छांव में ही बड़ा हुआ. पप्पू ने दोबारा शादी नहीं की, ताकि बेटे को कभी कमी महसूस न हो. लेकिन अब दोनों की लाशें एक ही चिता पर जाएंगी.
छोटे भाई अनूप सिंह भी उसी हमले में मारे गए. उनके दो मासूम बेटे हैं एक स्कूल जाने की उम्र में है और दूसरा अभी गोद में है. अनूप की पत्नी मनीषा अब दो बच्चों के साथ अकेली खड़ी हैं. पति की तस्वीरों और यादों के सहारे.
गांव की मौजूदा प्रधान रामदुलारी सिंह के लिए यह त्रासदी किसी सुनामी से कम नहीं. एक मां ने अपने बेटे, पोते और छोटे बेटे को एक साथ खो दिया. कभी जनसेवा की प्रतीक रही यह महिला अब अपनी ही दुनिया के खंडहर में अकेली बच गई हैं. अखरी गांव में अब कोई भविष्य की बातें नहीं करता, वहां सिर्फ चीखें और मातम है.