School Merger In UP: फतेहपुर में स्कूल मर्जर के खिलाफ फूटा गुस्सा ! ग्रामीणों ने शिक्षकों को बंधक बनाकर किया प्रदर्शन, मचा हड़कंप
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. भटपुरवा गांव में नाराज ग्रामीणों ने मर्ज किए जा चुके स्कूल से सामग्री लेने पहुंचे शिक्षकों को बंधक बना लिया और स्कूल गेट में ताला जड़ दिया. तीन किलोमीटर दूर नरायणपुर में भेजे गए स्कूल के विरोध में ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की.

Fatehpur School Merger: यूपी के फतेहपुर जिले के भटपुरवा गांव में गुरुवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सरकार की स्कूल मर्जर नीति के तहत बंद किए गए प्राथमिक विद्यालय से सामान लेने पहुंचे शिक्षकों को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया.
गेट में ताला जड़कर घंटों नारेबाजी की गई. ग्रामीणों का कहना है कि गांव से दूर भेजा गया स्कूल छोटे बच्चों के लिए असुविधाजनक है और अगर मर्जर वापस नहीं हुआ तो वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे.
50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को किया जा रहा मर्ज
प्रदेश सरकार की नई नीति के तहत उन परिषदीय स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में विलय किया जा रहा है जिनमें छात्र संख्या 50 से कम है. इसी क्रम में भिटौरा ब्लॉक के भटपुरवा गांव के प्राथमिक विद्यालय की 18 छात्रों की संख्या को देखते हुए उसका मर्जर पास के प्राथमिक विद्यालय नरायणपुर में कर दिया गया है. हालांकि, यह निर्णय ग्रामीणों को नागवार गुजरा. उनका कहना है कि छोटे बच्चों को साढ़े तीन किलोमीटर दूर भेजना असुरक्षित और अव्यवहारिक है.
शिक्षकों को बंधक बनाकर जड़ा गया ताला, हुई नारेबाजी
दोनों शिक्षक अंदर ही फंसे रह गए. गुस्साए ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और ‘गांव का स्कूल गांव में ही चाहिए’ जैसे नारे लगाते हुए मर्जर का विरोध किया. गांव वालों का कहना है कि उनके बच्चों को उनकी निगरानी में पढ़ने का हक है, जिसे मर्जर से छीना जा रहा है.
प्राथमिक शिक्षक संघ ने कराया समाधान, किया शांत
घटना की जानकारी मिलते ही प्राथमिक शिक्षक संघ भिटौरा के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह मौके पर पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों को समझाया कि यह फैसला शासन स्तर से लिया गया है और शिक्षक सिर्फ आदेश का पालन कर रहे हैं.
कई घंटों की बातचीत के बाद ग्रामीणों ने स्कूल का ताला खोला और शिक्षकों को जाने दिया. हालांकि, विरोध अभी भी बरकरार है और ग्रामीण मर्जर वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. आपको बतादें कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ शिक्षक भी हैं.
बच्चों को अब नहीं भेजेंगे स्कूल, विरोध में उठी चेतावनी
ग्रामीणों ने साफ कहा कि स्कूल मर्जर की कार्रवाई वापस नहीं ली गई तो वे अपने बच्चों को किसी भी सरकारी स्कूल में नहीं भेजेंगे. ग्रामीणों में नरेश कुमार, गिरजाशंकर, शादिक अली समेत बड़ी संख्या में लोग विरोध में शामिल हुए. उनका कहना है कि सरकार जमीन पर मौजूद हकीकत समझे बिना बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है.
शासनादेश का पालन जरूरी, मर्जर नीति वापस नहीं होगी
बीएसए भारती त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि विद्यालयों का मर्जर शासन की नीति के अनुसार किया जा रहा है. शासन से जो दिशा-निर्देश मिलते हैं, उनका पालन अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज कर संसाधनों का बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है.