Fatehpur News: फतेहपुर का 150 साल पुराना हनुमान मंदिर विवादों में ! भूमि पूजन के दौरान नारे बाजी, घंटों रहा घमासान
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर जिले में शहर के ऐतिहासिक चौक स्थित श्री हनुमान मंदिर की जमीन पर रविवार को भूमि पूजन के दौरान विवाद हो गया. राम प्रकाश गुप्ता ने अपनी दावेदारी करते हुए अपने समर्थकों के साथ जमकर नारे बाजी की और पूजन को रोक दिया. कई घंटों चले वाद-विवाद के बाद पूजन कार्य संपन्न हुआ. जानिए पूरा मामला क्या है?

Fatehpur News: फतेहपुर शहर के बीचोबीच चौक स्थित करीब 150 साल पुराने श्री हनुमान मंदिर की जमीन पर अब ट्रस्ट की राजनीति और संपत्ति के विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. रविवार को जब मंदिर के एक हिस्से में भूमि पूजन का कार्यक्रम चल रहा था, तभी एक पक्ष ने विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी. देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि भारी पुलिस बल को बुलाना पड़ा. मामला करोड़ों की संपत्ति, प्रबंधन अधिकार और पारदर्शिता को लेकर बताया जा रहा है.
भूमि पूजन के दौरान मंदिर परिसर में मचा बवाल
रविवार सुबह 11 बजे चौक स्थित हनुमान मंदिर की जमीन पर भूमि पूजन का आयोजन चल रहा था. तभी राम प्रकाश गुप्ता अपने कई साथियों के साथ वहां पहुंचे और हाथों में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उन्होंने भूमि पूजन को रोकने की मांग की, जिससे मौके पर तनाव का माहौल बन गया.
कुछ ही देर में दोनों पक्षों के बीच नोंकझोंक और बहस तेज हो गई. मामले की सूचना मिलते ही भारी पुलिस बल के साथ सीओ सिटी गौरव शर्मा और प्रभारी तहसीलदार अमरेश सिंह पहुंचे और दोनों पक्षों को कोतवाली बुलाकर बात की गई. बाद में प्रशासन की मौजूदगी में भूमि पूजन तो हुआ, लेकिन किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई.
हनुमान मंदिर ट्रस्ट को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?

बताया जा रहा है कि पहले यह मंदिर एक अनौपचारिक कमेटी के जरिए संचालित होता था, लेकिन संपत्ति और व्यवस्था को नियमित करने के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया. तभी से आंतरिक राजनीति और आर्थिक पारदर्शिता को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है.
70 लाख के गबन का आरोप, दो प्रबंधकों के बीच खींचतान
महामंत्री कुलदीप रस्तोगी (पप्पन) के अनुसार, जब मंदिर निर्माण के लिए फंड मांगा गया तो तत्कालीन प्रबंधक श्रीराम गुप्ता ने सहयोग नहीं किया. उन्होंने बाद में मंदिर निर्माण से खुद को अलग कर लिया और ट्रस्ट की आय-व्यय की जानकारी भी नहीं दी.
आरोप है कि श्रीराम गुप्ता ने वर्ष 2022 में बिना कमेटी की अनुमति के राम प्रकाश गुप्ता को व्यक्तिगत तौर पर प्रबंधक बना दिया, जबकि यह पद सामूहिक सहमति कमेटी के चुनाव से तय होना चाहिए. पप्पन का दावा है कि इस पूरे मामले में करीब 70 लाख रुपये का गबन किया गया, जिसके खिलाफ पुलिस में शिकायतें भी दी गई हैं.
कोर्ट और कमेटी के बीच फंसा ट्रस्ट प्रबंधन
विवाद का मुख्य कारण यह है कि श्रीराम गुप्ता द्वारा नियुक्त राम प्रकाश गुप्ता खुद को वैध प्रबंधक मानते हैं. उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रबंधक ने उन्हें लिखित रूप से नियुक्त किया है और इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट का रुख भी किया है.
दूसरी ओर कुलदीप रस्तोगी और उनके गुट ने 2023 में नई कमेटी बनाकर कालका प्रसाद मोदनवाल को प्रबंधक नियुक्त कर दिया. अब दोनों पक्ष एक-दूसरे की वैधता को नकारते हुए ट्रस्ट की बागडोर अपने हाथ में लेना चाहते हैं.
इसी तनाव का परिणाम भूमि पूजन के दौरान खुले विवाद के रूप में सामने आया. हालांकि राम प्रकाश गुप्ता के पास कोई कमेटी नहीं है उनके पास तत्कालीन प्रबंधक श्रीराम गुप्ता द्वारा किया गया तहसील का रजिस्टर्ड दस्तावेज है.
करोड़ों की संपत्ति ही विवाद की असली जड़?
शहर के जानकारों के अनुसार, श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट के पास शहर के कई प्रमुख क्षेत्रों में बेशकीमती जमीनें हैं. इसमें चौक का मूल मंदिर परिसर, साईं मंदिर परिसर, गौराम नगर की जमीन और अन्य कई स्थान शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. कई जगहों पर ट्रस्ट की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है.
माना जा रहा है कि इन्हीं संपत्तियों पर नियंत्रण को लेकर ट्रस्ट के भीतर लगातार खींचतान बनी हुई है. हालांकि सदर कोतवाली में दोनों पक्षों की वार्ता के दौरान तत्कालीन प्रबंधक श्रीराम गुप्ता (मोदनवाल) ने प्रशासन से कहा कि उनसे गलती हुई है राम प्रकाश गुप्ता को प्रबंधक नहीं बनाया जाना चाहिए था. फिलहाल पुलिस ने दोनों पक्षों को अपनी बात रखने के लिए एसडीएम के सामने बुलाया है और किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है.