Prayagraj News: मरे हुए व्यक्ति को बनाया गवाह ! फतेहपुर की फर्जी रिपोर्ट पर हाईकोर्ट सख्त, डीएम से जवाब तलब
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में एक लेखपाल ने तालाब भूमि विवाद में मृत व्यक्ति की गवाही के आधार पर फर्जी रिपोर्ट तैयार कर दी. हाईकोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी को लेखपाल से जानकारी लेकर 7 मई तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले मामले में फतेहपुर (Fatehpur) के लेखपाल और प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल उठाते हुए सख्त रुख अपनाया है. न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने जिलाधिकारी फतेहपुर को निर्देश दिया है कि वे एक लेखपाल द्वारा मृत व्यक्ति की गवाही के आधार पर तैयार की गई जांच रिपोर्ट पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने साफ किया कि इस स्तर की लापरवाही या साजिश स्वीकार्य नहीं की जाएगी.
मंझनपुर की जमीन पर विवाद, लेखपाल की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला फतेहपुर (Fatehpur) की खागा तहसील (Khaga) के गांव मंझनपुर की सरकारी तालाब भूमि से जुड़ा है. याची जगदीश शरण सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रशासन पर आरोप लगाया था कि उनकी निजी जमीन को तालाब की भूमि बताकर अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाया गया है.
जिलाधिकारी फतेहपुर द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया कि याची ने सरकारी तालाब पर कब्जा किया है. डीएम का हलफनामा लेखपाल की 26 अक्टूबर 2024 को तैयार की गई रिपोर्ट पर आधारित था.
2011 में हो चुकी है गवाह की मौत, दूसरा गांव का नहीं
याची के अधिवक्ता जेएस बुंदेला ने कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में जिन दो ग्रामीणों—मिथुन सिंह और छेदीलाल—का बयान दिखाया गया है, उनमें से छेदीलाल की मौत 20 अप्रैल 2011 को ही हो चुकी थी.
वहीं दूसरा गवाह मिथुन सिंह उस गांव का निवासी ही नहीं है. यानी दोनों गवाह फर्जी निकले और लेखपाल ने इन मृत अथवा बाहरी व्यक्ति के नाम पर मौके की रिपोर्ट तैयार कर दी.
लेखपाल की रिपोर्ट से प्रशासन कटघरे में
लेखपाल ने 26 अप्रैल 2024 को गांव मंझनपुर पहुंचकर मौका मुआयना किया था. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया कि याची जगदीश शरण सिंह ही तालाब भूमि पर अवैध कब्जा किए हुए हैं.
इस रिपोर्ट को जिलाधिकारी ने बिना किसी जांच के स्वीकार कर लिया और कोर्ट में उसी के आधार पर हलफनामा दाखिल कर दिया. लेकिन जैसे ही रिपोर्ट की सच्चाई सामने आई, पूरा मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल बन गया.
हाईकोर्ट की कड़ी फटकार 7 मई तक दाखिल करें जवाब
हाईकोर्ट ने कहा कि एक मृत व्यक्ति की गवाही को रिपोर्ट में शामिल करना न केवल झूठ है बल्कि कानून का मज़ाक भी है. कोर्ट ने जिलाधिकारी फतेहपुर को निर्देश दिया है कि वे रिपोर्ट तैयार करने वाले लेखपाल से व्यक्तिगत जानकारी लेकर 7 मई 2025 तक शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करें. आदेश की प्रति मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के माध्यम से जिलाधिकारी को अनुपालन हेतु भेजी गई है.