Uttar Pradesh: हे भगवान ! गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं है..अधिकारी ने कहा काम नहीं रुकेगा..डीएम से शिकायत

Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) बहुआ ब्लॉक की करसवां ग्राम पंचायत में सांसद निधि से बन रही सामुदायिक बारातशाला में भारी भ्रष्टाचार उजागर होने के बावजूद काम धड़ल्ले से जारी है. घटिया ईंटें, कमजोर सरिया और अफसरों की चुप्पी ने गांव वालों को मजबूर कर दिया है कि अब भगवान से ही उम्मीद लगाएं. डीएम से शिकायत की गई, लेकिन काम अब भी चालू है.
Fatehpur Latest News: यह कोई फिल्मी सीन नहीं है, बल्कि यूपी के फतेहपुर जिले की वो असलियत है जहां गरीब गांववाले इंसाफ की भीख मांग रहे हैं और अधिकारी उनकी आंखों में आंखें डालकर कह रहे हैं "काम नहीं रुकेगा"
करसवां गांव की यह सामुदायिक बारातशाला कभी उम्मीद की नींव पर रखी गई थी, लेकिन अब यह भ्रष्टाचार की ईंटों से खड़ी होती जा रही है. शिकायतों की झड़ी लग चुकी है, लेकिन अफसरों की खामोशी और ठेकेदार की मनमानी गांववालों के घावों पर नमक बनकर गिर रही है.
फतेहपुर में भ्रष्टाचार की बारातशाला, अधिकारी सुनने को तैयार नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि नींव में सेवड़ा जैसी बेहद कमजोर ईंटें डाली गई हैं. सीमेंट इतना हल्का है कि हाथ में रगड़ो तो उड़ जाए और सरिया ऐसा कि उसे देख लोहे को भी शर्म आ जाए. लाखों रुपये की सांसद निधि से बन रही यह बारातशाला दरअसल भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बन चुकी है. स्थानीय लोगों ने जब आवाज उठाई तो शुरुआत में विभाग ने जांच का ढोंग किया, लेकिन निर्माण की रफ्तार वैसी ही बनी रही.
अवर अभियंता बोले- हां गड़बड़ी है, लेकिन नींव नहीं उखड़ेगी
हमीरपुर का ठेकेदार, फतेहपुर के अफसर और नेता का वरदहस्त
इस निर्माण का ठेका हमीरपुर के एक ठेकेदार को मिला है, जो स्थानीय अधिकारियों की शह पर घटिया निर्माण करवा रहा है. सूत्रों की मानें तो ठेकेदार पर एक स्थानीय रसूखदार नेता का वरदहस्त है, जिसके चलते कोई अधिकारी उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा. इस गठजोड़ ने ग्रामीणों के हक को लूट में बदल दिया है. अब सवाल यह है कि क्या सरकार की योजनाएं इन्हीं भ्रष्ट हाथों में दम तोड़ेंगी?
डीएम से लगाई गुहार, अब गांव वाले कर रहे धरने की तैयारी
बुधवार को करसवां गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. मांग साफ थी—काम रोका जाए और निर्माण फिर से मानकों के हिसाब से शुरू किया जाए. डीएम ने आश्वासन दिया, लेकिन निर्माण अब भी तेजी से जारी है. गांववाले अब यह कहने को मजबूर हैं—"हमने तो डीएम से भी कह दिया, अब तो भगवान ही मालिक है". अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीण धरना प्रदर्शन करेंगे.
...तो करोड़ों की योजनाओं का क्या होगा हाल?
यह मामला महज एक सामुदायिक भवन का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की पोल खोलता है. जब सांसद निधि से बनने वाली छोटी योजना में इस स्तर पर भ्रष्टाचार खुलेआम हो रहा है, तो बड़ी परियोजनाओं में कितनी लूट मचती होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं. अफसरों की चुप्पी, ठेकेदार की मनमानी और नेताओं का संरक्षण—ये वो त्रिकोण है जिसने विकास की बुनियाद को ही खोखला कर दिया है.