
Fatehpur News: फतेहपुर के द ओक पब्लिक स्कूल में हुआ भगवान राम का राज्याभिषेक, जयकारों से गूंजा स्कूल परिसर

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के द ओक पब्लिक स्कूल में दीपावली उत्सव के अवसर पर भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक का आयोजन हुआ. छोटे बच्चों ने राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का रूप धारण कर सभी का मन मोह लिया. इस मौके पर शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भक्ति और संस्कृति से भरपूर माहौल बनाया.
Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर शहर के कलेक्टरगंज स्थित द ओक पब्लिक स्कूल में दीपावली के मौके पर रामराज्य की झलक देखने को मिली. जैसे ही मंच पर राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के रूप में सजे नन्हे-मुन्ने बच्चे पहुंचे, पूरा स्कूल ‘सीता राम जी की जय’ के नारों से गूंज उठा. भक्ति, उल्लास और शिक्षा का यह संगम बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का सुंदर प्रयास बना.
रामराज्य की झलक: नन्हे कलाकारों ने जीवंत किया अयोध्या का दृश्य

शिक्षकों ने किया अभिषेक और आरती, भाव-विभोर हुए बच्चे
राजा राम के राज्याभिषेक के इस विशेष आयोजन में शिक्षकों ने पारंपरिक रीति से भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का अभिषेक किया. आरती के दौरान जब पूरे स्कूल में घंटियों की मधुर ध्वनि गूंजी, तो बच्चे श्रद्धा से झुक गए. दीपों की रोशनी और फूलों की सजावट से सजा मंच बच्चों के लिए सीख का प्रतीक बना — कि त्याग, मर्यादा और आदर्शों का पालन ही सच्ची शिक्षा है.
विद्यालय परिसर में गूंजे जयघोष, हर चेहरा खिला उल्लास से

रोहिताभ सोलंकी बोले: शिक्षा के साथ संस्कृति से जोड़ना भी जरूरी
स्कूल के डायरेक्टर रोहिताभ सोलंकी ने कहा कि भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन के बाद हर घर दीपोत्सव में मग्न है. हमारे लिए यह जरूरी है कि हम बच्चों को न केवल आधुनिक शिक्षा दें, बल्कि उन्हें अपनी सनातन संस्कृति से भी जोड़ें. उन्होंने कहा कि द ओक पब्लिक स्कूल बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के साथ-साथ उन्हें यह भी सिखाता है कि अपनी संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों को कैसे अपनाया जाए.

शिक्षकों और बच्चों की सहभागिता बनी प्रेरणा
कार्यक्रम में प्रिंसिपल करिश्मा सिंह, काउंसलर श्रेया गुप्ता और शिक्षकों आदित्य, नीलम, मधु, मनीष, ऋषभ, रचित, शानू, इक़रा, मनाल, मंताशा, शुभांगी सहित सैकड़ों विद्यार्थी मौजूद रहे. सभी ने दीपों की रोशनी में प्रेम, अनुशासन और एकता का संदेश दिया. यह आयोजन नन्हे छात्रों के लिए न केवल उत्सव था बल्कि यह सीख भी कि शिक्षा तभी सार्थक है जब उसमें संस्कारों की नींव हो.