Uttar Pradesh: कौन पाएगा पेंशन किसे नहीं मिलेगी ! योगी सरकार ने बनाया कड़ा कानून, शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल
योगी सरकार यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में ‘पेंशन हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश-2025’ को बिल के रूप में लाने जा रही है. यह कानून स्पष्ट करेगा कि किन कर्मचारियों को पेंशन मिलेगी और किन्हें नहीं. सरकार का उद्देश्य पेंशन दावों पर नियंत्रण और पात्रता नियमों में पारदर्शिता लाना है.
Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में पेंशन पात्रता को लेकर वर्षों से जारी भ्रम को खत्म करने के लिए योगी सरकार निर्णायक कदम उठाने जा रही है. इस शीतकालीन सत्र में सरकार वह कानून पेश करेगी जो तय करेगा कि राज्य में किस कर्मचारी को पेंशन का अधिकार मिलेगा और कौन पात्र नहीं होगा. अगस्त में मंजूर अध्यादेश अब स्थायी कानून बनेगा, जिससे पेंशन विवादों पर निर्णायक रोक लगने की उम्मीद है.
सत्र में आएगा बड़ा पेंशन बिल

अब सरकार ‘उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश-2025’ को बिल बनाकर लागू करने जा रही है. दोनों सदनों में पारित होते ही यह स्थायी कानून बन जाएगा, जो भविष्य के पेंशन नियमों को स्पष्ट और बाध्यकारी बनाएगा.
कैबिनेट ने पहले ही तय किया रास्ता
हजारों मामले अदालतों में लंबित हैं जिनमें बिना नियमों के पालन के कर्मचारियों ने पेंशन का दावा किया है. अब सरकार इसे स्थायी कानून बनाकर इन सभी विवादास्पद दावों को नियंत्रित करना चाहती है.
स्पष्ट होगी पेंशन की पात्रता
नए प्रस्तावित कानून में यह साफ-साफ लिखा है कि केवल वे कर्मचारी पेंशन पाएंगे जिनकी नियुक्ति विभागीय नियमावली के अनुसार किसी नियमित और स्थायी पद पर हुई थी. यानी कि वैध नियुक्ति ही पेंशन का आधार होगी. सरकार ने साफ कर दिया है कि दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मचारी, अस्थायी नियुक्ति वाले लोग—even यदि वे CPF या EPF के सदस्य हों—पेंशन का दावा नहीं कर पाएंगे. इससे वर्षों पुरानी गलतफहमियों और विवादित दावों पर बड़ी चोट पड़ेगी.
1961 से लागू माने जाएंगे नियम
इस कानून का सबसे बड़ा पहलू यह है कि इसे 1 अप्रैल 1961 से लागू माना जाएगा. इसका सीधा प्रभाव उन पुराने और विवादित पेंशन मामलों पर पड़ेगा जो दशकों से अदालतों में लंबित हैं. कई मामलों में नियमों का पालन नहीं करके नियुक्त हुए लोगों ने सेवा समाप्ति के बाद पेंशन की मांग की थी. नए प्रावधान लागू होने के बाद ऐसे दावे स्वतः अप्रभावी हो जाएंगे, जिससे न्यायालयों और सरकार दोनों को राहत मिलेगी.
गलत दावों पर लगेगी निर्णायक रोक
कई वर्षों से विभागीय विसंगतियों, अस्पष्ट नियुक्ति प्रक्रियाओं और परस्पर विरोधी नियमों के कारण पेंशन दावों की संख्या लगातार बढ़ी है. सरकार का मानना है कि पेंशन एक वित्तीय और प्रशासनिक जिम्मेदारी है, जिसे बिना स्पष्ट नियमों के आधार पर नहीं दिया जा सकता. नया कानून पेंशन दावों को नियंत्रित करेगा, पारदर्शिता बढ़ाएगा और अनियमित नियुक्तियों को पेंशन के दायरे से पूरी तरह बाहर कर देगा.
