
UP STF Action FIR: क्यूआर के जरिए होती थी करोड़ों की वसूली ! अफसरों के खाते में पहुंचती थी रकम, एसटीएफ की कार्रवाई में बड़े सिंडिकेट का खुलासा
यूपी के फतेहपुर, रायबरेली और उन्नाव में क्यूआर कोड के जरिए करोड़ों की अवैध वसूली का नेटवर्क एसटीएफ की विशेष कार्रवाई में बेनकाब हुआ है. लोकेटर, खनन अधिकारी, एआरटीओ और उनके चालकों तक करोड़ों की लेनदेन कड़ी मिली है. कार्रवाई में सामने आया कि अफसरों के पास भारी रकम भेजी जाती थी.
UP STF Action FIR: शासन के निर्देश पर एसटीएफ ने बड़े गिरोह का खुलासा किया है. जिसमें कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक क्यूआर कोड के जरिये होने वाली करोड़ों की अवैध वसूली का सबसे बड़ा सिंडिकेट आखिरकार एसटीएफ की कार्रवाई में धराशायी हो गया है. फतेहपुर, रायबरेली और उन्नाव में फैले इस नेटवर्क ने ओवरलोड ट्रकों, अवैध खनन और लोकेशन सिस्टम के नाम पर अफसरों के खातों में लगातार भारी रकम पहुंचाई गई. बिना रॉयल्टी के खदानों से कैसे ट्रक बाहर निकले इससे संचालक भी कार्रवाई के जद में आ सकते हैं.
क्यूआर कोड से करोड़ों की वसूली का खेल, शिकायत के एक महीने बाद एसटीएफ ने तोड़ी पूरी चेन

मोबाइल चैट, क्यूआर कोड और बैंक लेनदेन से सिंडिकेट का पर्दाफाश
एसटीएफ के हत्थे चढ़ा लोकेटर धीरेंद्र सिंह इस पूरे नेटवर्क की मुख्य कड़ी निकला. उसकी व्हाट्सएप चैटिंग, मोबाइल में सेव क्यूआर कोड और लेनदेन की लिस्ट देखकर टीम को पक्का भरोसा हो गया कि पूरा खेल अफसरों की शह पर चल रहा था. मोबाइल में खनन अधिकारी के गनर बबलू, एआरटीओ चालक ववलू और अन्य अफसरों के क्यूआर कोड मिले. धीरेंद्र ने माना कि अधिकतर भुगतान खनन अधिकारी का गनर ही करता था. कई नाम बदलकर सेव किए गए थे ताकि जांच में पकड़े न जाएं.
खनन अधिकारी, एआरटीओ और पीटीओ तक तार जुड़े: फतेहपुर,रायबरेली में संगठित भ्रष्टाचार का बड़ा नेटवर्क
फतेहपुर में खनन अधिकारी देशराज पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. वहीं रायबरेली के लालगंज थाने में एआरटीओ प्रशासन पुष्पांजलि मित्रा और पीटीओ अखिलेश चतुर्वेदी को भी नामजद किया गया है. दोनों के चालक सिकंदर और अशोक तिवारी पर भी कार्रवाई हुई है. विभाग में चर्चा है कि फतेहपुर और रायबरेली के एआरटीओ एक-दूसरे से सेटिंग में काम करते थे और किस ट्रक का चालान करना है यह फोन पर तय होता था. खनन माफिया पर दबाव बनाने और वसूली बढ़ाने के लिए दोनों जिलों में यह गठजोड़ लंबे समय से सक्रिय था.
ओवरलोड ट्रक, टूटी सड़कें और करोड़ों की काली कमाई
बांदा और आसपास की खदानों के चालू होने पर प्रतिदिन करीब तीन हजार ट्रक कानपुर–प्रयागराज हाईवे से गुजरते हैं. इनसे पांच से सात हजार रुपये प्रतिदिन वसूले जाते थे. महीनेभर में यह रकम डेढ़ से दो करोड़ आसानी से पार कर जाती थी. ओवरलोड ट्रकों ने रायबरेली–फतेहपुर सीमा के पुलों को नुकसान पहुंचाया. डलमऊ पुल भी ओवरलोड के भार से क्षतिग्रस्त हो गया. विभाग केवल दिखावे की कार्रवाई करता रहा, जबकि हजारों ट्रक बिना रोक-टोक गुजरते रहे और अफसरों के खातों में रकम चुपचाप पहुंचती रही.
फरार लोकेटर, खनन माफिया और रॉयल्टी घोटाले की नई परतें: एसटीएफ कई और बड़े नामों को घेरे में ले सकती है
शाह कस्बे का रहने वाला मुकेश तिवारी, जो मिट्टी खनन और ट्रकों की लोकेशन में सक्रिय था, रेड से पहले ही फरार हो गया. पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है. बड़ा सवाल यह है कि हजारों ट्रक बिना रॉयल्टी कैसे निकलते थे. एसटीएफ सीडीआर, खातों, क्यूआर कोड लेनदेन और कॉल रिकॉर्ड के जरिए कई और अधिकारियों के नाम जोड़ने में लगी है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में निलंबन और बड़ी कार्रवाई की लिस्ट और लंबी हो सकती है.
