Sawan 2025 Rudrabhishek: सावन में कब करें रुद्राभिषेक? पंडित जी से जानिए शुभ तिथियां और मुहूर्त
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सावन 2025 में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य पंडित गोविंद शास्त्री के अनुसार सावन के प्रत्येक दिन शिव पूजा का विशेष फल मिलता है. जानिए कब करें रुद्राभिषेक, कौन-सी तिथियां हैं शुभ और किस मुहूर्त में मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद.

Sawan 2025 Rudrabhishek Date: सावन का शुभ महीना शिव आराधना और रुद्राभिषेक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. रुद्राभिषेक करने से न केवल भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं बल्कि रोग, दोष, भय और ग्रहदोष भी दूर होते हैं. पंडित गोविंद शास्त्री के अनुसार सावन का हर दिन शिव उपासना के लिए उत्तम है, लेकिन कुछ विशेष तिथियां अधिक फलदायक होती हैं.
सावन में रुद्राभिषेक का धार्मिक महत्व
भगवान शिव को रुद्र रूप में प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक एक अत्यंत प्रभावशाली पूजा पद्धति मानी जाती है. सावन मास को शिव का प्रिय महीना कहा गया है. इस दौरान भक्तजन जल, दूध, घी, शहद, दही और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.
मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से समस्त दुख, रोग, भय, शत्रु बाधा और पापों का नाश होता है. इससे सुख-समृद्धि, संतान सुख, विवाह योग, करियर में सफलता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है.
पंडित गोविंद शास्त्री के अनुसार सावन में रुद्राभिषेक का महत्व
पंडित शास्त्री आगे कहते हैं कि, "यदि किसी कारणवश आप मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर भी शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए अभिषेक करें. यह पूरी श्रद्धा से किया गया रुद्राभिषेक उतना ही प्रभावकारी होता है."
जानिए सावन 2025 में रुद्राभिषेक की सबसे शुभ तिथियां
सावन 2025 में निम्न तिथियों को रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायक माना गया है:
- दूसरा सोमवार – 21 जुलाई 2025
- प्रथम प्रदोष व्रत – 22 जुलाई 2025
- सावन शिवरात्रि – 23 जुलाई 2025
- तीसरा सोमवार – 28 जुलाई 2025
- नाग पंचमी – 29 जुलाई 2025
- दूसरा प्रदोष व्रत – 6 अगस्त 2025
- चौथा सोमवार – 4 अगस्त 2025
- सावन पूर्णिमा – 9 अगस्त 2025
इन सभी तिथियों पर विधिपूर्वक रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य और लाभ प्राप्त होता है. पंडित शास्त्री के अनुसार इन तिथियों पर किसी अनुभवी ब्राह्मण से रुद्राभिषेक करवाना सर्वोत्तम होता है.
कौन-से मुहूर्त में करें रुद्राभिषेक?
रुद्राभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. पंडित गोविंद शास्त्री के अनुसार निम्न समय में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी माना गया है:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे तक
- प्रदोष काल: सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व से लेकर 45 मिनट बाद तक
- अमृत काल और शिव योग: पंचांग अनुसार देखें
विशेष ध्यान रहे कि राहुकाल में कभी भी रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह समय पूजा के लिए अशुभ माना जाता है.
रुद्राभिषेक से मिलते हैं कौन-कौन से लाभ?
रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से बल मिलता है. साथ ही जीवन में आने वाली बाधाएं, रोग, शत्रु, कोर्ट-कचहरी, ग्रह दोष और पारिवारिक क्लेश जैसे संकट दूर होते हैं. इससे शीघ्र विवाह, संतान प्राप्ति, धन लाभ, करियर में सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है. पंडित शास्त्री बताते हैं कि शिव की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, बशर्ते रुद्राभिषेक श्रद्धा से किया जाए.