Fatehpur News Today: फतेहपुर के इस हत्याकांड में 5 दोषियों को आजीवन कारावास ! मां बोलीं फांसी मिलनी चाहिए
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में सिधांव गांव में 2017 में अपहरण के बाद 18 वर्षीय रिजवान की हत्या कर दी गई थी. आठ साल बाद कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा और 60 हजार का जुर्माना लगाया है. परिवार ने फैसले पर संतोष जताते हुए फांसी की मांग की है.

Fatehpur Rizwan Murder Case: यूपी के फतेहपुर जिले के चर्चित रिजवान अपहरण व हत्या मामले में आठ साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो के अपर सत्र न्यायाधीश अजय सिंह प्रथम ने पांच आरोपितों को दोषी करार देते हुए गुरुवार को उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. सिधांव गांव के ईंट-भट्ठे मजदूर के बेटे रिजवान की हत्या ने उस समय पूरे इलाके को दहला दिया था.
अपहरण के बाद की गई थी हत्या, कुएं में छिपाया गया था शव
फतेहपुर (Fatehpur) के ललौली थाना (Lalauli Thana) क्षेत्र के सिधांव गांव में 30 जनवरी 2017 की रात करीब 11 बजे 18 वर्षीय रिजवान पुत्र हसमत घर के बाहर टहल रहा था. तभी पहले से घात लगाए बैठे आरोपितों ने तमंचे के बल पर उसका अपहरण कर लिया.
बाइक से उसे दूर ले जाकर निर्ममता से उसकी हत्या कर दी गई. उसके शव को गांव के बाहर स्थित मुन्ना सिंह के बाग में बने कुएं में छिपा दिया गया. दो फरवरी को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई और नौ फरवरी को उसका शव बरामद किया गया. इस मामले से न सिर्फ इलाके में सनसनी फैली बल्कि परिजनों की जिंदगी में भी एक लंबा संघर्ष बनकर सामने आया.
पांच दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट ने लगाया 60 हजार का जुर्माना
मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो में हुई. न्यायाधीश अजय सिंह प्रथम ने गवाहों और सबूतों के आधार पर पांच आरोपितों – भूपेंद्र सिंह उर्फ भूप रैदास, चुनका यादव, मुन्नीलाल, लाची और लक्ष्मी को दोषी करार दिया.
कोर्ट ने इन सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई और 60 हजार रुपये का सामूहिक अर्थदंड भी लगाया. अभियोजन पक्ष से शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने केस को मजबूती से प्रस्तुत किया और आठ गवाहों को परीक्षित कराया गया.
कोर्ट के फैसले पर मां की चीख, फांसी होनी चाहिए थी
कोर्ट के फैसले के बाद दिवंगत रिजवान की मां शहीदुन फफक कर रो पड़ीं. उन्होंने कहा, बेटे के कातिलों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी. मां की आंखों में वर्षों का दर्द और इंतजार छलक उठा. परिवार ने फैसले पर संतोष जताते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया.
पिता हसमत ने कहा कि ऊपरवाले के घर में देर है पर अंधेर नहीं है. आठ साल तक केस की तारीखों में उलझे इस गरीब परिवार के लिए यह फैसला राहत और न्याय का प्रतीक बन गया है.
गरीबी में जी रहा परिवार, ईंट-भट्ठे पर करते हैं मजदूरी
रिजवान के पिता हसमत और मां शहीदुन ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं. परिवार में कुल छह बच्चे हैं – पांच बेटे और एक बेटी. रिजवान सबसे बड़ा था. उसके बाद रेहान, गुफरान, इमरान और जीशान हैं. बेटी का नाम सानिया है.
मां ने मीडिया को बताया कि रिजवान मुंबई से घर लौटने के दस दिन बाद गायब हो गया था. वह अपनी चाची तजुर्निशां को छोड़ने निकला था, लेकिन फिर कभी वापस नहीं आया. उन्होंने कहा कि पड़ोस में रहने वाले ही बेटे के कातिल निकले. किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, सिर्फ पैसों के लेनदेन का मामूली विवाद था.
मुख्य साजिशकर्ता भूपेंद्र, आनंद प्रसाद के घर में रहकर रच रहा था षड्यंत्र
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में मुख्य दोषी भूपेंद्र सिंह बिंदकी कोतवाली क्षेत्र के शहबाजपुर गांव का रहने वाला था लेकिन सिधांव गांव में आनंद प्रसाद के घर में रह रहा था. जांच में सामने आया कि रिजवान और भूपेंद्र के बीच रुपये को लेकर पुराना विवाद था.
भूपेंद्र ने ही हत्या की पूरी पटकथा रची और अपने साथियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया. जानकारी के मुताबिक पहले दर्ज एफआईआर में आठ नामजद थे, जिनमें से राजू, आनंद प्रसाद और घनश्याम के नाम पुलिस ने विवेचना में हटा दिए.