Lakhimpur Kheri News: गजब है इस बंदर की दोस्ती, अंतिम संस्कार में पहुंच हुआ भावुक ! लोगों ने कहा दोस्ती का मतलब बता गया ये बेज़ुबां
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 10 Sep 2023 05:37 PM
- Updated 14 Sep 2023 04:05 PM
दोस्त वही है जो सुख के साथ आपके दुख में भी साथ हमेशा खड़ा रहे. इस बात को चरितार्थ करता यह दोस्त एक उदाहरण है. दरअसल मामला लखीमपुर खीरी से सामने आया है. यहां रहने वाले 65 वर्षीय किसान का बीमारी के चलते निधन हो गया था. घर के आंगन में किसान का शव रखा हुआ था और अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी. तभी एक बंदर आया और किसान के शव के पास बेसुध होकर बैठ कर विलाप करने लगा. यह दृश्य देख वहां मौजूद लोगों की आंख और भी नम हो गईं. जिसका वीडियो वायरल हो रहा है.
हाइलाइट्स
लखीमपुर खीरी में दोस्ती की मिसाल पेश करता बेजुबाँ
अपने किसान दोस्त के निधन में दोस्ती का फर्ज अदा करने पहुंच गया बंदर
मृतक किसान ने कुछ वर्ष पहले खिलाया था खाना, तबसे थी दोस्ती
There is discussion about human and monkey friendship : सुख और दुख आते-जाते हैं. दोस्त वही है जो अपने मित्र के हर दुख में चट्टान की तरह खड़ा हो. वरना दोस्ती का कोई मतलब नहीं, लखीमपुर खीरी जिले से इंसान और एक बेजुबां की दोस्ती का एक ऐसा दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है. जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इंसान एक बार फर्ज अपना भूल भी जाए लेकिन जानवर नहीं भूल सकते. बेजुबां अपने दोस्त के निधन पर दोस्ती का फर्ज निभाने पहुंच गया. जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है.
दोस्ती का सही मतलब सिखा गया ये बेजुबां
लखीमपुर खीरी के बिजुआ तहसील क्षेत्र में गोंधिया गांव से एक ऐसा मामला सामने सामने आया है. जिसने दोस्ती कैसे की जाती है और किस तरह से एक दोस्त दुख में भी फर्ज निभाता है. उसको चरितार्थ करता यह बेजुबां बंदर है. दरअसल इस गांव में रहने वाले 65 वर्षीय किसान चंदन वर्मा की बीमारी के चलते अचानक मौत हो गई थी.
चंदन के शव पर परिजन घर के आंगन में विलाप कर रहे थे. तभी उस विलाप में शामिल होने एक बंदर भी आ गया. यही नहीं बंदर चंदन के शव के पास ही गुमसुम लेट गया. परिजनों के पास जाकर उन्हें दिलासा देता रहा. जिसके बाद गांव के लोगों में यह चर्चा शुरू हो गई कि दोस्ती का सही मतलब तो इस बंदर ने सिखाया है.
ऐसे हुई थी किसान और बंदर में दोस्ती दोस्त के शव के पास बैठकर करता रहा विलाप
बताया जा रहा है कि चंदन वर्मा किसान थे, अपने खेतों की रखवाली के लिए अक्सर खेतों में रुका करते थे. वह अपना खाना भी साथ ले जाया करते थे. वहां उनके पास एक बंदर आने लगा. चंदन ने बंदर को खाना खिलाया. जिसके बाद अक्सर बंदर चंदन के पास खेत में आने लगा. चन्दन वर्मा को एक वर्ष पहले फालिश मार गई थी, तबसे वह बीमार थे. इस दौरान उनका अचानक निधन हो गया. घर में परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था.
किसान का शव आंगन में रखा हुआ था, अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी. तभी एक बंदर छत से आया और चंदन के शव के पास बेसुध होकर बैठ गया. मौजूद लोग डर गए हालांकि उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और अपने दोस्त के चेहरे से कपड़ा हटाकर उसके अंतिम दर्शन किये.
परिजनों को देने लगा दिलासा लोगों ने कहा असली दोस्ती तो ये है
किसान के शव पर विलाप कर रहे परिजनों के पास पहुंच गया और उनके ऊपर हाथ रखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह परिजनों को दिलासा दे रहा हो. खुद भी बंदर बेसुध होकर शव के पास मुँह नीचे कर लेटा रहा. कुछ देर बाद वह वहां से चला गया. किसी ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया. मृतक के पुत्र सोनू ने इस बंदर को पहचान लिया. बताया कि ये वही बंदर है जो 5 वर्ष पहले खेत आया था पिताजी ने इसे रोटी खिलाई थी. वही क्षेत्रवासियों का कहना है कि दोस्तियां देखी पर आजतक ऐसी नहीं देखी. असली दोस्ती की सच्चाई तो ये बेजुबान बता गया.