UP Fatehpur News: फतेहपुर का असनी पुल क्यों हो गया बंद? 48 साल बाद थमी सांसें, माता संकटा से जोड़ने का है गवाह
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) फतेहपुर (Fatehpur) जिले का ऐतिहासिक असनी गंगा पुल 48 साल बाद अब खुद अपनी ही उम्र के बोझ तले दबने लगा है. सीआरआरआई की रिपोर्ट में गंभीर खामियां सामने आते ही एनएचएआई ने भारी वाहनों की आवाजाही छह माह के लिए बंद कर दी है. यातायात अब डलमऊ और बक्सर पुलों से मोड़ा गया है.

Fatehpur Asani Bridge Closed: यूपी के फतेहपुर माता संकटा के दरबार से जोड़ने वाला ऐतिहासिक असनी गेगासो गंगा पुल को बंद कर दिया गया है. अब न तो रोडवेज की रफ्तार रहेगी, न ट्रकों की दहाड़. 48 साल पुराने इस पुल की सेहत को लेकर जो आशंका थी, वह अब सच साबित हो गई है. सीआरआरआई की रिपोर्ट में पुल को असुरक्षित घोषित किया गया है. जिसके बाद एनएचएआई ने तत्काल प्रभाव से भारी वाहनों का आना-जाना रोक दिया है.
1977 में बना था पुल, अब बन गया खतरे की घंटी
असनी का यह पुल उस दौर में बना था जब फतेहपुर में गिने-चुने ही पक्के रास्ते हुआ करते थे. 1977 में बने इस गंगा पुल ने दोआबा को लखनऊ, उन्नाव और रायबरेली से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. पर बीते चार दशकों में कभी इसकी मजबूती को लेकर कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ.
जून 2025 में जब सीआरआरआई की टीम ने पुल का मुआयना किया तो अंदेशा गहराया. रिपोर्ट आने में देरी हुई, लेकिन गुजरात के पुल हादसे ने प्रशासन को झकझोर दिया. जांच रिपोर्ट तलब की गई और जो सामने आया वह चौंकाने वाला था.
अब सिर्फ दोपहिया ही होंगे पार, बाकी के लिए लंबा रास्ता
डिप्टी मैनेजर टेक्निकल अर्जुन ने बताया कि रिपोर्ट में जो कमियां सामने आई हैं, उन्हें सुधारने के लिए काम शीघ्र शुरू किया जाएगा. जब तक मरम्मत पूरी नहीं हो जाती, पुल को भारी दबाव से दूर रखना जरूरी है.
लखनऊ जाने वालों को 17 किमी लंबा रास्ता तय करना होगा
असनी पुल बंद होने के बाद सबसे ज्यादा असर फतेहपुर-लखनऊ मार्ग पर पड़ा है. अब रोडवेज की बसों समेत अन्य चार पहिया वाहनों को सातमील से डलमऊ, लालगंज होते हुए लखनऊ (Lucknow) की ओर जाना होगा. इससे कुल दूरी करीब 17 किलोमीटर बढ़ जाएगी.
इसी तरह बक्सर पुल के रास्ते से भी रायबरेली, उन्नाव और लखनऊ की तरफ यातायात डायवर्ट किया गया है. यह बदलाव दैनिक यात्रियों की जेब और समय दोनों पर असर डालेगा.
महंगाई की मार, किराया बढ़ने की भी संभावना
ज्यादा दूरी का मतलब है ज्यादा ईंधन खर्च और समय. इससे रोडवेज का संचालन महंगा पड़ेगा. विभाग ने अभी तक किराया बढ़ाने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि रोडवेज बसों का किराया बढ़ सकता है. आम यात्रियों के लिए यह दोहरी मार होगी. एक ओर लंबा सफर, दूसरी ओर महंगा किराया.
सात माह तक टेंडर-तकनीकी प्रक्रिया में फंसा रहेगा पुल
भले ही एनएचएआई ने कहा है कि पुल से छह माह तक भारी वाहन नहीं गुजरेंगे, लेकिन मरम्मत कार्य शुरू होने से पहले टेंडर प्रक्रिया और तकनीकी औपचारिकताएं पूरी होने में ही लगभग 40 दिन का समय लग जाएगा. ऐसे में यह अवधि सात माह से भी ज्यादा हो सकती है. पुल बंद होने से गांव-कस्बों को जोड़ने वाले छोटे व्यापारियों, सब्जी विक्रेताओं, स्कूली बच्चों और मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.