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UP Board 10th Topper: फतेहपुर के श्रेयांश का संघर्ष! भूख, गरीबी और सपनों के बीच यूपी बोर्ड में बनाई जगह

Fatehpur News In Hindi

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) के श्रेयांश ने यूपी बोर्ड दसवीं में टॉप टेन में स्थान हासिल कर जिले का मान बढ़ाया. गरीबी और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले माता-पिता के संघर्ष के बावजूद, श्रेयांश ने अपनी कड़ी मेहनत से यह सफलता पाई. उसकी यह यात्रा प्रेरणादायक और संघर्षपूर्ण रही.

UP Board 10th Topper: फतेहपुर के श्रेयांश का संघर्ष! भूख, गरीबी और सपनों के बीच यूपी बोर्ड में बनाई जगह
फतेहपुर का श्रेयांश यूपी बोर्ड दसवीं में टॉपर (माता पिता के साथ बीच में श्रेयांश): Image Yugantar Pravah
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UP Board 10th Topper Fatehpur: उत्तर प्रदेश बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा 2025 का रिजल्ट आया, तो फतेहपुर जिले के श्रेयांश का नाम प्रदेश के टॉप 10 में नौवा था. लेकिन यह सफलता केवल अंक नहीं थी, बल्कि एक ऐसी संघर्ष की कहानी थी, जो हर कदम पर चुनौतियों से भरी हुई थी. श्रेयांश ने 600 में से 579 अंक (96.50%) हासिल कर जिले का नाम रोशन किया, लेकिन इसके पीछे थी—भूख, गरीबी और अपनी शिक्षा के प्रति निष्ठा का अनमोल संघर्ष.

रिजल्ट के दिन उबले आलू खाकर स्कूल गया था श्रेयांश

फतेहपुर (Fatehpur) के हुसैनगंज जगत दुलारी (जेडी) इंटर कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र श्रेयांश सिमौरा गांव का रहने वाला है. दसवीं के रिजल्ट के दिन श्रेयांश के घर में किसी तरह का उत्सव नहीं था. घर की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी. मां ने उसे सिर्फ उबले आलू दिए, जिन्हें खाकर वह स्कूल निकल पड़ा.

बस मन में एक ख्वाहिश थी कि किसी तरह सफलता मिल जाए. स्कूल पहुंचने के बाद जब परिणाम आया, तो शिक्षकों ने उसके पिता को फोन कर बधाई दी..खबर सुनते ही मां बाप रोने लगे..श्रेयांश ने यूपी बोर्ड के टॉप 10 में जगह बनाई है. क्योंकि यह उनकी कठिन मेहनत और संघर्ष का परिणाम था.

दिहाड़ी मजदूर मां-बाप की मेहनत से श्रेयांश 9वें स्थान पर

श्रेयांश के पिता ठाकुरदीन और मामा रामरती देवी दोनों दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. उनका जीवन बहुत ही कठिनाओं भरा है. लेकिन वे जानते थे कि उनके बेटे के पास सपना है और इसे पूरा करने के लिए उन्हें हर संभव कोशिश करनी थी. श्रेयांश के पिता ने कभी भी गरीबी को पढ़ाई में रुकावट बनने नहीं दिया.

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बेटे के संघर्ष और मेहनत ने उन्हें हमेशा और अधिक मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया. ठाकुरदीन ने बेटे की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी, चाहे घर में पैसे की तंगी हो या संसाधनों की कमी. आज जब रिजल्ट आया तो पिता की छाती गर्व से चौड़ी हो गई.

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बड़ी बहनों ने भाई के भविष्य के लिए छोड़े अपने सपने

श्रेयांश की दो बड़ी बहनें मीरा देवी और नंदनी हैं. दोनों ने अपने सपनों को त्याग दिया ताकि उनके छोटे भाई श्रेयांश को बेहतर शिक्षा मिल सके. छोटी बहन मीरा ने जीजीआईसी हुसैनगंज से अपनी पढ़ाई की, लेकिन परिवार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए वह आगे पढ़ाई जारी नहीं रख पाई और उसकी शादी कर दी गई.

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बड़ी बहन नंदनी ने भी अपनी पढ़ाई को छोड़कर घर के कामकाजी ज़िम्मेदारियों को संभाला, ताकि श्रेयांश अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. उनके त्याग और समर्पण ने श्रेयांश को अपनी मंजिल तक पहुंचने की ताकत दी.

8-10 घंटे पढ़ाई और मोबाइल क्लास से श्रेयांश ने गरीबी को पछाड़ा

श्रेयांश ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी कीमत पर मेहनत की. वह रोज़ाना 8 से 10 घंटे अपनी पढ़ाई करता था. चाहे मौसम की कोई भी स्थिति हो, या घर में कोई भी कठिनाई हो, वह कभी भी अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देता था. जब स्कूल नहीं जा पाता था, तो वह ऑनलाइन क्लासेज से पढ़ाई करता था.

उसकी पढ़ाई में विद्यालय ने भी हर स्थित में उसका साथ दिया..श्रेयांश का यह समर्पण और मेहनत ही उसकी सफलता का राज़ बना..उसने गरीबी को अपनी कमजोरियों में से एक नहीं बल्कि अपनी ताकत में बदल दिया और पूरी दुनिया को दिखाया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती.

इनकम टैक्स अफसर बनने का सपना

श्रेयांश का सपना है कि वह इनकम टैक्स अफसर बने ताकि वह अपने माता-पिता को दिहाड़ी मजदूरी से मुक्त कर सके. वह जानता है कि उसकी कड़ी मेहनत और संघर्ष से वह न केवल अपने सपनों को पूरा करेगा, बल्कि अपने परिवार के लिए एक नया रास्ता भी खोलेगा.

श्रेयांश का यह सपना उसे हर दिन संघर्ष करने की प्रेरणा देता है. उसकी यह निष्ठा और समर्पण उसकी सफलता की असली कुंजी है..वह जानता है कि अगर वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है, तो वह अपनी मां और पिता को अब किसी भी कठिनाई से मुक्त कर सकता है.

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