Who Is IPS Deepak Bhuker: कौन हैं आईपीएस दीपक भूकर ! जिनका नाम सुनते ही माफियाओं के छूटते हैं पसीने, उन्नाव में मचा रहे तहलका
Unnao News Today
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उन्नाव (Unnao) में तैनात एसपी दीपक भूकर ईमानदार छवि और सख्त कानून व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं. हरियाणा के परिवार से निकलकर IPS बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है. प्रयागराज से लेकर कानपुर तक माफियाओं को धूल चटाने वाले भूकर के खौफ से उन्नाव में भी तहलका मचा हुआ है. माफिया जान बचाते हुए कोर्ट में सरेंडर करने को मजबूर हैं. आइए जानते हैं कौन हैं आईपीएस दीपक भूकर.

Who Is IPS Deepak Bhuker: हरियाणा के झज्जर जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर बसे छोटे से गांव गौरिया ने भारत को एक ऐसा अफसर दिया, जिसने अपराध की दुनिया में डर और ईमानदारी की मिसाल कायम कर दी.
यह कहानी है 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपक भूकर की है, जिनकी कार्यशैली और जमीनी स्तर की सख्त कार्रवाई ने उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस का चर्चित और असरदार चेहरा बना दिया है. आइए जानते हैं वर्तमान में उन्नाव (Unnao) के एसपी दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) के बारे में सब कुछ
गांव की गलियों से निकलते हुए अफसर बनने का सफर
28 जुलाई 1986 को गौरिया गांव में जन्मे दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) का बचपन बेहद साधारण था. उनके पिता नरेंद्र पाल सिंह भारतीय सेना में 17 वर्षों तक सेवा देने के बाद एक इंटर कॉलेज में प्रवक्ता बन गए, जबकि मां आशा देवी गृहिणी थीं.
दीपक की शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई, जहां वे खेतों में दोस्तों संग खेलते-कूदते बड़े हुए. साल 2002 में सर्वोदय सीनियर सेकेंड्री स्कूल से प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास करने के बाद उन्होंने खानपुर खुर्द के एक इंटर कॉलेज से 2004 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की.
बचपन से डॉक्टर बनने का सपना संजोने वाले दीपक को उनके पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजा, जहां उनका एडमिशन हंसराज कॉलेज में बीएससी बॉटनी में हुआ. इसी दौरान दिल्ली की जिंदगी, अफसरों की चकाचौंध और प्रेरणादायक कहानियों ने उनके भीतर प्रशासनिक सेवा का बीज बो दिया.
दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर आईपीएस बनने तक की जंग
हंसराज कॉलेज में पढ़ाई के दौरान दीपक जुबली हॉस्टल में रहे, जहां से कई नामचीन अफसर निकले थे. वहीं से उन्होंने एमएससी भी किया और साथ ही स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) की तैयारी शुरू कर दी. 2011 में पहली बार SSC परीक्षा पास कर वे सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर बने और चंडीगढ़, फिर दिल्ली में तैनात हुए.
इंस्पेक्टर की पोस्ट पर रहते हुए उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियां जारी रखीं. तीन वर्षों की मेहनत के बाद उन्हें SDM पद पर नियुक्ति मिली. पहले दिल्ली के पंजाबी बाग और फिर लक्षद्वीप जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में सेवा दी.
इसके बाद पांचवें प्रयास में दीपक भूकर को 2016 में यूपी कैडर मिला और वे आईपीएस अधिकारी बने. 2019 में परिवार की मर्जी से IRS अधिकारी अदिति मोर के साथ उनकी शादी हुई थी.
मुरादाबाद में माफिया पर करारा प्रहार
आईपीएस बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग 2018 में मुरादाबाद (Moradabad) में एएसपी के रूप में हुई. वहां अवैध स्लॉटर हाउसों के खिलाफ उन्होंने बड़ी कार्रवाई की, जहां 75 लोगों को अरेस्ट किया गया और 10 लाख की बरामदगी हुई.
इस अभियान से पशु तस्करी पर बड़ी रोक लगी. साथ ही कॉलेजों के बाहर छेड़खानी करने वालों के खिलाफ सादे कपड़ों में खुद सड़कों पर उतरकर कार्रवाई की, जिससे स्थानीय लोगों में भरोसा भी बढ़ा.
सट्टा किंग सोनू सरदार को पकड़ा, तोड़ दी गैंग की रीढ़
कानपुर (Kanpur) में एसपी साउथ रहते हुए दीपक भूकर ने इंटरनेशनल सट्टा माफिया सोनू सरदार को जयपुर से गिरफ्तार किया. ऑपरेशन में 2.15 करोड़ रुपये कैश बरामद हुए और जांच के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अवैध कमाई का पर्दाफाश हुआ. पूरे नेटवर्क की कमर तोड़ते हुए 50 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा गया और गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की गई.
