अब संपत्ति के दाखिल-खारिज में नहीं लगेगा ज्यादा पैसा, पांच गुना घटा शुल्क

Lucknow News In Hindi
यूपी की लखनऊ (Lucknow) में नगर निगम ने संपत्ति के दाखिल-खारिज शुल्क में पांच गुना तक की कटौती का प्रस्ताव तैयार किया है. 22 अगस्त को कार्यकारिणी बैठक में इसे पेश किया गया और अब 28 अगस्त को सदन से मंजूरी मिल सकती है. इस फैसले से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी और संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया बेहद सस्ती हो जाएगी.
Uttar Pradesh Dakhil Kharij Rate: यूपी की राजधानी लखनऊ (Lucknow) से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए खुशखबरी आई है. नगर निगम ने दाखिल-खारिज शुल्क में भारी कटौती का प्रस्ताव पेश किया है, जिसे 28 अगस्त को सदन से मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दिया जाएगा. इस फैसले के बाद संपत्ति हस्तांतरण, वसीयत और पारिवारिक बंटवारे जैसे मामलों की प्रक्रिया अब पहले से पांच गुना सस्ती और बेहद आसान हो जाएगी.
28 अगस्त को सदन में पेश होगा प्रस्ताव

गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को सीधी राहत
फिलहाल दाखिल-खारिज की प्रक्रिया गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए महंगी साबित हो रही थी. अभी तक उत्तराधिकार या वसीयत के आधार पर दाखिल-खारिज के लिए 5,000 रुपए देने पड़ते थे. नई शुल्क संरचना में 1,000 वर्ग फीट तक की संपत्ति पर केवल 1,000 रुपए और 3,000 वर्ग फीट तक की संपत्ति पर अधिकतम 3,000 रुपए शुल्क लगेगा. यह बदलाव सीधे तौर पर उन परिवारों को राहत देगा, जो अब तक भारी-भरकम शुल्क भरने को मजबूर थे.
संपत्ति खरीद पर शुल्क में पांच गुना तक कमी
प्रस्तावित नई शुल्क संरचना
- 5 लाख तक की संपत्ति: 3,500 → 1,000 रुपए
- 5 से 10 लाख तक: 5,500 → 2,000 रुपए
- 10 से 15 लाख तक: 7,500 → 3,000 रुपए
- 15 से 50 लाख तक: 9,500 → 5,000 रुपए
- 50 लाख से अधिक: 10,000 रुपए (यथावत)
उत्तराधिकार, वसीयत और पारिवारिक बंटवारे के मामलों में
- 1,000 वर्ग फीट तक: 5,000 → 1,000 रुपए
- 1,000 से 2,000 वर्ग फीट तक: 5,000 → 2,000 रुपए
- 2,000 से 3,000 वर्ग फीट तक: 5,000 → 3,000 रुपए
- 3,000 वर्ग फीट से अधिक: 5,000 रुपए (यथावत)
नागरिकों में बढ़ी उम्मीदें
लखनऊ नगर निगम के इस प्रस्ताव ने आम नागरिकों में उम्मीदें जगा दी हैं. लोग अब 28 अगस्त की सदन बैठक का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिल सकती है. मंजूरी मिलते ही हजारों परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी और संपत्ति से जुड़े कामों की प्रक्रिया आसान होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न सिर्फ लोगों को लाभ होगा, बल्कि दाखिल-खारिज से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी.