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UP Fatehpur News: फतेहपुर में टोल घोटाला ! बिना पर्ची ओवरलोड ट्रकों से करोड़ों की कमाई, जांच में खुली पोल, दर्ज हुआ मुकदमा 

UP Fatehpur News: फतेहपुर में टोल घोटाला ! बिना पर्ची ओवरलोड ट्रकों से करोड़ों की कमाई, जांच में खुली पोल, दर्ज हुआ मुकदमा 
फतेहपुर के जिंदपुर टोल घोटाला दो पर मुकदमा (प्रतीकात्मक फोटो): Image Credit Original Source

Fatehpur News In Hindi

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) जनपद में जिंदपुर टोल प्लाजा पर बड़ा घोटाला सामने आया है. बिना टोल पर्ची के ओवरलोड ट्रकों को पास कर टोल कंपनी ने करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की. एसडीएम की जांच में खुलासा हुआ कि ट्रकों को 700 रुपये लेकर पर्ची के बिना पास किया गया.

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Fatehpur Toll Ghotala: यूपी के फतेहपुर जनपद के बांदा-टांडा मार्ग स्थित जिंदपुर टोल प्लाजा पर भारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. ओवरलोड ट्रकों को बिना पर्ची 700 रुपये लेकर पास किया जा रहा था, जिससे टोल कंपनी ने सीजन में करोड़ों का अवैध मुनाफा कमाया. मामले की जांच के बाद डीएम के निर्देश पर दो कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और पूरे टोल संचालन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं.

एसडीएम की पकड़ से खुला मामला, बिना पर्ची पास हुए ट्रक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1 जुलाई को एसडीएम सदर अर्चना अग्निहोत्री ने उस समय चौकाने वाला खुलासा किया जब उन्होंने मौरंग लदे दो ट्रक UP 71 BT 8132 और UP 71 BT 2487 को ओवरलोडिंग में पकड़कर शाह चौकी में खड़ा कराया. हैरानी की बात यह रही कि दोनों ट्रक जिंदपुर टोल से गुजरे थे, लेकिन उनके पास टोल पर्ची नहीं थी.

जब चालकों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि टोल पर कर्मचारियों ने उनसे 700-700 रुपये लेकर बिना पर्ची के ही गाड़ियों को पास कर दिया. जांच में यह भी सामने आया कि टोल परिसर के सीसीटीवी कैमरे भी बंद थे, जिससे साफ है कि यह काम सुनियोजित तरीके से किया जा रहा था.

बिना कार्रवाई के 6 महीने में करोड़ों की राजस्व चोरी

प्रशासन की लापरवाही से इस घोटाले को लंबे समय तक अंजाम दिया गया. अक्टूबर 2024 से लेकर मार्च 2025 तक मौरंग का प्रमुख सीजन रहता है और इसी दौरान ओवरलोडिंग के जरिए अवैध मुनाफा कमाया गया.

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अनुमान के अनुसार, हर दिन करीब 200 ओवरलोड ट्रक बिना टोल पर्ची के टोल प्लाजा से गुजरते रहे. हर ट्रक से 700 रुपये वसूले गए, जिससे रोज़ाना लगभग 1.40 लाख रुपये की अवैध कमाई होती रही. अगर छह महीनों की बात करें तो टोल कंपनी ने लगभग 2.5 करोड़ रुपये का काला धन बटोरा.

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सीसीटीवी बंद, कर्मचारियों ने दी झूठी जानकारी

जब एसडीएम जांच के लिए टोल प्लाजा पहुंचीं तो वहां के सीसीटीवी कैमरे बंद मिले. कर्मचारियों ने यह भी दावा किया कि पकड़े गए ट्रक उनके टोल से निकले ही नहीं. जबकि तथ्य यह था कि टोल से आगे उस रास्ते पर और कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं था.

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इससे साफ जाहिर है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से यह खेल लम्बे समय से चल रहा था. इस मामले में टोल कर्मचारी कपिल तिवारी और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ ललौली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है.

टोल पर्ची में दर्ज होता है वजन, जानबूझकर नहीं काटी पर्ची

जब कोई ट्रक टोल प्लाजा पार करता है तो उसकी पर्ची में वाहन का कुल वजन दर्ज होता है. इस प्रक्रिया से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वाहन ओवरलोड है या नहीं. लेकिन जिंदपुर टोल पर जानबूझकर इन ट्रकों की पर्ची ही नहीं काटी गई, जिससे न तो कोई वजन दर्ज हुआ और न ही राजस्व की जानकारी सामने आई. यह सीधे तौर पर प्रशासन, परिवहन और खनिज विभाग की आंखों में धूल झोंकने जैसा है.

डीएम के बार-बार निर्देशों के बाद भी नहीं सौंपी गई सूची

डीएम रविंद्र सिंह (IAS Ravinder Singh) ने टोल कंपनियों को सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में कई बार निर्देश दिए थे कि वे ओवरलोड वाहनों की सूची खनिज और एआरटीओ विभाग को सौंपें.

लेकिन बार-बार के आदेशों के बावजूद किसी भी टोल कंपनी ने इस सूची को साझा नहीं किया. यह स्पष्ट करता है कि टोल कंपनियों और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया.

टोल प्रबंधन ने पल्ला झाड़ा, डीएम के निर्देश पर FIR दर्ज

जब इस पूरे घोटाले को लेकर टोल प्रबंधन से बात की गई तो टोल मैनेजर अशोक तिवारी ने मामले से किनारा करते हुए कहा कि हो सकता है ट्रक किसी अन्य मार्ग से निकले हों या फिर कर्मचारियों ने पैसे लेकर निकाला हो. उन्होंने कार्रवाई की बात कही, लेकिन अब प्रशासन की सख्ती के बाद मामला दर्ज कर लिया गया है. जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भविष्य में टोल संचालन की निगरानी के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं.

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