Fatehpur News: फतेहपुर के गाजीपुर प्रभारी की बर्बरता पर लामबंद हुए वकील और बजरंगदल ! माननीय के संरक्षण पर चल रहा थाना
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) जिले में गाजीपुर थाना प्रभारी प्रमोद मौर्या पर पीड़ितों पर लाठीचार्ज और अमानवीय व्यवहार के गंभीर आरोप लगे हैं. एक वायरल वीडियो ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. घटना के बाद इलाके में गुस्से का माहौल है और थाना प्रभारी की बर्खास्तगी की मांग उठ रही है.

Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर जिले के गाजीपुर थाने के अंदर हुए एक विवादास्पद लाठीचार्ज मामले ने पूरे जनपद में सनसनी फैला दी है. थाना प्रभारी प्रमोद मौर्या पर आरोप है कि उन्होंने न केवल थाने पहुंचे पीड़ितों के साथ अभद्रता की बल्कि उनके ऊपर लाठियां भी बरसाईं. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और घटनाक्रम को लेकर आम जनमानस से लेकर सामाजिक संगठन तक आक्रोशित हैं.
वायरल वीडियो से भड़की चिंगारी, सोशल मीडिया पर गूंजा विरोध
घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब गाजीपुर के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मोनू सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर थाने के अंदर से फेसबुक लाइव वीडियो किया. वीडियो में उन्होंने थाना प्रभारी प्रमोद मौर्या पर गुंडई करने और लाठीचार्ज कराने जैसे गंभीर आरोप लगाए.
हालांकि उस वक्त के लाइव वीडियो में मारपीट की कोई पुष्टि नहीं हो सकी. लेकिन दो दिन बाद एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पुलिसकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बर लाठीचार्ज करते साफ देखा जा सकता है. यह वीडियो सामने आते ही जिले में पुलिस के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा.
थाने का गेट बंद कर बरसीं लाठियां, घायल हुए दर्जनों लोग
विवाद उस समय और बढ़ गया जब आरोप लगाया गया कि थाना प्रभारी ने जानबूझकर थाना परिसर का गेट बंद करवा दिया और फिर भीतर मौजूद मोनू सिंह और अन्य लोगों पर लाठीचार्ज करवा दिया. इस दौरान कई लोगों को गंभीर चोटें आईं.
बताया गया कि कुछ लोगों के हाथों में फ्रैक्चर तक हो गया, लेकिन पुलिस ने किसी का भी मेडिकल नहीं कराया. घायलों को उपचार तक नहीं दिया गया. इस अमानवीय व्यवहार को लेकर आम जनता और युवा वर्ग में भारी नाराजगी देखी जा रही है.
बजरंग दल और वकीलों का विरोध, बर्खास्तगी की मांग
बजरंग दल के सह-संयोजक धर्मेंद्र सिंह जनसेवक ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि लोकतंत्र में ऐसी बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि 26 लोगों को भीषण गर्मी में पुलिस वैन में 8 घंटे तक बंद रखा गया और 10-10 लाख के मुचलकों पर जमानत दी गई. इनमें कई युवा छात्र हैं जिनकी जिंदगी तबाह कर दी गई.
धर्मेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि अगर थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती और पीड़ितों के खिलाफ दर्ज केस वापस नहीं लिए जाते तो आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.
वहीं गुरुवार को बड़ी संख्या में वकीलों ने भी जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और थाना प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
पुलिस ने 26 लोगों पर दर्ज किया था संगीन धाराओं में केस
इस पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस ने मोनू सिंह समेत 26 लोगों पर संगीन धाराओं में केस दर्ज किया था. एफआईआर में सरकारी कार्य में बाधा डालने, हंगामा करने और नारेबाजी के आरोप शामिल हैं. बताया जा रहा है कि थाना क्षेत्र के चकसरन निवासी गेंदराज ने थाने में जमीन विवाद को लेकर तहरीर दी थी.
मामले में विपक्षी भूरा उर्फ सुशील पांडेय, रिंकू पांडेय, विनय दीक्षित और आदर्श पांडेय पर केस दर्ज हुआ. आरोपियों को पकड़कर थाने लाया गया, जिसके बाद भाकियू (अराजनैतिक) से जुड़े मोनू सिंह सहित करीब 50 लोग थाने पहुंच गए और वहां हंगामा शुरू कर दिया.
जांच की बात कर रही पुलिस, संरक्षण का आरोप भी उठा
थाने में तैनात एसआई सावन कुमार पटेल की तहरीर पर जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ उनमें गिरिजाशंकर, मोनू सिंह, राहुल यादव उर्फ विकास, आदित्य पांडेय, रामू पाल, मृत्युंजय पांडेय और क्षेत्रपाल पासवान के नाम प्रमुख हैं.
सीओ होरीलाल सिंह ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और थाने के अंदर हंगामे के बाद मुकदमा लिखा गया है. वहीं जानकारों का कहना है कि गाजीपुर के थाना प्रभारी को एक प्रभावशाली माननीय का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
माननीय के संरक्षण में फर्जी मुकदमों की फैक्ट्री चला रहे हैं SHO
गाजीपुर थाने के प्रभारी प्रमोद मौर्या पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर बेगुनाहों को परेशान करने के आरोप फिर से चर्चा में हैं. हाल ही में धनसिंहपुर ग्राम पंचायत में हुई एक घटना में उन्होंने ग्राम प्रधान और उनके परिवार पर झूठे केस दर्ज कर उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया.
इस पूरी घटना का वीडियो सीसीटीवी कैमरे में कैद है, जिसमें प्रधान पक्ष की बेगुनाही साफ नजर आ रही है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि एक स्थानीय माननीय के संरक्षण में SHO प्रमोद मौर्या निरंकुश हो चुके हैं और थाने को राजनीतिक अड्डा बना दिया गया है.