Fatehpur News: फतेहपुर की बारातशाला में भ्रष्टाचार की नींव ! बंदरबाट करने में लगे अधिकारी ठेकेदार, भड़के ग्रामीण

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) जिले के करसवां गांव में लाखों रुपए की लागत से सांसद निधि से बन रही सामुदायिक बारातशाला में घटिया सामग्री का उपयोग कर भ्रष्टाचार की बुनियाद रख दी गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा सेवड़ा जैसी कमजोर ईंटें और निम्न गुणवत्ता की सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है. आरईएस विभाग के एई प्रमोद मोहाना ने खुद भी मानकहीन निर्माण की पुष्टि की.
Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर जिले के बहुआ ब्लॉक के करसवां ग्राम पंचायत में सांसद निधि से बन रही सामुदायिक बारातशाला भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुकी है. निर्माण कार्य में खुलेआम घटिया ईंटों और कमजोर सामग्री का उपयोग हो रहा है, जिसे लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त नाराजगी है. अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से हो रही इस बंदरबांट पर सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं.
नींव में ही सड़ गया सिस्टम, घटिया सामग्री पर टिक रही इमारत

निरीक्षण में मानकहीन निर्माण की पुष्टि, लेकिन सुधार से इंकार
ग्रामीणों के विरोध के बाद आरईएस विभाग के अवर अभियंता प्रमोद मोहाना ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि निर्माण कार्य में मानकों का पालन नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने नींव से खराब सामग्री हटवाने से इनकार कर दिया. युगान्तर प्रवाह से बात करते हुए एई ने कहा कि “अब यह मैटेरियल नहीं हटेगा, लेकिन आगे से अच्छी ईंट लगाई जाएगी.” ग्रामीणों ने इस रवैये को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए डीएम से शिकायत करने का निर्णय लिया है.
लाखों की सांसद निधि में ऐसे हो रहा बंदरबांट, अफसरों की चुप्पी सवालों के घेरे में
नींव ही कमजोर है, तो इमारत क्या टिकेगी?
स्थानीय निवासी सुरेश, संतलाल और संतोष कुमार पाल जैसे बड़ी संख्या में ग्रामीणों का कहना है कि एक मजबूत इमारत की नींव ही अगर घटिया सामग्री से बनाई जा रही है, तो वह ज्यादा दिन नहीं टिकेगी. उन्होंने कहा कि जनता के टैक्स का पैसा अफसर और ठेकेदार मिलकर बर्बाद कर रहे हैं, और यह भ्रष्टाचार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. लोगों ने मांग की है कि डीएम खुद निरीक्षण करें और दोषियों पर कार्रवाई हो.
जनता को व्यवस्था नहीं, अफसरों को कमीशन चाहिए?
प्रदेश सरकार जहां गांवों के विकास के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं अफसर और ठेकेदार उन्हें अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं. लाखों रुपए की लागत से बनने वाली बारातशाला की हालत शुरुआत में ही बिगड़ गई है. सवाल उठता है कि जब एक छोटी सी परियोजना में भी इस स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है, तो बड़े बजट वाली योजनाओं का क्या हाल होगा?