नकली दवाइयों से लेकर ड्रग्स माफिया तक, कोई नहीं बचा
एडिशनल डीसीपी क्राइम रहते हुए दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) ने कानपुर (Kanpur) में 40 करोड़ की नकली दवाइयों के गिरोह को उजागर किया, जिसमें 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई. वहीं, छत्तीसगढ़ से आने वाली ड्रग्स सप्लाई पर भी बड़ी कार्रवाई करते हुए 45 तस्करों को जेल भेजा.
उन्होंने एंटी रोमियो स्क्वॉड को भी जमीनी हकीकत के हिसाब से एक्टिव किया. खासकर इंटर कॉलेजों और बालिका विद्यालयों के बाहर खुद खड़े होकर सादी वर्दी में संदिग्धों पर नजर रखी. इससे इलाके में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सकारात्मक माहौल बना.
प्रयागराज में अतीक अहमद के किले में घुसकर की कार्रवाई
डीसीपी प्रयागराज (Prayagraj) के रूप में दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) ने अतीक अहमद जैसे खतरनाक माफिया के आर्थिक साम्राज्य पर बड़ी चोट पहुंचाई. उमेश पाल हत्याकांड की जांच में विजय चौधरी उर्फ उस्मान और अरबाज जैसे इनामी अपराधी मुठभेड़ में मारे गए.
वहीं, अतीक की 180 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई, जिसमें 50 करोड़ की बेनामी संपत्ति थी. गरीबों के नाम पर खरीदी गई जमीनों का पर्दाफाश कर उन्हें सरकारी संपत्ति घोषित कराया गया.
उन्होंने गैंग के फाइनेंसरों, मुखबिरों और छिपने के ठिकानों पर भी लगातार छापेमारी कर पूरी चेन को ध्वस्त किया. इस कार्रवाई के चलते प्रयागराज में माफिया नेटवर्क की रीढ़ ही टूट गई.
उन्नाव में अपराधियों के छूटे पसीने, कोर्ट में सरेंडर को मजबूर
2024 में उन्नाव (Unnao) जिले के एसपी बनने के बाद दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) की सख्त कार्यशैली से माफिया तक कांपने लगे. आसीवन क्षेत्र में हुई महिला की निर्मम हत्या में आरोपी देवर को दीपक भूकर की टीम ने 72 घंटे के अंदर घेरकर पकड़ लिया. इसके बाद उससे संबंधित अन्य आरोपियों पर भी कार्रवाई की गई.
सबसे बड़ी कार्रवाई थी उन्नाव के कुख्यात माफिया अंशु गुप्ता (Anshu Gupta Unnao) पर शिकंजा. अंशु, जो कभी नेताओं के मंच साझा करता था, उस पर पासपोर्ट फर्जीवाड़ा, रंगदारी, मारपीट, धोखाधड़ी समेत दो दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस की लगातार दबिशों और कुर्की की तैयारी के चलते अंशु इतना डर गया कि उसने सीधा बीते शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
जानकारों का कहना है कि अगर वह सरेंडर न करता, तो दीपक भूकर की अगुवाई में जल्द ही उसकी गिरफ्तारी या मुठभेड़ तय थी. अंशु गुप्ता (Anshu Gupta Unnao) जैसे माफिया का कोर्ट में जाकर सरेंडर करना सिर्फ कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि अपराधियों को अब कानून का नहीं, अफसर का डर सताने लगा है.
आईपीएस दीपक भूकर: नाम ही काफी है
आज दीपक भूकर (IPS Deepak Bhuker) का नाम न सिर्फ यूपी पुलिस में सख्त कार्रवाई के प्रतीक के रूप में लिया जाता है, बल्कि अपराधियों और माफियाओं के लिए वह एक डर का नाम बन चुके हैं. डीजीपी के सिल्वर और गोल्ड मेडल से सम्मानित इस अधिकारी ने साबित कर दिया कि अगर ईमानदारी और हिम्मत हो, तो कोई भी गांव का लड़का देश की सबसे बड़ी ताकत बन सकता है.
उन्नाव (Unnao) में आज दीपक भूकर का नाम ही अपराधियों के लिए चेतावनी बन चुका है. माफिया जानते हैं कि अगर इस आईपीएस की नजर उन पर पड़ी, तो कानून का शिकंजा बचने नहीं देगा. यही वजह है कि अब अपराधी पुलिस के नहीं, कोर्ट के रास्ते अपना बचाव तलाश रहे हैं.