अब ई-रजिस्ट्री से होगा संपत्ति का लेन-देन: पैतृक संपत्ति के बंटवारे में अब इतने रुपए की होगी रजिस्ट्री

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लखनऊ में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में रजिस्ट्री और पैतृक संपत्ति से जुड़े अहम फैसले लिए गए. अब संपत्ति की खरीद-बिक्री ई-रजिस्ट्री के जरिए होगी और पैतृक संपत्ति का बंटवारा मात्र 5 हजार रुपये में रजिस्ट्री से संभव होगा. इस फैसले से प्रदेश में हर साल होने वाली 40 लाख रजिस्ट्रियों को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा.
Cabinet Meeting In UP: योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में ऐसा फैसला लिया है जिससे संपत्ति खरीद-बिक्री और पैतृक संपत्ति का बंटवारा अब बेहद आसान हो जाएगा. कैबिनेट मीटिंग के दौरान जिन 15 प्रस्तावों पर मुहर लगी है उनमें रजिस्ट्री और पैतृक संपत्ति स्टांप को भी शामिल किया गया है. सरकार ने ई-रजिस्ट्री की व्यवस्था लागू कर दी है और पैतृक संपत्ति का बंटवारा महज 5 हजार रुपये शुल्क पर किया जा सकेगा. इस कदम से लोगों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और संपत्ति से जुड़े विवादों में भी भारी कमी आएगी.
मोबाइल से होगी रजिस्ट्री, फाइलों का झंझट खत्म
सरकार ने अब रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाने का फैसला किया है. पहले जहां लोगों को हाथ में फाइल लेकर रजिस्ट्रेशन ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते थे, वहीं अब सिर्फ मोबाइल और सॉफ्ट कॉपी में दस्तावेज अपलोड करना होगा. संपत्ति की खरीद-बिक्री के लिए ई-रजिस्ट्री लागू की गई है. ऑनलाइन आवेदन करने पर स्टांप फीस भी डिजिटल मोड से जमा होगी और रजिस्ट्री की डीड ई-मेल के जरिए आवंटी तक पहुंच जाएगी. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी.
पैतृक संपत्ति का बंटवारा मात्र 5 हजार रुपये में
कैबिनेट बैठक में सबसे बड़ा फैसला पैतृक संपत्ति को लेकर लिया गया. अब कोई भी परिवार केवल 5 हजार रुपये शुल्क जमा करके रजिस्ट्री के जरिए बंटवारा करा सकेगा. इस फैसले के बाद पारिवारिक विवादों में काफी कमी आएगी क्योंकि रजिस्ट्री के दस्तावेज को कानूनी मान्यता मिलेगी. पहले जहां लोग भारी-भरकम फीस चुकाने या वर्षों तक अदालतों के चक्कर लगाने को मजबूर थे, वहीं अब यह प्रक्रिया सरल और सस्ती हो जाएगी.
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सरकारी विभागों से हुई शुरुआत
सीएम योगी के निर्देश पर स्टांप और पंजीकरण विभाग ने इस प्रक्रिया की शुरुआत सरकारी विभागों से की है. सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में जमीनों की रजिस्ट्री होती है, इसलिए इन्हें पहले ई-रजिस्ट्री प्रणाली से जोड़ा गया है. धीरे-धीरे इसे आम जनता के लिए पूरी तरह से लागू किया जाएगा. अनुमान है कि हर साल होने वाली 40 लाख रजिस्ट्रियों में अब ई-रजिस्ट्री का उपयोग होगा.
जनता को मिलेगा सीधा फायदा
सरकार का मानना है कि इस फैसले से न केवल पारिवारिक विवाद कम होंगे बल्कि लोगों को कानूनी सुरक्षा भी मिलेगी. अब किसी भी तरह की रजिस्ट्री या बंटवारे की प्रक्रिया लंबी नहीं होगी. साथ ही, यह कदम भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाएगा क्योंकि पूरी प्रक्रिया डिजिटल और ट्रैकिंग सिस्टम से जुड़ी होगी.