Fatehpur News Today: फतेहपुर जेल में गांजा सप्लाई करते रंगेहाथ पकड़ा गया कांस्टेबल ! सीसीटीवी में कैद, हुआ सस्पेंड
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) जिला कारागार से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल अनिल यादव को जेल के भीतर कैदियों को गांजा सप्लाई करते हुए CCTV कैमरे ने पकड़ लिया. आरोपी के पास से चार पैकेट जब्त कर उसे तत्काल निलंबित किया गया और कौशांबी जिला जेल में अटैच कर दिया गया है.

Fatehpur News Today: यूपी के फतेहपुर जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर उस वक्त बड़ा सवाल खड़ा हो गया जब ड्यूटी पर तैनात एक कांस्टेबल खुद नशा तस्करी में लिप्त पाया गया. जेल परिसर के भीतर सीसीटीवी कैमरे में बंदीरक्षक अनिल यादव को गांजा जैसे मादक पदार्थ के पैकेट कैदियों को सौंपते हुए देखा गया. घटना सामने आने के बाद प्रशासन ने आरोपी को निलंबित कर जांच शुरू कर दी है.
सीसीटीवी फुटेज ने खोली जेल के भीतर चल रही नशे की पोल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 जुलाई 2025 की रात करीब 8 बजे जिला कारागार के कंट्रोल रूम में मौजूद स्टाफ ने बैरक नंबर 8A के पास कुछ संदिग्ध हरकतें देखीं. सीसीटीवी फुटेज में तैनात बंदीरक्षक अनिल यादव कैदियों को कुछ पैकेट सौंपते हुए साफ नजर आया.
जब फुटेज की समीक्षा की गई तो पाया गया कि वह जेब से चार पैकेट निकालकर बंदियों को दे रहा था. शक होने पर उसकी तलाशी ली गई और उन्हीं चार पैकेटों को जब्त किया गया, जिनमें हरी पत्तियां (संभावित गांजा) भरी थीं. जेल परिसर में सुरक्षा के बीच इस तरह की घटना ने जेल प्रशासन को सकते में डाल दिया.
नैनी सेंट्रल जेल से हुआ पत्राचार, तुरंत हुआ निलंबन
साथ ही उसे कौशांबी (Kaushambi) जिला कारागार में अटैच कर दिया गया साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी गई है. इस कार्रवाई के बाद जेल विभाग में हड़कंप मच गया है और राज्य स्तर पर अधिकारियों की नजर इस मामले पर टिकी हुई है.
जेलर ने दी जानकारी, पैकेट में क्या था इसकी जांच शुरू
जिला कारागार के जेलर अनिल कुमार ने मीडिया को बताया कि निलंबित बंदीरक्षक अनिल यादव से पूछताछ की जा रही है. यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वह गांजा जैसा पदार्थ किससे लेकर आया और किन कैदियों को देना चाहता था.
उन्होंने बताया कि जब्त की गई हरी पत्तियों की जांच नैनी सेंट्रल जेल की टीम द्वारा करवाई जा रही है. जेलर ने यह भी स्पष्ट किया कि जेल के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी. लगातार तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि किसी भी संदिग्ध चीज को बैरकों में पहुंचने से पहले पकड़ा जा सके.
छह वर्षों बाद सामने आया पहला बड़ा नशा मामला
जिला जेल में इससे पहले भी नशा सप्लाई की आशंका जताई जाती रही है लेकिन पिछले छह वर्षों में किसी की गिरफ्तारी या सीधा प्रमाण नहीं मिला था. अनिल यादव का इस तरह सीसीटीवी में कैद होकर पकड़ा जाना पहली बड़ी पुष्टि मानी जा रही है.
अब जेल प्रशासन ने न केवल कैदियों पर बल्कि मिलने आने वालों और ड्यूटी पर तैनात सभी बंदीरक्षकों पर विशेष नजर रखना शुरू कर दिया है. कंट्रोल रूम से सभी गतिविधियों की सीधी निगरानी की जा रही है और CCTV कैमरों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है.
क्या जेल के भीतर सक्रिय है कोई बड़ा नशा सिंडिकेट?
इस घटना के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. क्या अनिल यादव अकेला था या उसके पीछे कोई गैंग या नेटवर्क काम कर रहा था? क्या यह पहली बार हुआ या वह पहले भी नशे की खेप पहुंचा चुका है?
क्या जेल के अंदर कुछ कैदी बाकायदा डीलिंग कर रहे हैं? अब जांच इन सभी बिंदुओं पर केंद्रित हो गया है. सूत्रों की मानें तो अन्य कर्मचारियों और कैदियों से भी पूछताछ की जा रही है. आने वाले दिनों में पूरी जेल व्यवस्था में बड़ा फेरबदल हो सकता है.