फतेहपुर की PHC भिटौरा में घमासान: MOIC डॉ. राघवेंद्र सिंह पर ANM और ARO प्रियंका यादव ने लगाए गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिटौरा में प्रभारी चिकित्साधिकारी (MOIC) डॉ. राघवेंद्र सिंह राघव पर एआरओ प्रियंका यादव और कई एएनएम ने गंभीर आरोप लगाए हैं. शिकायत में अभद्रता, अवकाश के बदले पैसे मांगने और जबरन काम कराने की बातें कही गई हैं. जिलाधिकारी से तबादले और कार्रवाई की मांग की गई है.
Uttar Pradesh News: यूपी के फतेहपुर जिले के भिटौरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राघवेंद्र सिंह राघव विवादों में घिर गए हैं. एआरओ प्रियंका यादव और कई एएनएम ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि MOIC कर्मचारियों से अभद्रता करते हैं, मानसिक दबाव डालते हैं और अवकाश के नाम पर रिश्वत वसूलते हैं. इस शिकायत के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
कर्मचारियों ने डीएम से की लिखित शिकायत

प्रियंका ने आरोप लगाया कि MOIC ने कहा कि अब वे सभी को नौकरी करना सिखाएंगे और छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन रोकने की धमकी देते हैं. शिकायत में कहा गया है कि इस तरह का व्यवहार कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है.
अवकाश और मेडिकल के नाम पर रिश्वतखोरी का आरोप
द्वेषपूर्ण नोटिस और लापरवाही के गंभीर आरोप
प्रियंका यादव ने यह भी बताया कि सोमवार को MOIC ने कई कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा, जो द्वेषपूर्ण भावना से किया गया है. आरोप लगाया गया कि कुछ ANM जो लखनऊ से आती हैं, कभी काम पर मौजूद नहीं रहतीं लेकिन MOIC उनसे पैसे लेकर उनका नाम दर्ज कराते हैं. वहीं, प्रभारी चिकित्साधिकारी पर यह भी आरोप है कि वे कभी भी OPD नहीं करते और रात में स्वास्थ्य केंद्र से नदारद रहते हैं. जिसका औचक निरीक्षण किया जा सकता है.
75 हजार रुपये में मेडिकल सैलरी जारी करने का आरोप
ARO प्रियंका सहित कर्मचारियों ने आरोप लगाते हुए बताया कि उनके स्टाफ में तारा नाम की कर्मचारी हैं जो जल्द ही रिटायर होने वाली हैं, उन्होंने तीन महीने का मेडिकल अवकाश लिया था. उसका रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया और उनकी सैलरी रोक दी गई. बाद में MOIC ने उनसे 75 हजार रुपये लेकर सैलरी जारी कराई. इस खुलासे ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
MOIC ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राघवेंद्र सिंह ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि कई कर्मचारी फर्जी तरीके से काम करते हैं और रोकने पर अभद्रता करते हैं. उनका कहना है कि पूरा मामला सीएमओ के संज्ञान में है और उनके पास सबूत मौजूद हैं. जांच होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी और यह स्पष्ट होगा कि सही कौन है और गलत कौन.
विभागीय कार्रवाई ना होने से लगातार बढ़ रहा विवाद
कर्मचारियों ने कहा कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. CMO भी MOIC के पक्ष में हैं. उनकी जिलाधिकारी से मांग है कि MOIC का तत्काल तबादला किया जाए ताकि उन्हें मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना से मुक्ति मिल सके.
फिलहाल यह मामला स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर चुनौती बन गया है. विभागीय जांच के आदेश की संभावना जताई जा रही है और कर्मचारियों को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें न्याय मिलेगा. हालांकि सीएमओ से इस संबंध में बातचीत करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा.