UPPCL News: बिजली विभाग में घोटालों पर पर्दा डालने का प्रयास ! किसानों ने संभाला मोर्चा, 4 जून को प्रदेशभर में होगा बड़ा प्रदर्शन
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली विभाग (UPPCL) के निजीकरण को लेकर उबाल तेज हो गया है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निदेशक निधि नारंग पर घोटाले का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है. इस आंदोलन को अब 16 किसान संगठनों का भी समर्थन मिल गया है. 4 जून को पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई है.

Fatehpur UPPCL News: फतेहपुर समेत पूरे उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों और अभियंताओं का गुस्सा अब सड़कों पर उतरने को तैयार है. निजीकरण के नाम पर हो रहे कथित घोटालों और उत्पीड़न के खिलाफ अब 16 किसान संगठनों ने भी साथ दे दिया है.
4 जून को समस्त जिलों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी पूरी कर ली गई है. बिजली विभाग के कर्मचारियों का आरोप है कि निदेशक वित्त निधि नारंग ग्रांट थॉर्टन के साथ मिलीभगत कर घोटाले में शामिल हैं और उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है.
निदेशक निधि नारंग पर घोटाले का आरोप, कर्मचारियों में गुस्सा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के नाम पर बीते छह महीने से भारी अनियमितताएं और घोटाले किए जा रहे हैं. समिति का आरोप है कि निदेशक वित्त निधि नारंग ने ग्रांट थॉर्टन के साथ मिलकर निजी कंपनी के हित में फैसले लिए हैं जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ.
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले पर ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन अब तक चुप हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि निदेशक पर कार्रवाई करने के बजाय चेयरमैन उल्टा कर्मचारियों और अभियंताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं, जिससे पूरे विभाग में आक्रोश फैल गया है.
किसानों ने बिजली कर्मचारियों का थामा हाथ
बिजली विभाग (UPPCL) के निजीकरण के विरोध में अब किसान संगठनों ने भी खुलकर मोर्चा खोल दिया है. जानकारी के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा के साथ मिलकर 16 प्रमुख किसान संगठनों ने आगामी 4 जून को प्रदेश के सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन की घोषणा कर दी है.
इन संगठनों की मुख्य मांग है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण तुरंत रोका जाए. साथ ही बिजली दरों में बढ़ोतरी और स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को भी रद्द करने की मांग की गई है. किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि बिजली कर्मचारियों पर कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई हुई तो वे उनके समर्थन में बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे.
उत्पीड़न के खिलाफ लामबंद हो रहे बिजलीकर्मी
संघर्ष समिति का आरोप है कि बिजली कर्मियों और अभियंताओं के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की जा रही है. निजीकरण का विरोध करने वाले कर्मचारियों को ट्रांसफर किया जा रहा है, उनका वेतन काटा जा रहा है और चेतावनियां दी जा रही हैं.
इतना ही नहीं, कर्मचारी सेवा विनियमावली में भी ऐसे संशोधन किए गए हैं जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक हैं. इससे कार्य का वातावरण बिगड़ रहा है और ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का माहौल बन गया है. कर्मचारियों ने चेताया है कि यदि उत्पीड़न नहीं रोका गया तो राज्यभर में आंदोलन और तेज होगा.
हाइडिल कॉलोनी में बनी रणनीति, आंदोलन की तैयारी तेज
रविवार को फतेहपुर (Fatehpur) की हाइडिल कॉलोनी में संघर्ष समिति के संयोजक और पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में आगे की रणनीति तय की गई जिसमें तय किया गया कि आंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए ग्रामीण इलाकों और अन्य विभागों के कर्मचारियों से भी संवाद किया जाएगा.
समिति का मानना है कि निजीकरण से केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा लेकिन यदि उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की जाएगी.
बिजली विभाग में घोटालों पर चुप्पी क्यों? सरकार से जवाब
संघर्ष समिति ने सवाल उठाया है कि जब निजीकरण के नाम पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आ रहे हैं, तो सरकार इस पर चुप क्यों है. खासतौर पर जब निदेशक निधि नारंग पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं तो उन्हें बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है.
समिति का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया तो यह आंदोलन सरकार के खिलाफ एक बड़ा जनआंदोलन बन सकता है. बिजली कर्मचारियों को अब न सिर्फ दूसरे कर्मचारी संगठनों का बल्कि किसानों, ग्रामीणों और आम जनता का भी समर्थन मिलने लगा है.