Fatehpur News: जब दुधमुंहे बेटे के शव से लिपटकर बिलखता रहा पिता ! डॉक्टरों के इंतजार में बुझ गई जिंदगी
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) के ट्रामा सेंटर में इलाज के अभाव में दो वर्षीय मासूम आर्यन की मौत हो गई. पिता शाहरुख बेटे को गोद में लिए डॉक्टरों की मदद के लिए गुहार लगाता रहा, लेकिन कोई सामने नहीं आया. बेटे के शव से लिपटकर रोते पिता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

Fatehpur Sadar Hospital: गोद में तड़पते बेटे की सांसे थम रहीं थीं. चार दिन से भूखा पिता शाहरुख पागलों की तरह डॉक्टरों को आवाज देता रहा. किसी ने सुना नहीं, किसी ने हाथ थामकर मदद नहीं की. ट्रामा सेंटर की ठंडी दीवारें गूंगी बनी रहीं और दो साल के आर्यन ने इलाज के इंतजार में दम तोड़ दिया. जब तक इलाज मिला, मासूम की नन्हीं सांसें थम चुकी थीं. शव से लिपटकर रोते बाप की चीखें अस्पताल में इंसानियत की संवेदनहीनता को चीरती रहीं. लेकिन डॉक्टरों के लिए तो एक सब्जेक्ट है जहां करुणा का कोई स्थान नहीं है. कैमरे में कैद मंजर जिसने भी देखा उसका कलेजा फट गया.
डॉक्टरों का इंतजार करता रहा पिता, बेटे की थम गईं नन्हीं सांसे
जानकारी के मुताबिक खागा क्षेत्र के लाखीपुर गांव निवासी शाहरुख बुधवार दोपहर करीब डेढ़ बजे अपने बीमार बेटे आर्यन को जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचा. मासूम की हालत नाजुक थी. शाहरुख दौड़ता रहा.
गुहार लगाता रहा कि कोई डॉक्टर बेटे को देख ले, लेकिन वहां न तो कोई सीनियर डॉक्टर था, न ही किसी ने गंभीरता दिखाई. आरोप है कि जूनियर रेजीडेंट डॉ. अदिति ने ड्यूटी खत्म होने की बात कह दी और किसी दूसरे डॉक्टर से संपर्क करने को कहा. इसी असहाय भटकन के बीच आर्यन की सांसे पिता की गोद में ही थम गईं.
लिपटकर फूट-फूटकर रोया पिता, वायरल वीडियो ने तोड़ी संवेदनाएं
बेटे की मौत के बाद शाहरुख बेटे के नन्हें शव से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा. उसकी चीखें अस्पताल की हर दीवार से टकरा रही थीं, लेकिन सिस्टम खामोश रहा. इस पूरे दर्दनाक पल को किसी ने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया और लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. हजारों यूजर्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए अस्पताल और डॉक्टरों की संवेदनहीनता को लताड़ा.
https://twitter.com/SachinGuptaUP/status/1935364006157631545?t=wZLY7VAFKemPa7ttuMFjww&s=19
अस्पताल प्रशासन का जवाब- लाने से पहले ही हो चुकी थी मौत
मामला गर्माया तो सीएमएस डॉ. प्रभाकांत सिंह सामने आए. उन्होंने कहा कि जब बच्चे को लाया गया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. ड्यूटी डॉक्टर बीएम आर्या ने बच्चे को देखा, ईसीजी कराया गया और रिपोर्ट ब्राडडेड की गई. उन्होंने यह भी कहा कि बच्चा पहले से बीमार था और खागा सीएचसी से रेफर होकर लाया गया था. सीएमएस ने कहा कि परिजनों की संतुष्टि के लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं.
ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर नदारद, सिस्टम की लापरवाही ने छीनी जान
आरोप है कि घटना के समय ट्रामा सेंटर में डॉ. बीएम आर्या की ड्यूटी सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक थी. लेकिन जब आर्यन को लाया गया तो वह मौजूद नहीं थे. जूनियर डॉक्टर डॉ. अदिति ने इलाज करने से इंकार कर दिया. परिजन यही कहते रहे कि अगर वक्त रहते इलाज मिल जाता तो शायद मासूम की जान बच जाती. लेकिन सिस्टम की इस लापरवाही ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं और पिता की जिंदगी को हमेशा के लिए शोक में डुबो दिया.
मेडिकल कॉलेज से जुड़ने के बाद और बिगड़े हालात
फतेहपुर का जिला अस्पताल अब मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, लेकिन व्यवस्थाएं सुधरने की बजाय और बिगड़ गई हैं. सीनियर डॉक्टर अपने मन से आते-जाते हैं, ड्यूटी पर नहीं रहते और किसी की कोई मॉनिटरिंग नहीं होती. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आर.पी. सिंह का अपने स्टाफ पर कोई नियंत्रण नहीं है. या फिर जानबूझ कर ऐसा होता है. वहीं जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. प्रभाकांत सिंह भी मेडिकल कॉलेज के चलते डॉक्टरों पर कार्रवाई करने में असहाय दिखते हैं. नतीजा ये कि आम जनता इस लापरवाही का सबसे बड़ा शिकार बन रही है.