Fatehpur News: मेडिकल कॉलेज की लापरवाही से ठप आयुष्मान योजना ! जिला अस्पताल में मरीजों की कराह सुनने वाला कोई नहीं

उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना को फतेहपुर मेडिकल कॉलेज पतीला लगा रहा है. जिला अस्पताल में बीते एक महीने से आयुष्मान कार्ड धारकों के ऑपरेशन बंद हैं. जरूरी इंप्लांट और सर्जिकल सामान न होने से गरीब मरीज हफ्तों से बिस्तर पर पड़े हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. सिस्टम पूरी तरह लचर और जिम्मेदार मौन हैं.
Fatehpur News: यूपी सरकार जहां आयुष्मान योजना को गरीबों के लिए वरदान बताकर करोड़ों का प्रचार कर रही है, वहीं फतेहपुर जिला अस्पताल में यही योजना दम तोड़ रही है. मेडिकल कॉलेज की लापरवाही और प्रशासनिक ऊहापोह के चलते पिछले एक महीने से आयुष्मान कार्ड वाले आर्थो मरीजों के ऑपरेशन बंद पड़े हैं. जिन गरीबों को मुफ्त इलाज की उम्मीद थी, उन्हें अब दर्द से कराहते हुए अस्पताल से लौटना पड़ रहा है. सिस्टम की यह लापरवाही अब गरीबों के जीवन से खिलवाड़ बन चुकी है.
आयुष्मान वार्ड में भर्ती मरीज, ऑपरेशन के लिए नहीं है सामान

ऐसी ही स्थिति गाजीपुर थाना क्षेत्र के पहाड़पुर निवासी 50 वर्षीय सुक्खू के साथ भी है. उनके हाथ का ऑपरेशन होना था, लेकिन दस दिन बीत जाने के बावजूद जरूरी सामान न होने से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. बताया जा रहा है सुक्खू के ऑपरेशन के लिए एक विधायक को भी जोर-आजमाई करनी पड़ी लेकिन लचर व्यवस्था के आगे कोई सुनने वाला नहीं है.
उम्मीद में कराह रहे मरीज कोई सुध लेने वाला नहीं
बताया जा रहा है कि पिछले एक माह से अधिक समय से आर्थो विभाग के ऑपरेशन बंद हैं. कई मरीजों ने इलाज की उम्मीद छोड़कर अस्पताल से छुट्टी ले ली. आयुष्मान वार्ड, जो कभी गरीबों की उम्मीद था वही आज इस बिगड़े तंत्र की वजह से बीमार पड़ा हुआ है.
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य के आदेश से रुकी पर्चेजिंग
सूत्रों के मुताबिक, पहले आयुष्मान योजना के तहत ऑपरेशन में लगने वाले सामान की पर्चेजिंग का भुगतान जिला अस्पताल के सीएमएस द्वारा की जाती थी. लेकिन मेडिकल कॉलेज के नए प्राचार्य डॉ. आर.के. मौर्य के पदभार संभालने के बाद मौखिक रूप से इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है.
अब भुगतान के सभी चेक प्राचार्य की मंजूरी से ही जारी होंगे. यही कारण है कि पर्चेजिंग कंपनियों को पिछले 20 ऑपरेशनों का भुगतान नहीं मिला, और उन्होंने आगे सामान देने से इनकार कर दिया है. इस वजह से पूरा ऑपरेशन सिस्टम ठप हो गया है.
सीएमएस बोले- अब सबकुछ प्राचार्य के हाथ में
इस मामले पर जब जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने साफ कहा कि अब सारे निर्णय मेडिकल कॉलेज प्रशासन के हाथ में हैं. उन्होंने कहा, “अब सबकुछ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के अधीन है, इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता.” अस्पताल प्रशासन के इस रुख से यह साफ है कि सिस्टम के भीतर समन्वय की भारी कमी है और इसका खामियाजा गरीब मरीज भुगत रहे हैं.
प्राचार्य डॉ. आरके मौर्य का जवाब और सरकारी सिस्टम पर सवाल
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके मौर्य ने कहा कि नई पर्चेजिंग लिस्ट आयुष्मान केंद्र को भेज दी गई है और बिलिंग उसी के आधार पर की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि किसी डॉक्टर को ऑपरेशन करने से रोका नहीं गया है, लेकिन सभी ऑपरेशन नियमों के अनुसार ही होंगे.
दूसरी ओर, गरीब मरीजों की हालत लगातार बिगड़ रही है और कोई जिम्मेदार उनकी सुध नहीं ले रहा. सवाल यह है कि जब प्रदेश सरकार गरीबों को आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज का भरोसा देती है, तो फिर जिला अस्पताल में हफ्तों से भर्ती मरीजों की तरफ कोई देखने वाला क्यों नहीं? क्या स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक इस बदहाल सिस्टम की ओर झांकेंगे?