Fatehpur News: फतेहपुर के इस गांव में विकास नहीं, सत्ता का शक्ति प्रदर्शन हो रहा है
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक जांचों की बौछार इतनी हो चुकी है कि गांव में विकास कार्य रोकने, सड़क तोड़ने और तालाब खुदाई पर रोक लगाने के आरोप लगाने डीएम की चौखट पर पहुंच गईं हैं..पूरा मामला जानते ही आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे.

Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर में विकास से ज्यादा महत्वपूर्ण एक चीज है "विधायक जी की प्रतिष्ठा"अगर कोई प्रधान गांव में सड़क, तालाब, या कोई और विकास कार्य करवाना चाहता है, तो उसे पहले ये सुनिश्चित करना होगा कि "इससे विधायक जी की प्रतिष्ठा को कोई आंच न आए"
अगर प्रधान ने गलती से भी विकास की हिम्मत कर ली, तो प्रशासन हरकत में आएगा, जांच की टीम दौड़ाई जाएगी, धमकियां दी जाएंगी, और विकास कार्यों पर ताले जड़ दिए जाएंगे. ग्राम पंचायत धनसिंहपुर की प्रधान सुनीता यादव इस "सत्ता के खेल" में फंस चुकी हैं. उनका अपराध सिर्फ इतना है कि उन्होंने गांव में विकास करवाने की जुर्रत की.
अब उनकी सजा यह है कि "हर तीन महीने में नई जांच होगी, अधिकारी धमकियां देंगे, और उन्हें बार-बार साबित करना होगा कि वह अपराधी नहीं, प्रधान हैं"
जांच पर जांच, जब तक प्रधान खुद हार न मान ले
गांव में पहले ही एक विस्तृत जांच हो चुकी थी. एडीपीआरओ रामशंकर वर्मा साहब की अगुवाई में हुई इस जांच में सब कुछ ठीक पाया गया. लेकिन प्रशासन ने कहा अगर एक बार जांच में कुछ नहीं मिला, तो दोबारा कोशिश करनी चाहिए और इसी के तहत 28 फरवरी 2025 को फिर से नया पत्र जारी हुआ, 4 मार्च को जांच करने की घोषणा हुई.
अब प्रधान सोच रही हैं–"गांव में विकास हो या न हो, लेकिन जांच अधिकारी का रोजगार जरूर बना रहेगा!" और सबसे दिलचस्प बात? शिकायत करने वाले वही सज्जन हैं, जिन्होंने पिछली जांच करवाई थी!
"अगर पहली बार प्रशासन की रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला था, तो इस बार जरूर कुछ न कुछ निकाल ही लेंगे!" यही सोचकर प्रेमसागर जी फिर से मैदान में उतर चुके हैं!
"पहले सड़क बनी, फिर तोड़ी गई, फिर ऊंची बनाई गई, फिर जलभराव हुआ-वाह री राजनीति!"
गांव में पहले से बनी इंटरलॉकिंग सड़क को तोड़कर उसकी जगह 40 मीटर लंबी ऊंची सीसी रोड बना दी गई. अब गांव वाले खुश हुए कि नई सड़क बनी, लेकिन जब बारिश आई, तो सड़क नहीं, "तालाब" बन गया.
गांव वालों ने जब प्रशासन से कहा कि "अब क्या करें?" तो जवाब मिला "कोर्ट चले जाओ!" ग्रामीणों ने न्यायालय में याचिका डाली, कोर्ट ने संज्ञान भी लिया, लेकिन प्रशासन ने कहा-"हमें क्या करना है, इसका फैसला तो नेता जी ही करेंगे!" अब गांव में चर्चा हो रही है-"हमने तो सड़क के लिए वोट दिया था, लेकिन नेता जी तो जलभराव का विकास करवा रहे हैं!"
"विधायक जी की प्रतिष्ठा से समझौता नहीं होगा!"– प्रशासन की दो टूक धमकी
प्रधान सुनीता यादव का आरोप है कि परियोजना निदेशक शेषमणि सिंह ने साफ-साफ कह दिया- "विधायक जी की प्रतिष्ठा से समझौता नहीं होगा, अगर ज्यादा विरोध किया तो प्रधानी भी खतरे में पड़ सकती है!" अब प्रधान असमंजस में हैं कि "गांव का विकास करना ज्यादा जरूरी है या विधायक जी की प्रतिष्ठा बचाना?"
गांव वालों ने भी प्रशासन से पूछा कि "क्या जनता की भलाई के लिए कोई योजना नहीं है?" तो जवाब मिला –"योजना तो है, लेकिन पहले विधायक जी को खुश करना जरूरी है!"
"तालाब खुदवाना है? ठीक है, पहले पूरी पंचायत की जांच करवाओ!"
गांव में गाटा संख्या 76 पर तालाब खुदाई शुरू हुई, लेकिन अचानक "तालाब खुदाई विरोध मोर्चा" सक्रिय हो गया. शिकायतकर्ता दिनेश यादव तीन साल से इसे रुकवाने की कोशिश कर रहे थे. अब जब खुदाई शुरू हुई, तो प्रशासन (एसडीएम) ने भी चेतावनी दे दी –"अगर तालाब खुदवाया, तो पूरी पंचायत की जांच करवा देंगे! "अब प्रधान ने रिकॉर्डिंग तो कर ली है लेकिन परेशान हैं कि "गांव में पानी बचाने के लिए तालाब चाहिए, या जांच अधिकारियों का बिजनेस बचाने के लिए बहस?" गांव में एक नया मजाक चल पड़ा है –"अगर तालाब खुदवाओगे, तो जांच अधिकारी गांव में स्थायी निवास बना लेंगे!"
"डीएम बोले–जांच नहीं होगी," फिर भी टीम पहुंच गई!
प्रधानपति रमेश यादव ने बताया कि डीएम रविंद्र सिंह (IAS Ravinder Singh) ने खुद कहा था कि अब कोई जांच नहीं होगी. लेकिन उनके आदेश को "कान में रुई डालकर" प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया और 4 मार्च को फिर से टीम आ गई. अब गांव में नई चर्चा शुरू हो गई है –"अगर डीएम साहब की बात भी नहीं मानी जाती, तो असली हुकूमत किसकी चल रही है?"
"गांव का विकास हो या न हो, लेकिन राजनीति जरूर होगी!"
प्रधान सुनीता यादव का कहना है कि वह "विकास के लिए चुनकर आई थीं, लेकिन अब राजनीति के कुचक्र में फंसा दी गई हैं!"वह यह सोच रही हैं कि "गांव में बिजली, पानी और सड़क का काम बाद में, पहले विधायक जी की प्रतिष्ठा को बचाने की योजना बना लेनी चाहिए थी!"
अब सबसे बड़ा सवाल यही है –गांव का विकास रुकेगा, या यह राजनीति चलती रहेगी?" फिलहाल, जवाब किसी के पास नहीं है. लेकिन प्रधान को यह चेतावनी जरूर मिल चुकी है –"अगर ज्यादा बोलोगी, तो अगली जांच की तारीख भी निकाल दी जाएगी!" हमारी इस ख़बर में संबंधित विधायक जी का वर्जन नहीं है अगर उनका बयान आता है तो इसमें जोड़ दिया जाएगा