Fatehpur News: फतेहपुर में प्रेमी को बचाने के लिए महिला ने रचा षड्यंत्र ! बेटे के अपहरण का झूठा मुकदमा, कई राज्यों में भटकी पुलिस
फतेहपुर जिले में एक महिला ने दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद अपने प्रेमी को बचाने के लिए नाबालिग बेटे को दो साल तक घर से दूर रखा. अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद पुलिस ने किशोर को अजमेर शरीफ से बरामद किया.
Fatehpur News: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से सामने आया यह मामला कानून, ममता और साजिश की खतरनाक हदों को उजागर करता है. प्रेमी को जेल से छुड़ाने और चुनावी रंजिश साधने के लिए एक महिला ने अपने ही नाबालिग बेटे को मोहरा बना दिया. बेटे के अपहरण का झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया, जिससे पुलिस दो साल तक कई राज्यों में भटकती रही.
बेटे को घर से दूर रखकर रची गई पूरी साजिश

जांच में सामने आया कि जिस अवधि में किशोर को लापता दिखाया गया, उस दौरान वह गांव और आसपास के इलाकों में देखा गया था. महिला ने जानबूझकर बेटे को घर से बाहर भेजा और उसे लगातार डराया जाता रहा कि अगर वह वापस आया तो पुलिस उसे और उसकी मां को जेल भेज देगी.
प्रेम संबंध, अलगाव और राजनीति से जुड़ी पृष्ठभूमि
प्रधानी चुनाव की रंजिश ने इस रिश्ते को और जटिल बना दिया. महिला ने वर्ष 2023-24 में वर्तमान प्रधान मो. हसीन अंसारी, कोटेदार जिबरील और मुन्ना नट के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज कराया. पुलिस ने विवेचना के बाद साक्ष्य के अभाव में एफआर लगा दी थी, जिससे महिला की मंशा पर सवाल खड़े हुए.
प्रेमी की गिरफ्तारी और बेटे के अपहरण की झूठी एफआईआर
करीब एक साल पहले महिला का करीबी युवक दुष्कर्म के आरोप में जेल चला गया, जहां वह अभी भी बंद है. इसी दौरान महिला ने अपने बेटे को घर से दूर रखने की साजिश को और मजबूत किया.
प्रेमी को बचाने और खुद को पीड़िता दिखाने के लिए महिला ने बेटे के अपहरण की झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई. यही मामला बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां महिला ने बेटे की बरामदगी की गुहार लगाई. हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद पुलिस पर जवाबदेही का दबाव बढ़ गया.
हाईकोर्ट की सख्ती, एसपी और डीजीपी से मांगा गया जवाब
मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और पुलिस अधीक्षक अनूप सिंह तथा डीजीपी राजीव कृष्ण से जवाब तलब किया. कोर्ट ने पूछा कि दो साल तक एक नाबालिग बच्चा कैसे गायब रहा और पुलिस उसे क्यों नहीं खोज पाई.
इसी दौरान पुलिस ने तकनीकी जांच तेज की. महिला के अलग-अलग मोबाइल नंबरों से बेटे से बातचीत के सबूत मिले. परिजनों से पूछताछ में भी खुलासा हुआ कि महिला बेटे को लगातार बाहर रहने की हिदायत देती थी और गांव लौटने से रोकती थी.
आठ राज्यों में भटकी पुलिस, अजमेर शरीफ से मिली सफलता
सुल्तानपुर घोष पुलिस ने किशोर की तलाश में बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात के अहमदाबाद, उत्तराखंड और राजस्थान में दबिश दी. मोबाइल ट्रेसिंग के बावजूद लंबे समय तक कोई सुराग नहीं मिला.
अंततः गोपनीय सूचना के आधार पर पुलिस राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह के पास बिस्मिल्लाह होटल तक पहुंची, जहां किशोर बर्तन धोने का काम कर रहा था. पुलिस के अनुसार किशोर दरगाहों में रहकर बार-बार स्थान बदलता रहा और खुद को कानपुर के बाबूपुरवा का निवासी बताता था.
मजिस्ट्रेट के सामने बयान, मां की भूमिका हुई उजागर
सीजेएम कोर्ट में दिए गए बयान में किशोर ने बताया कि वह रायबरेली के एक मदरसे में पढ़ता था. वहां से वह कानपुर, फिर दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन दरगाह पहुंचा. इसके बाद हरिद्वार की साबिर पाक दरगाह, अजमेर शरीफ और अहमदाबाद तक भटकता रहा.
छोटी उम्र के कारण उसे कहीं स्थायी काम नहीं मिला. जब भी वह घर लौटने की बात करता, उसकी मां दूसरे फोन से कहती कि गांव मत आना, नहीं तो मैं जेल चली जाऊंगी. इन बयानों के बाद साफ हो गया कि अपहरण की कहानी झूठी थी और साजिश की जड़ में मां खुद थी.
