UP Shiksha Mitra News: शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर यूपी सरकार करे विचार ! हाईकोर्ट ने कहा, मानदेय जीवनयापन के लिए अपर्याप्त
यूपी शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा?
यूपी में शिक्षमित्रों (Shikshamitra) के मानदेय (Honorarium) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Highcourt) ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है, कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का मानदेय जीवनयापन (Livelihood) के लिए नाकाफी है. इसपर सरकार विचार करें.
शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर हाईकोर्ट ने भी माना अपर्याप्त
यूपी में शिक्षामित्रों के मानदेय (Honorarium) को लेकर लगातार कोर्ट में याचिकाएं (Petitions) डाली जा रही हैं. प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों के अपर्याप्त (Insufficient) मानदेय को लेकर उनके जीवनयापन (Livelihood) में संकट गहराया हुआ है. जिसे खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना है. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार (Up. Govt) से शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाये (Increase) जाने पर विचार करने को कहा है. उनका मानना है कि इनका वेतन देश के वित्तीय इंडेक्स (Financial Index) के अनुसार जरूरी धन से कम है.
हाईकोर्ट ने इस पर विचार करने को कहा
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों (Shikshamitra) के मानदेय (Honorarium) को लेकर हाईकोर्ट ने भी चिंता व्यक्त की है. शिक्षामित्रों जो पिछले काफी वर्षो से सहायक अध्यापक की तरह ही पढा रहे हैं. अपर्याप्त मानदेय के चलते जीविकोपार्जन (Livelihood) में दिक्कतें आने लगी है. जिसको लेकर याचिकाये (Petitions) कोर्ट में डाली गई.
शिक्षामित्रों को दिए जा रहे मानदेय को कोर्ट ने कम माना है. जिसके बाद कोर्ट ने प्रदेश सरकार को इस मामले में विचार करने के लिए कहा है. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति (Justice) सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारती समेत 10 याचिकाओं (Petitions) को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिए हैं. लेकिन कोर्ट ने समान कार्य और समान वेतन की मांग को इनकार भी किया है.
राज्य सरकार का आया तर्क सामने
वही राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जो संविदा (Contract) पर शिक्षामित्र कार्यरत है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि ऐसे लोगों को समान कार्य और समान वेतन देने से अपने फैसलों में इंकार किया है.
जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि अब यह कोर्ट के द्वारा नहीं तय किया जा सकता है, यह तय विशेषज्ञ प्रधिकारी करें. इसलिए जिन लोगों को कुछ कहना भी है वह सरकार से सम्पर्क करें. फिर भी कोर्ट ने मांग पर इसपर विचार के लिए कहा है.