
Hamirpur News: किसान का बेटा बना वैज्ञानिक ! खेतों की पगडंडियों से निकलकर BARC तक पहुंचा हमीरपुर का ज्ञानेश त्रिपाठी

Hamirpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हमीरपुर (Hamirpur) जिले के एक छोटे से गांव अरतरा में जन्मे किसान पुत्र ज्ञानेश त्रिपाठी ने अपनी कड़ी मेहनत, परिवार के त्याग और गांव की मिट्टी की ताक़त से वो कर दिखाया है जो लाखों छात्रों का सपना होता है. उनका चयन देश के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थान भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में वैज्ञानिक पद पर हुआ है. इस सफलता से न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे जिले में गर्व की लहर दौड़ गई है.
Hamirpur News: जहां तक़दीरें अक्सर शहरों के आलीशान स्कूलों और कोचिंग सेंटरों से लिखी जाती हैं, वहीं यूपी के हमीरपुर जिले के छोटे से गांव अरतरा में एक किसान का बेटा खेतों की मिट्टी से निकलकर देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान BARC तक पहुंच गया.

गांव के किसान परिवार से निकला राष्ट्रीय स्तर का वैज्ञानिक
मौदहा (Maudaha) तहसील के अरतरा गांव के रहने वाले संतोष त्रिपाठी एक साधारण किसान हैं. उनके छोटे बेटे ज्ञानेश त्रिपाठी उर्फ शानू की शुरुआती पढ़ाई जिले में ही हुई. माता सुनीता गृहिणी हैं, जिन्होंने हर परिस्थिति में अपने बच्चों को आगे बढ़ने का हौसला दिया.

विद्या मंदिर से BARC तक का सफर, बना प्रेरणा की मिसाल
ज्ञानेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, मौदहा से की. शुरू से ही पढ़ाई में होशियार रहे ज्ञानेश ने IIT JAM जैसी कठिन राष्ट्रीय प्रतियोगिता पास की. इस परीक्षा को पास करना लाखों छात्रों का सपना होता है, लेकिन ज्ञानेश ने यह सपना गांव में रहकर ही साकार किया. उन्होंने वैज्ञानिक बनने का संकल्प लिया और दिन-रात मेहनत कर आज उस मुकाम पर पहुंचे हैं.
23 जून को मिली खुशखबरी, गांव में मना जश्न
23 जून 2025 का दिन ज्ञानेश के जीवन में हमेशा यादगार रहेगा. इसी दिन उन्हें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से चयन पत्र प्राप्त हुआ. जैसे ही यह ख़बर गांव पहुंची, लोग घर पर बधाई देने पहुंचे. मिठाइयां बांटी गईं और गांव वालों की आंखों में गर्व और खुशी दोनों झलकने लगे. यह किसी एक परिवार की नहीं, पूरे हमीरपुर जिले की जीत थी.
पिता का संघर्ष, मां की ममता और भाई का साथ मेरी सफलता
युगान्तर प्रवाह से बातचीत में ज्ञानेश ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता और भाई को दिया. उन्होंने कहा, "जब मैं हिम्मत हारता था, तब मां की ममता और पिता की मेहनत मुझे आगे बढ़ने की ताक़त देती थी. मेरे भाई ने हमेशा मुझे यह भरोसा दिलाया कि मैं कर सकता हूं. आज जो कुछ भी हूं, उनके त्याग और गुरुजनों के आशीर्वाद की वजह से हूं."
गांव के बच्चों के लिए बने रोल मॉडल
ज्ञानेश त्रिपाठी अब अपने गांव के युवाओं के लिए एक जीवित प्रेरणा बन चुके हैं. उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा सच्चा हो और मेहनत में दम हो, तो शहर की चमक नहीं, गांव की सादगी भी सपनों को हकीकत बना सकती है. उनकी कहानी देशभर के उन युवाओं को प्रेरणा देती है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखना चाहते हैं.