UPPCL News: यूपी में अब लोगों की जेबों से होगी अधिक कटौती ! 30 प्रतिशत महंगी होगी बिजली, जानिए मामला
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यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने नियामक आयोग के समक्ष 30 फीसदी बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. 19,600 करोड़ रुपये के अनुमानित घाटे के चलते यह निर्णय जरूरी बताया गया है. पहली बार बिजली कंपनियों ने बैलेंस शीट और कैश फ्लो के वास्तविक आंकड़े पेश किए हैं.

UPPCL News Bijli: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली जल्द ही 30 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है. यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने सोमवार को राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष इस बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखते हुए बताया कि कंपनियों को अब घाटा उठाना संभव नहीं है. 19,600 करोड़ रुपये के संभावित घाटे और बढ़ते खर्चों के बीच कॉरपोरेशन ने पहली बार आय-व्यय के वास्तविक आंकड़े पेश करते हुए दरों में इजाफे की जरूरत जताई है.
इतिहास की सबसे बड़ी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी पावर कॉरपोरेशन ने बिजली दरों में 30% बढ़ोतरी का जो प्रस्ताव नियामक आयोग को सौंपा है, उसे ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास की सबसे बड़ी दर वृद्धि बताया जा रहा है. अब तक सालाना राजस्व आवश्यकता (ARR) पूर्व निर्धारित मानकों के आधार पर दाखिल होती थी, जिसमें कई खर्च छुपा दिए जाते थे.
लेकिन इस बार कंपनियों ने बैलेंस शीट और कैश फ्लो की असल स्थिति पेश की है ताकि सही निर्णय हो सके. पहले जहां 2025-26 का घाटा 9,200 करोड़ बताया गया था, वहीं अब यह बढ़कर 19,600 करोड़ रुपये पहुंचने की आशंका है.
88% वसूली, 1 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता नहीं भरते बिल
कॉरपोरेशन के मुताबिक 2024-25 में उपभोक्ताओं से बिजली बिलों की वसूली केवल 88% रही. 54.24 लाख उपभोक्ताओं ने एक बार भी बिजली बिल नहीं चुकाया है, जिन पर 36,353 करोड़ रुपये बकाया हैं.
इसके अलावा 78.65 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जो बीते 6 माह से बिल नहीं भर रहे, इन पर 36,117 करोड़ रुपये बकाया हैं. कॉरपोरेशन का कहना है कि 100% वसूली व्यावहारिक नहीं है, इसलिए दर निर्धारण में इन स्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
कुल खर्च 1.10 लाख करोड़ के पार, फिर भी बना 11,469 करोड़ का घाटा
वित्तीय वर्ष 2024-25 में कॉरपोरेशन और डिस्कॉम्स का कुल खर्च 1,10,511 करोड़ रुपये रहा. इसमें 77,013 करोड़ बिजली खरीदने में, 7,927 करोड़ परिचालन व अनुरक्षण में, 6,286 करोड़ ब्याज और 15,983 करोड़ रुपये ऋण भुगतान में खर्च हुए.
जबकि राजस्व सिर्फ 61,996 करोड़ रुपये मिला. सरकार ने 19,494 करोड़ की सब्सिडी और 13,850 करोड़ अनुदान देकर राहत दी, लेकिन इसके बावजूद 11,469 करोड़ रुपये का घाटा बचा रह गया. मार्च 2024 तक कॉरपोरेशन का कुल नुकसान 1.10 लाख करोड़ रुपये के पार जा चुका है.
ग्रामीण क्षेत्रों में 50% से अधिक बिजली नुकसान
प्रदेश के 23,509 फीडरों में से 15,588 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जिनमें 8,083 फीडरों पर तकनीकी व वाणिज्यिक हानियां 50% से अधिक हैं. शहरी क्षेत्रों में भी 859 फीडरों की यही स्थिति है.
बीते 10 वर्षों में उपभोक्ता सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार पर 70,792 करोड़ रुपये खर्च हुए, बावजूद इसके ट्रांसफॉर्मर की क्षति दर 10% से ऊपर बनी हुई है. यह बताता है कि व्यवस्था में अब भी बड़ी खामियां मौजूद हैं.
बिजली दरें स्थिर लेकिन खर्च और घाटा बढ़ता गया
पिछले पांच वर्षों में बिजली दरों में कोई इजाफा नहीं हुआ है. लेकिन बीते चार वर्षों में बिजली कंपनियों का खर्च 8.3% की दर से और राजस्व 6.7% की दर से बढ़ा. नतीजा यह रहा कि राजस्व घाटा हर साल 12.4% की दर से बढ़ता गया.
उपभोक्ताओं से वसूली का औसतन अंतर 2023-24 में 2.92 रुपये प्रति यूनिट था, जो अब 2024-25 में 3.28 रुपये प्रति यूनिट हो गया है. UPPCL के मुताबिक, यदि दरें नहीं बढ़ाई गईं तो बिजली आपूर्ति व्यवस्था खुद ही चरमरा जाएगी.