
UP Bagless School: उत्तर प्रदेश में बिना बैग के स्कूल जाएंगे बच्चे ! जाने योगी सरकार का क्या है प्लान
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने परिषदीय स्कूलों में एनईपी 2020 के तहत एक बड़ा कदम उठाया है. अब कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे साल में 10 दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे. इन दिनों में खेल, कला, भाषण, पिकनिक और कौशल आधारित गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का बहुमुखी विकास किया जाएगा.
UP Bagless School: यूपी के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए एक नई पहल शुरू हो गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अब छात्र 10 दिन तक बैग के बिना स्कूल जाएंगे, जहां पढ़ाई किताबों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि गतिविधियों के जरिये कौशल विकास, अनुभव आधारित सीखने और मानसिक तनाव कम करने पर फोकस किया जाएगा. यह पहल बच्चों को शिक्षा के नए स्वरूप से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
बैगलेस दिनों की शुरुआत और सरकार की बड़ी मंशा

एनईपी 2020 की सिफारिशों के आधार पर यह व्यवस्था पूरे शैक्षणिक सत्र में 10 दिनों के लिए लागू की गई है. इन दिनों को खासतौर से इस तरह डिजाइन किया गया है कि छात्रों का बहुमुखी विकास हो और वे पढ़ाई को एक बोझ की बजाय आनंदमय अनुभव के रूप में महसूस करें. इससे छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ेगा, मानसिक तनाव कम होगा और शिक्षा को अधिक व्यावहारिक रूप में समझने का अवसर मिलेगा.
बच्चों के लिए खास तौर पर तैयार हुई 'आनंदम मार्गदर्शिका'
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने विशेष रूप से परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों, कंपोजिट स्कूलों और केजीबीवी के छात्रों के लिए ‘आनंदम मार्गदर्शिका’ तैयार की है. इसका उद्देश्य छात्रों को आनंदमय ढंग से सीखने का अनुभव देना है.
इस मार्गदर्शिका में विभिन्न गतिविधियों को इस तरह शामिल किया गया है कि बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़े, उनके भीतर टीमवर्क, रचनात्मकता और कम्युनिकेशन स्किल्स विकसित हों. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहकर अनुभव आधारित तरीके से छात्रों तक पहुंचे.
गतिविधियों के जरिये कौशल विकास पर जोर
बैगलेस दिनों को पूर्ण रूप से गतिविधि आधारित बनाया गया है. इन दिनों में खेलकूद, ग्राउंड एक्टिविटी, भाषण प्रतियोगिताएं, वाद–विवाद, कला, संगीत, डांस, क्रिएटिव प्रोजेक्ट और पिकनिक जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाएगा. इनका उद्देश्य बच्चों की छिपी हुई प्रतिभा को बाहर लाना है. अनुभव आधारित गतिविधियों के माध्यम से बच्चे वास्तविक जीवन की परिस्थितियों को समझते हैं और उनमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है. ये गतिविधियां विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनने की दिशा में प्रेरित करती हैं.
समुदाय और स्थानीय कौशल से जुड़ने का अवसर
बैगलेस दिनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह भी है कि बच्चों को समुदाय और स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों व स्थानीय व्यवसायों से जोड़ने का अवसर मिलेगा. सरकार का मानना है कि बच्चों को स्थानीय कौशल, शिल्प और परंपराओं से जोड़ना बेहद जरूरी है ताकि वे अपने समाज की वास्तविकताओं को समझ सकें.
इससे विद्यार्थी न केवल स्थानीय कला और संस्कृति को जानेंगे बल्कि भविष्य में रोजगार और कौशल विकास की संभावनाओं से भी परिचित होंगे. यह कदम उन्हें आत्मनिर्भर और व्यावहारिक ज्ञान से संपन्न बनाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कब-कब होंगे बैगलेस दिन
सरकार ने इन 10 बैगलेस दिनों का शैक्षणिक कैलेंडर भी जारी किया है. नवंबर का तीसरा और चौथा शनिवार, दिसंबर का पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा शनिवार, जनवरी का तीसरा और चौथा शनिवार तथा फरवरी का पहला व दूसरा शनिवार बैगलेस दिनों के रूप में तय किए गए हैं.
यह समय इसलिए चुना गया है ताकि बच्चों को पढ़ाई में किसी तरह की बाधा न आए और वे सप्ताहांत पर गतिविधि आधारित सीखने का पूरा लाभ उठा सकें. इन निर्धारित दिनों का उद्देश्य छात्रों को नियमित पढ़ाई से थोड़ा ब्रेक देना और उन्हें मानसिक रूप से तरोताजा रखना है.
