Who Is Bhagwant Rai Khichi: कौन थे राजा भगवंतराय खींची जिन्हें आदिशक्ति का वरदान था ! अंतिम राजा विशेंद्र पाल सिंह जूदेव का निधन
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) फतेहपुर (Fatehpur) के असोथर (Asother State) राजपरिवार के अंतिम राजा विशेंद्र पाल सिंह जूदेव का मंगलवार को निधन हो गया. कानपुर स्थित उनके आवास पर हृदय गति रुक गई. उनके निधन से असोथर ही नहीं, पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई. अंतिम संस्कार प्रयागराज में होगा.

History Of Asother State: यूपी के फतेहपुर (Fatehpur) जिले में स्थित ऐतिहासिक असोथर रियासत के अंतिम उत्तराधिकारी राजा विशेंद्र पाल सिंह जूदेव (68) का मंगलवार सुबह निधन हो गया. कानपुर के लाल बंगला स्थित उनके आवास पर हार्ट अटैक आने से उन्होंने अंतिम सांस ली. सरल स्वभाव, परंपराओं के प्रतीक और राजपरिवार की गरिमा को जीवंत रखने वाले राजा साहब के निधन से असोथर का एक स्वर्णिम इतिहास खत्म हो गया है.
असोथर में छाया मातम, शाही परिवार में शोक की लहर
राजा विशेंद्र पाल सिंह जूदेव के निधन की खबर जैसे ही असोथर क्षेत्र में पहुंची, पूरे कस्बे में शोक की लहर दौड़ गई. लोग सदमे में हैं क्योंकि वह न केवल शाही परिवार के प्रतीक थे, बल्कि समाज में एक लोकप्रिय और सुलझे हुए व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे.
उनके पारिवारिक भाजपा नेता प्रवीण सिंह ने जानकारी दी कि राजा साहब अपने पीछे एक पुत्र यशवंत राज सिंह, एक बेटी मोहिता सिंह और पत्नी को छोड़ गए हैं. उनके निधन से असोथर की जनता ने न सिर्फ एक राजा खोया है, बल्कि एक मार्गदर्शक और सांस्कृतिक धरोहर भी खो दी है.
राजा भगवंतराय खींची से शुरू हुआ गौरवशाली वंश
उन्होंने मुगल शासन के खिलाफ विद्रोह करते हुए 14 परगनों का एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था. उनके शासनकाल में असोथर राजनीतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध हुआ. उन्होंने न केवल युद्धों में विजय पाई बल्कि असोथर रियासत को पहचान भी दिलाई.
फर्रुखसियर को दिलाई थी दिल्ली की गद्दी, बढ़ी असोथर की प्रतिष्ठा
इतिहासकारों के अनुसार, 1712-13 में जब मुगल वंशज फर्रुखसियर ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जे के लिए जंग छेड़ी थी, तब भगवंतराय खींची ने खजुहा (Khajua) के युद्ध में उनकी मदद की थी. यह विजय ऐतिहासिक रही और इसके बाद असोथर का राजनीतिक महत्व अत्यधिक बढ़ गया.
भगवंतराय ने 1719 में खुद को स्वतंत्र शासक घोषित किया और चंदेल शासकों के किले पैनाकला का जीर्णोद्धार कर शासन की नींव और मजबूत की. उनकी मित्रता छत्रसाल बुंदेला और अन्य शासकों से थी, जिससे असोथर की ताकत और प्रभाव और बढ़ा.
13 युद्ध, 55 की उम्र में शहादत और अद्वितीय वीरता
राजा भगवंतराय खींची का जीवन युद्धों और वीरता की मिसाल रहा. 55 वर्ष की उम्र तक उन्होंने मुगल ताकतों के खिलाफ 13 बड़े युद्ध लड़े. उन्हें यह आशीर्वाद प्राप्त था कि जब तक उनके हाथ में तलवार है, उन्हें कोई नहीं हरा सकता.
लेकिन 1735 में जब वे मूसेपुर हथेमा में देवी की उपासना कर रहे थे, तभी मुगलों ने धोखे से हमला कर हत्या कर दी थी. उनकी शहादत ने असोथर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया. गाजीपुर, जहां आज थाना है, वहां कभी उनका दरबार और जिलेदारी का दफ्तर हुआ करता था.
कविता, संस्कृति और परंपरा के संरक्षक थे राजा भगवंतराय
इतिहासकार डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार, भगवंतराय खींची केवल योद्धा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील कवि और कला-प्रेमी शासक भी थे. उन्होंने ‘रामायण’ और ‘हनुमतपचीसी’ जैसी कवित्तमयी रचनाएं कीं, जिनमें हनुमान के पराक्रम और रामकथा का ओजस्वी वर्णन मिलता है.
उनके संरक्षण में अनेक सुकवि पनपे और असोथर साहित्यिक समृद्धि का केंद्र बना. ‘हनुमतपचासा’ नामक रचना में उनके 52 ओजस्वी छंद मिलते हैं, जो उस युग की रचनात्मक गरिमा को दर्शाते हैं.
राजा विशेंद्र पाल सिंह के निधन से खत्म हुआ एक युग
राजा विशेंद्र पाल सिंह जूदेव, जिनके शरीर में राजवंश का गौरवमयी रक्त प्रवाहित होता था, उनके निधन के साथ ही असोथर रियासत का अंतिम शाही अध्याय भी समाप्त हो गया.
वह भले ही सत्ता में नहीं थे, लेकिन जनता के दिलों में उनका सम्मान राजा के रूप में था. सादगी, सौम्यता और परंपराओं के प्रति सम्मान उनके व्यक्तित्व की विशेषताएं थीं. बताया गया कि उनका अंतिम संस्कार प्रयागराज में किया जाएगा, जहां असंख्य लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए जुटेंगे.
नोट- खबरों में दी गई कुछ तथ्यात्मक जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं जिनके लिए युगान्तर प्रवाह उत्तरदाई नहीं है