फतेहपुर में डेंगू विस्फोट: जरारा-ईशेपुर में बीमारी बेकाबू, लापरवाह स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल

Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर जिले के देवमई ब्लॉक के जरारा और ईशेपुर गांवों में डेंगू तेजी से फैल रहा है. मात्र तीन दिनों में जरारा गांव के 16 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि सौ से ज्यादा ग्रामीण बुखार से तड़प रहे हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और कागजों में चले खेल की वजह से गांवों की हालत बिगड़ी है.
Dengue Fever In Fatehpur: यूपी का फतेहपुर जिला इस समय डेंगू के प्रकोप से जूझ रहा है. देवमई ब्लॉक के जरारा और ईशेपुर गांवों में बीमारी ने पैर पसार लिए हैं. हालात यह हैं कि हर घर में लोग बुखार से कराह रहे हैं. रिपोर्ट बताती है कि तीन दिनों में जरारा गांव के 16 मरीज डेंगू पॉजिटिव मिले हैं, जबकि ईशेपुर में भी कई संदिग्ध मरीज सामने आए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते कदम नहीं उठाए, जबकि कागजों में सब कुछ ठीक-ठाक दिखाने का खेल चलता रहा.
जरारा गांव में डेंगू की बाढ़, हर घर में बीमार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जरारा गांव में 20 से 22 अगस्त के बीच लगातार नए मरीज सामने आए. पीएचसी देवमई की रिपोर्ट में 16 लोगों के डेंगू से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. गांव में हर घर में कोई न कोई बुखार से तड़प रहा है. बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग तक बीमारी की चपेट में हैं. इसके बावजूद विभाग की तैयारी सिर्फ कागजों तक सीमित दिख रही है. फॉगिंग और एंटी-लार्वा छिड़काव अब शुरू किया गया है, जबकि गांव पिछले पंद्रह दिन से बुखार की चपेट में था.
ईशेपुर में भी संक्रामक बुखार, डेंगू का डर बरकरार
जरारा के साथ ईशेपुर गांव में भी डेंगू का खतरा मंडरा रहा है. मेडिकल कैंप में कई लोग बुखार, खांसी और सिरदर्द से पीड़ित मिले. पांच संदिग्धों का डेंगू टेस्ट निगेटिव आया, लेकिन मलेरिया और वायरल के मरीजों की भरमार है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने दौरा किया, पर ग्रामीणों का कहना है कि यह सब दिखावे भर के लिए है. असली कार्रवाई बीमारी फैलने के बाद ही शुरू की गई, जो विभाग की ढिलाई को उजागर करती है.
ग्रामीणों का आरोप: विभाग सोता रहा, बीमारी फैलती रही
कागजों पर चलता खेल, गांवों की हालत बर्बाद
गांव में बीमारी फैलने का मुख्य कारण गंदगी और जलभराव है. जांच में सामने आया कि लगभग 30 फीसदी घरों की छतों और आंगनों में तिरपाल, टायर और ड्रम में पानी भरा मिला. इन्हीं में मच्छर पनप रहे थे. सवाल यह उठता है कि जब विभाग हर साल "स्वच्छता अभियान", "फॉगिंग अभियान" और "एंटी-लार्वा छिड़काव" के नाम पर लाखों रुपये खर्च करता है, तो गांवों की ऐसी हालत क्यों है? ग्रामीणों का कहना है कि ज्यादातर काम कागजों में पूरे दिखा दिए जाते हैं, जमीनी हकीकत नजरअंदाज कर दी जाती है.
हाई रिस्क एरिया घोषित, अब जागा विभाग
जब हालात बिगड़े और मीडिया में खबरें आईं, तब विभाग हरकत में आया. जरारा और ईशेपुर को हाई रिस्क एरिया घोषित कर लगातार मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं. जांच और दवाइयों का वितरण हो रहा है. एसीएमओ डॉ. इस्तियाक ने कहा कि मरीजों को जरूरत पड़ने पर पीएचसी और सीएचसी रेफर किया जा रहा है. लेकिन ग्रामीण पूछ रहे हैं कि क्या विभाग का काम सिर्फ बीमारी फैलने के बाद कार्रवाई करना है? अगर समय रहते कदम उठाए जाते तो आज गांवों की हालत इतनी भयावह नहीं होती.