
Fatehpur Medical College: रात 9 के बाद सीनियर बेल्ट से करते हैं पिटाई ! शासन से शिकायत, छात्रों को मिल रही धमकी
फतेहपुर के अमर शहीद जोधा सिंह अटैया ठाकुर दरियाव सिंह मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का गंभीर मामला सामने आया है. जूनियर्स ने एंटी रैगिंग पोर्टल पर अनाम शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया है कि सीनियर छात्र रात में हॉस्टल में घुसकर बेल्ट से पिटाई करते हैं. शासन और यूजीसी ने जांच शुरू कर दी है.
Fatehpur Medical College: यूपी के फतेहपुर जिले के अल्लीपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एमबीबीएस 2025 बैच के छात्रों ने आरोप लगाया है कि 2024 बैच के सीनियर्स हॉस्टल में घुसकर मारपीट कर रहे हैं और शिकायत करने पर कॉलेज से निकालने की धमकी भी मिल रही हैं. एंटी रैगिंग पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद शासन स्तर पर जांच शुरू हो गई है और यूजीसी ने भी जवाब-तलब किया है.
मेडिकल कॉलेज में रैगिंग की शिकायत के बाद हड़कंप

लेकिन अब 2025 बैच के छात्रों ने आरोप लगाया है कि उनके सीनियर्स प्रतिदिन रात 9 बजे के बाद हॉस्टल में घुसकर बेल्ट से मारते हैं. छात्रों ने कहा कि वे डर के कारण खुलकर शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. पहचान उजागर होने के डर से एक छात्र ने करीब 15 दिन पहले शिकायत की. शिकायत सामने आने के बाद शासन स्तर पर मामला गंभीर माना गया है और तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं.
पहचान छिपाकर की गई शिकायत, शासन ने मांगा जवाब
छात्रों के आरोपों के अनुसार, लंबे समय से रैगिंग की घटनाएं जारी थीं लेकिन दबाव और डर की वजह से कोई खुलकर सामने नहीं आ पा रहा था. आखिरकार एक छात्र ने एंटी रैगिंग पोर्टल पर बिना नाम उजागर किए पूरी घटना की जानकारी अपलोड कर दी. जैसे ही यह शिकायत पोर्टल के जरिए उच्च स्तर तक पहुंची, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तुरंत कॉलेज प्रशासन से जवाब मांगा है.
शिकायत में साफ कहा गया है कि सीनियर्स द्वारा हॉस्टल के दरवाजे खुलवाकर मारपीट की जाती है और छात्रों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. शासन ने इस शिकायत को गंभीर मानते हुए पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर दी है ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके.
एंटी रैगिंग बैनर और होर्डिंग लगे, पर छात्र अभी भी डरे
जांच के आदेश मिलते ही कॉलेज प्रशासन ने एंटी रैगिंग जागरूकता के तहत कॉलेज परिसर और हॉस्टल में बड़े पैमाने पर साइनेज, बैनर और होर्डिंग लगा दिए हैं. इन पोस्टर्स में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का भी उल्लेख किया गया है. हालांकि छात्रों का कहना है कि सिर्फ बोर्ड लगाने से समस्या हल नहीं होती.
उनका दावा है कि शिकायत सामने लाने पर उन्हें कॉलेज से निकालने की धमकियां दी जा रही हैं. ऐसे में डर का माहौल बना हुआ है और कोई छात्र सीधे प्रशासन के सामने अपनी बात कहने को तैयार नहीं है. छात्रों का आरोप है कि कड़े कदम तभी उठेंगे जब प्रशासन सच्चाई उजागर करने वाले छात्रों को सुरक्षा देगा और सीनियर्स के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करेगा.
कॉलेज प्रशासन ने बनाई जांच कमेटी, मगर शिकायत से इंकार
प्राचार्य डॉक्टर राजेश मौर्य ने मीडिया को बताया कि इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है और छात्रों को बुलाकर बात भी की गई. लेकिन किसी भी छात्र ने लिखित या मौखिक रूप से शिकायत दर्ज नहीं कराई. प्राचार्य का दावा है कि बच्चों ने किसी भी रैगिंग की घटना से साफ इनकार किया है.
प्रशासन का यह तर्क छात्रों के लिए परेशानी की वजह बन रहा है. छात्रों का कहना है कि धमकियों के कारण कोई सामने नहीं आना चाहता. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब शिकायत पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी है तो फिर कॉलेज जांच में सक्रियता क्यों नहीं दिखा रहा.
यूजीसी का पत्र, कार्रवाई बताने को कहा
एंटी रैगिंग पोर्टल से शिकायत सीधे यूजीसी तक पहुंची है. इसके बाद 21 नवंबर को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कॉलेज प्रशासन को पत्र भेजकर पूछा है कि आखिर इस रैगिंग की शिकायत पर कॉलेज ने अब तक कौन से कदम उठाए हैं.
यूजीसी ने स्पष्ट कहा है कि एंटी रैगिंग कानून का पालन हर हाल में कराया जाना चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए. एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक नॉन मेडिको डॉक्टर और एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्य ने उन्हें धमकाया कि यदि किसी ने मुंह खोला तो कॉलेज से निकालकर बाहर कर दिया जाएगा. ऐसे आरोप इस मामले को और गंभीर बना रहे हैं और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
