Farmers Protest News (2024): जानिए दिल्ली कूच के लिए क्यों अड़े पंजाब-हरियाणा के किसान ! बार्डरों पर किसानों को रोकने के लिए कंक्रीट की दीवारें व नुकीले तारों से बाड़ेबंदी, आख़िर क्या है किसानों की मांग?
Kishan Andolan
अपनी मांगों को रखने पंजाब-हरियाणा के किसान (Farmers) आट्रैक्टर ट्रॉली से लगातार दिल्ली कूच (Going Delhi) करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. किसान संगठनों ने 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है. हरियाणा सरकार ने बॉर्डरों पर हरियाणा-पंजाब से आने वाले किसानों को रोकने के लिए कड़े व पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. जिससे वे दिल्ली की ओर आगे न बढ़ सके. करीब दिल्ली से पहले ही 215 किलोमीटर शम्भू बार्डर पर ही किसानो को रोक लिया है. इस दौरान किसानों को काबू करने के लिए पुलिस फोर्स को ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागने (Tear Gas Shells) पड़ गए.
दिल्ली कूच के लिए निकला किसान, सीमाओं पर पुख्ता इंतजाम
किसानों ने आंदोलन फिर से तेजी से बढ़ने लगा है. पंजाब-हरियाणा के किसान (Farmer) भारी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली में भर-भर कर दिल्ली कूच के लिए निकल (Going To Delhi) पड़े हैं. दिल्ली में एंट्री करने से पहले ही बार्डरों को कड़ी सुरक्षा के घेरे में ले लिया गया है. किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने बार्डरों पर कई कम्पनियाँ फोर्स डिप्लॉय कर दी है. बार्डरों पर नुकीले कील, कटीले तार के साथ ही कंक्रीट वाली दीवारों को खड़ा कर दिया है. पिछली बार के किसान आंदोलन की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में दिखाई दे सकते हैं. इस किसान आंदोलन को 2.0 कहा जा रहा है.
शम्भू बार्डर पर पुलिस व किसानों में झड़प, आँसू गैस के छोड़े गोले
पंजाब और हरियाणा को जोड़ने वाला शंभू बॉर्डर जो दिल्ली के लिए आगे बढ़ता है पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए अड़े हुए हैं आज सुबह से ही शंभू बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान एकजुट होकर पहुंचे. जहां बॉर्डर पर ही पुलिस फोर्स ने उन्हें रोका आगे बढ़ने की जद्दोजहद में पुलिस से जबरदस्त टकराव भी हुआ. भारी संख्या में जुटे किसानों को दौड़ाने की नौबत आ गई इसके बाद पुलिस प्रशासन को ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. जिसके बाद भगदड़ मच गई. कुछ किसान घायल भी हुए हैं वही इस मामले में बड़ी संख्या में किसानों को हिरासत में भी ले लिया गया है. बताया जा रहा आगे पंजाब के विभिन्न हिस्सों से ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ किसान शंभू बॉर्डर की ओर रवाना हुए थे.
कई बार्डरों को किया सील व कड़ी सुरक्षा के इंतजाम
आपको बताते चलें कि जिस तरह से किसान आंदोलन की प्रक्रिया शुरू हुई है. उसमें उनकी कई मांगे हैं जैसे एमएसपी की कानूनी गारंटी शंभू बॉर्डर दिल्ली से करीब 215 किलोमीटर की दूरी पर है और भारी संख्या में किसानों की तादाद दिल्ली कूच के लिए अड़ी हुई है हरियाणा सरकार ने भी इन्हें रोकने के लिए तगड़ी तैयारी की हुई है जहां बड़ी-बड़ी कंक्रीट और सीमेंट की दीवारें व नुकीले-कीले व कटीले तारो सीमाओं पर लगा दिए गए हैं. जिससे वह दिल्ली की ओर आगे ना बढ़ सके.
दिल्ली और हरियाणा के झज्जर के टिकरी बॉर्डर पर भी पुलिस प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए जबरदस्त और पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. हर तरफ सीसीटीवी कैमरा को लगा दिया गया है इसी के साथ ही पैरा मिलिट्री फोर्सेज को भी तैनात किया गया है सिंघु बॉर्डर पर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं हैवी बेरीकेटिंग कर दी गई है. हरियाणा सरकार ने विभिन्न जिलों में अर्धसैनिक बलों की करीब 114 कंपनियों ने डेरा डाल लिया है इसी के साथ ही कई जिलों की सीमाओं को सील भी कर दिया गया जिससे किसान आगे ना बढ़ सके.
क्या है किसानों की मांगें?
किसान एमएसपी (msp) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. पहले दिल्ली मोर्चा के द्वारा केंद्र सरकार की ओर से जो भी मांगे पूरी करने का भरोसा दिलाया गया था उन्हें उनको याद दिलाने की मांग व इसे पूरा करने की मांग की गई है. साल 2021-22 से किसान आंदोलन में जिन किसानों पर मुकदमे हुए उन्हें रद्द करने की भी मांग है. केंद्र सरकार से किसानों की मांग है कि पिछले आंदोलन में जिन किसानों की मृत्यु हुई उनके परिवारों को मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी दी जाए.
लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को सरकार न्याय दें और दिल्ली कूच करने वाले किसानों की सरकार से मांग है कि सभी किसानों का सरकारी और गैर सरकारी कर्ज माफ करें. इसके साथ ही 60 साल से ऊपर वाले किसानों को 10 हज़ार रुपये पेंशन दी जाए. साथ ही कृषि और दुग्ध उत्पादों, फलों, सब्जियों, मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाने की मांग की गई है. वैज्ञानिक स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने की मांग की गई है. केंद्र सरकार से यह भी मांग की गई है कि कीटनाशक बीज उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता सुधार करने की मांग की गई.