Fatehpur News Today: फतेहपुर में रील के लिए युवक से मारपीट ! अटल पार्क बना फूहड़ता का अड्डा, पुलिस-पालिका पर उठे सवाल
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) फतेहपुर (Fatehpur) में पं. अटल बिहारी वाजपेयी पार्क में अश्लील रील बना रहे युवकों को टोकना एक आम नागरिक को भारी पड़ गया. युवक के साथ मारपीट की गई. हिंदू संगठनों ने इस घटना पर नाराज़गी जताते हुए नगर पालिका और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

Fatehpur News Today: जिस पार्क का नाम पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान नेता के सम्मान में रखा गया हो, उसकी ज़मीन पर अगर अश्लील रील्स, गाली-गलौज और हिंसा होती दिखे तो यह सिर्फ एक घटना नहीं, एक सोच का पतन है.
फतेहपुर (Fatehpur) का अटल पार्क अब मर्यादा की मिसाल नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बनता जा रहा है. और जब समाज का एक जिम्मेदार नागरिक विरोध करता है, तो उसे पीटा जाता है, धमकाया जाता है—यह स्थिति कहीं न कहीं चेतावनी है कि अगर अब भी चुप रहे, तो सार्वजनिक स्थलों की गरिमा सरेआम नीलाम होती रहेगी.
अश्लीलता के खिलाफ उठाई आवाज़, मिला लात-घूंसा
रविवार शाम करीब 6 बजे रामगंज पक्का तालाब निवासी आशीष कुमार तिवारी टहलने निकले थे. पं. अटल बिहारी वाजपेयी पार्क में उन्होंने देखा कि कुछ युवक-युवतियां मोबाइल कैमरों के सामने अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो बना रहे थे.
वहां मौजूद आदित्य चौहान उर्फ कालीचरण और उसके साथियों ने ना केवल फूहड़ता फैलाई बल्कि आसपास मौजूद लोगों पर भद्दे कमेंट भी किए. जब आशीष ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो गाली-गलौज करते हुए उन पर हमला कर दिया गया. वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि भीड़ पार्क के बाहर ने उन्हें घेर कर पीट रही है और धमका रही है.
अटल जी के नाम पर बना पार्क अब फूहड़ता का केंद्र
अटल पार्क पूर्व प्रधानमंत्री और एक आदर्शवादी नेता के नाम पर बना है, लेकिन यहां का माहौल उनके विचारों के पूरी तरह विपरीत हो चुका है. जिस जगह को सामाजिक संवाद, संस्कृति और शांति का प्रतीक बनना था, वह अब सोशल मीडिया की सस्ती लोकप्रियता के लिए इस्तेमाल हो रहा है. यह न सिर्फ पार्क की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उन मूल्यों को भी ध्वस्त करता है जिन पर अटल जी का व्यक्तित्व टिका था.
नगर पालिका की लापरवाही, पुलिस की निष्क्रियता बनी खतरा
स्थानीय लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं कि पार्क में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. नगर पालिका ने न तो सीसीटीवी लगाए, न ही किसी गार्ड की तैनाती की. दूसरी तरफ सदर कोतवाली पुलिस की लापरवाही भी अब जगजाहिर है.
पार्क के अंदर होती गतिविधियों पर किसी की नजर नहीं है. मारपीट के बाद पुलिस ने पीड़ित आशीष की तहरीर पर मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन कोतवाली पुलिस की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है.
हिंदू संगठनों का आक्रोश, गरिमा की रक्षा की मांग
इस घटना जिले के सामाजिक संगठनों को झकझोर दिया है. बजरंग दल के शानू सिंह, धर्मेंद्र सिंह जनसेवक और आनंद तिवारी सहित सामाजिक कार्यकर्ता रूपम मिश्रा इसका कड़ा विरोध किया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पालिका और पुलिस की मिलीभगत से यह माहौल बन रहा है. संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरे तो आंदोलन होगा.
पार्क को बचाने की ज़िम्मेदारी किसकी?
यह घटना बताती है कि अगर समाज, प्रशासन और राजनीति तीनों अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाएं तो एक आदर्श स्थान भी बदनाम हो सकता है. अटल पार्क सिर्फ एक बगीचा नहीं, एक विचार है.
उसकी मर्यादा बचाने के लिए नगर पालिका को सीसीटीवी, सुरक्षा गार्ड और स्पष्ट नियम लगाने चाहिए. वहीं पुलिस को नियमित गश्त और सख्ती दिखानी होगी. समाज को भी सजग रहना होगा, क्योंकि अगर अटल जी के नाम पर बने स्थान की गरिमा नहीं बची, तो और कौन सी गरिमा बची रह पाएगी?