UPPCL News Today: बिजली कर्मचारियों की आर-पार की लड़ाई ! निजीकरण के खिलाफ 29 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली निगमों के निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति आर-पार की लड़ाई के मूड में है. 21 मई से विरोध प्रदर्शन शुरू होंगे और 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार होगा. प्रबंधन पर घाटा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और निजी घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप है.

UPPCL News Today: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. समिति ने 21 से 28 मई तक हर जिले और परियोजना पर तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन और 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की है. कर्मचारी संगठन पावर कॉरपोरेशन पर आंकड़ों में फर्जीवाड़ा कर घाटा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
निजीकरण के खिलाफ एकजुट हुई बिजली यूनियन
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश है. मंगलवार को फतेहपुर (Fatehpur) समेत प्रदेश के 42 जिलों में कर्मचारियों ने तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन किया.
अधीक्षण अभियंता कार्यालय फतेहपुर में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक प्रदर्शन हुआ, जिसमें विजय कटारिया संयोजक, मीटर विभाग के सहायक अभियंता जितेन्द्र कुमार, SDO प्रवीण सक्या, JE संघ अध्यक्ष जितेन्द्र मौर्य, प्राविधिक संघ के जिला सचिव लवकुश मौर्य, कार्यकारी सहायक संघ के जयसिंह कुशवाहा और विवेक मधुरे सहित कई पदाधिकारी शामिल हुए. कर्मचारियों ने निजीकरण की साजिश को रोकने की चेतावनी दी.
21 मई से हर जिले में तीन घंटे का विरोध, 29 मई से हड़ताल
संघर्ष समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि 21 मई से 28 मई तक प्रत्येक जिले और परियोजना स्थल पर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बाद 29 मई से प्रदेशभर में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू होगा.
इसी दिन देशभर के बिजली कर्मचारी भी उत्तर प्रदेश के आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करेंगे. समिति ने बताया कि इस हड़ताल से पहले केंद्रीय पदाधिकारी प्रदेशव्यापी दौरे पर निकलेंगे और आंदोलन को और मजबूत करेंगे.
पावर कॉरपोरेशन पर फर्जी घाटा दिखाने का आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. समिति के अनुसार, केवल चार दिन में एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) को दोबारा संशोधित कर घाटा ₹9206 करोड़ से बढ़ाकर ₹19600 करोड़ दिखा दिया गया. समिति का दावा है कि यह आंकड़े जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किए गए हैं ताकि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा सके.
आगरा (Agara) का उदाहरण देते हुए कहा गया कि निजीकरण से पहले एटी एंड सी हानियों को 54% बताया गया था जबकि असलियत में यह 40% से कम थीं. आज पावर कॉरपोरेशन 5.55 रु/यूनिट में बिजली खरीदकर निजी कंपनी को 4.36 रु/यूनिट में दे रहा है, जिससे सालाना ₹274 करोड़ का घाटा हो रहा है.
शक्ति भवन में प्रदर्शन के दौरान हुआ टकराव, प्रबंधन पर दमनकारी रवैये का आरोप
लखनऊ (Lucknow) के शक्ति भवन में विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने सभी गेट बंद कर दिए. बाहर से कोई अंदर नहीं जा सकता था और न अंदर से बाहर आ सकता था.
कर्मचारियों ने इसे दमनकारी रवैया बताते हुए इसका विरोध किया. संघर्ष समिति के हस्तक्षेप के बाद गेट खोले गए. समिति ने इस अव्यवस्था की जिम्मेदारी चेयरमैन पर डालते हुए कहा कि यह कृत्य लोकतांत्रिक प्रदर्शन को रोकने की कोशिश है.
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ने दिया समर्थन
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि 29 मई को पूरे देश में प्रदर्शन किया जाएगा. समिति के मुताबिक देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाएंगे. संयोजक शैलेंद्र दुबे ने चेतावनी दी कि यदि किसी भी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी कर्मचारी पर दमनकारी कार्रवाई की गई, तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी और इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी.