Fatehpur News: फतेहपुर में सपा नेता का शिलापट्ट तोड़ा गया ! किया गया उद्घाटन, जानिए राजनीति के नंगे नाच की इनसाइड स्टोरी
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन सपा नेता कपिल यादव से कराने के बाद राजनीतिक गलियारे में घमासान मच गया..शिलापट्ट को तोड़कर भाजपा विधायक का शिलापट्ट लगवाया गया और प्रधान और उसके परिवार पर ही जबरन मुकदमे लगाए गए जानिए खबर की पूरी इनसाइड स्टोरी

Fatehpur News: लोकतंत्र की नींव कहे जाने वाले ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर किस तरह से सियासी तमाशा हो रहा है, उसकी बानगी गाजीपुर थाना क्षेत्र के धनसिंहपुर गांव में देखने को मिली. एक ओर समाजवादी पार्टी से जुड़े जिला पंचायत सदस्य कपिल यादव के हाथों डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन होता है, तो दूसरी ही सुबह उनका नाम अंकित शिलापट्ट ईंट और हथौड़े से तोड़ा जाता है.
और हैरत की बात यह कि आरोपियों को पकड़ने की बजाय पुलिस खुद ग्राम प्रधान के परिवार पर झूठे मुकदमे थोप देती है..वहीं, अगले ही दिन सत्ता पक्ष के विधायक द्वारा फिर से डिजिटल लाइब्रेरी का शिलापट्ट लगवाकर उद्घाटन किया जाता है. आइए जानते हैं इस राजनीतिक नंगे नाच की इनसाइड स्टोरी
24 घंटे में टूटा विकास का सपना, डिजिटल लाइब्रेरी का शिलापट्ट बना राजनीति का हथियार
27 अप्रैल 2025 को ग्राम पंचायत धनसिंहपुर में एक बड़ी पहल के तहत डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण पूरा हुआ. ग्राम प्रधान सुनीता यादव ने इस योजना का उद्घाटन समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत सदस्य कपिल यादव से कराया. लेकिन अगले ही दिन 28 अप्रैल की सुबह 9 बजकर 33 मिनट पर कुछ अराजक तत्व पंचायत भवन में घुसकर उद्घाटन शिलापट्ट को हथौड़ों और ईंटों से तोड़कर चकनाचूर कर देते हैं.
प्रधान द्वारा पुलिस को मोबाइल से सूचना देने पर एसएचओ गाजीपुर लिखित तहरीर मांगते हैं. जब प्रधान पति रमेश यादव और भतीजा दिलीप कुमार शिकायत लेकर थाने पहुंचे, तो उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया. विकास का प्रतीक बना शिलापट्ट अब राजनीतिक द्वेष का शिकार हो चुका था.
CCTV में कैद आरोपी, पुलिस ने पीड़ितों पर जबरन लिखा मुकदमा
पंचायत भवन में लगे CCTV कैमरों में पूरी घटना रिकॉर्ड हो चुकी थी—चेहरे साफ़ दिख रहे थे, ईंटें बरस रही थीं..फुटेज में जिन लोगों की पहचान प्रधान ने की उनमें शुभम पटेल, राममिलन, दिनेश यादव, अरविंद यादव, पंकज और विनोद गुप्ता शामिल हैं.
लेकिन इन सबके बावजूद न तो पुलिस ने फुटेज की जांच की, न ही कोई गिरफ्तारी की..उल्टा, प्रधान के पति रमेश यादव और भतीजे दिलीप को BNS की धारा 170 में चालान कर हवालात में डाल दिया गया. सवाल यह है कि जब सबूत मौजूद हैं, तो फिर कार्रवाई पीड़ितों पर क्यों? क्या सत्ता की नज़दीकी आरोपी को अभयदान दे रही है?

कलेक्ट्रेट पर महिला प्रधान का धरना, देर रात हिरासत से छोड़े गए परिजन
पति और भतीजे की गिरफ्तारी के विरोध में प्रधान सुनीता यादव ने समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना शुरू कर दिया. धरना कई घंटे चला, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हुए. प्रधान की मांग थी कि निर्दोषों को छोड़ा जाए और असली आरोपियों पर मुकदमा हो.
प्रशासन पर जनता का दबाव जब बढ़ा, तब रात में पुलिस ने रमेश यादव और दिलीप कुमार को हिरासत से रिहा कर दिया..हालांकि FIR अब भी दर्ज है और मामला लटका हुआ है. प्रधान का कहना है कि सत्ता के इशारे पर प्रशासन ने उन्हें बदनाम करने और डराने की कोशिश की, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी.
विधायक ने पहले पल्ला झाड़ा, फिर खुद किया उद्घाटन
दैनिक जागरण की ख़बर के मुताबिक विधायक विकास गुप्ता (MlA Vikas Gupta) ने कहा, मेरे किसी समर्थक द्वारा कोई तोड़फोड़ नहीं की गई है, यह आरोप पूरी तरह गलत हैं. मैंने सिर्फ इतना कहा कि शासन की मंशा के अनुसार डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन हो. विधानसभा क्षेत्र का हर नागरिक मेरा है. किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं है. किसी के साथ कोई ज्यादती नहीं होनी चाहिए..लेकिन यदि कोई विकास कार्यों में अड़ंगा डालने की कोशिश करेगा, तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अगले ही दिन उन्होंने खुद उसी डिजिटल लाइब्रेरी का पुनः उद्घाटन कर दिया..यही नहीं, टूटा हुआ शिलापट्ट हटाकर वहां अब विधायक का नाम अंकित शिलापट्ट लगाया गया है..यदि कपिल यादव के नाम वाला शिलापट्ट तोड़ा जाना ‘सामान्य’ घटना होती, तो उसे फिर से लगाया जाता, किसी नए उद्घाटन की ज़रूरत नहीं पड़ती..इस घटना से स्पष्ट है कि पूरी कार्रवाई राजनीतिक रूप से पूर्व नियोजित थी—और स्थानीय सत्ता पक्ष इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहा.
FIR का खेल: एसएचओ ने जबरन दर्ज कराया मुकदमा
ग्राम प्रधान के पति रमेश यादव ने आरोप लगाया है कि जब वे थाने में थे, तब उन्होंने स्पष्ट सुना कि एसएचओ प्रमोद मौर्य ग्राम विकास अधिकारी दिनेश कुमार पर तहरीर लिखवाने का दबाव बना रहे थे..बाद में दिनेश कुमार की ओर से दर्ज कराई गई FIR में जान से मारने की धमकी का आरोप भी लगाया गया, जिसे रमेश यादव ने सिरे से खारिज किया है.
उनका कहना है कि थाने में मौजूद रहते हुए एसएचओ ने खुद उन्हें धमकाया और कहा, “देखते जाओ, तुम्हारे खिलाफ कितने मुकदमे दर्ज होते हैं. तुम विधायक के खिलाफ जाओगे, तो छोड़ा नहीं जाएगा” इसके साथ ही शिलापट्ट तोड़ने वाले व्यक्ति भाजपा बूथ अध्यक्ष शुभम से खुद प्रमोद मौर्या ने प्रधान और उसके परिवार पर एक और मुकदमा कराया..यह दर्शाता है कि थाने का संचालन स्वतंत्र नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव में हो रहा है.
29 अप्रैल की रात गहरी साजिश—शिलापट्ट उखाड़ ले गए स्कॉर्पियो सवार
29 अप्रैल को धनसिंहपुर में विधायक विकास गुप्ता (MlA Vikas Gupta) का उद्घाटन कार्यक्रम और चौपाल आयोजन किया गया. बिना ग्राम प्रधान की सहमति के चार नए शिलापट्ट अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए. कार्यक्रम तो शांतिपूर्ण रहा, लेकिन रात करीब 10 बजे एक बार फिर साजिश का रंग दिखा—काली स्कॉर्पियो गाड़ी में आए कुछ लोग इन सभी शिलापट्टों को उखाड़कर कार में भरकर ले गए.

शिकायती पत्र के मुताबिक दिनेश यादव और शुभम पटेल को गाड़ी से उतरकर शिलापट्ट उखाड़ते हुए देखा गया..इनमें से तीन शिलापट्ट तो दूसरे गांव में थे. प्रधान पति रमेश यादव कहते हैं कि डीएम को शिकायती पत्र देते ही नए शिलापट्ट लगाए गए इस बार उसमे प्रधान का नाम अंकित किया गया.. उन्होंने कहा कि सब कुछ सुनियोजित तरीके से क्षेत्रीय विधायक विकास गुप्ता के कहने पर हो रहा है.
पहले से फर्जी मुकदमों का शिकार रहा प्रधान परिवार
ग्राम पंचायत धनसिंहपुर की प्रधान सुनीता यादव और उनका परिवार बीते चार वर्षों से राजनीतिक रंजिश और फर्जी मुकदमों का शिकार रहा है.. ग्राम प्रधान ने आरोप लगाया है कि उनके पति रमेश यादव, भतीजे और अन्य पर पहले भी तीन बार झूठे और मनगढ़ंत मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं.
इनमें से एक मामले में तो 80 साल के वृद्ध परिजन तक को जेल में डाल दिया गया था..परिवार के छात्रों की पढ़ाई और करियर इस प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की भेंट चढ़ चुके हैं..उनका आरोप है कि जिला प्रशासन राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें विकास कार्य नहीं कराने देता है और जबरन उनके ग्राम पंचायत की कई-कई बार जांच कराई जाती है.
CM पोर्टल और जिलाधिकारी से न्याय की गुहार
ग्राम प्रधान सुनीता यादव ने अब मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है और जिलाधिकारी फतेहपुर को भी विस्तृत ज्ञापन सौंपा है..शिकायत में उन्होंने CCTV फुटेज, नामजद आरोपियों की सूची, पुलिस की भूमिका और झूठी FIR की प्रतिलिपि भी संलग्न की है.
प्रधान का कहना है कि अगर प्रशासन निष्पक्ष होता, तो न वह धरना देती, न उन्हें परिवार समेत अपमान झेलना पड़ता..अब उन्हें सिर्फ मुख्यमंत्री कार्यालय से उम्मीद है..उन्होंने जांच की मांग एक स्वतंत्र एजेंसी से की है, ताकि इस राजनीतिक षडयंत्र का पर्दाफाश हो सके..उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं, ग्राम स्वराज्य और लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है.