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Madarsa Kya Hota Hai: मदरसा क्या है? इनमें क्या पढ़ाया जाता है, मदरसों पर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद यूपी सरकार (Up Govt) ने नई व्यवस्था के मुताबिक मानक न पूरे करने वाले 16 हज़ार मदरसों (Madarsa) की मान्यता को रद्द कर दिया था. जबकि जिन मदरसों के मानक पूरे हैं उन्हीं को मान्यता दी जाने की बात कही थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मदरसा एक्ट को असंवेधानिक घोषित करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. जिसपर मदरसा बोर्ड ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है.

Madarsa Kya Hota Hai: मदरसा क्या है? इनमें क्या पढ़ाया जाता है, मदरसों पर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
मदरसे, image credit original source
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यूपी मदरसा बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट से राहत

यूपी (Up) के मदरसा बोर्ड (Board Madarsa) को बड़ी राहत मिली है. दरअसल हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक (Stay) लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है हाईकोर्ट का यह मानना कि यह एक धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है जबकि यह गलत है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस आदेश के बाद 17 लाख छात्रों पर गहरा असर पड़ेगा. सरकार के द्वारा दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित कराए जाने की सुविधा उचित नहीं है अब इस मामले में जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई होगी.

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मदरसा, image credit original source

मदरसा क्या है और यहां क्या पढ़ाया जाता है?

मदरसा (Madarsa) एक अरबी भाषा (Arbi Language) का शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है पढ़ने का स्थान, मदरसों में दीनी या मजहबी तालीम पढ़ाई कराई जाती है. मदरसे आम सरकारी व प्राइवेट स्कूलों की तरह ही होते हैं. यहां इस्लाम धर्म के बारे में जानकारी व तालीम दी जाती है. मदरसे में अलग-अलग तरह के पाठ्यक्रम होते हैं इसमें तालीम के साथ-साथ हदीस, कुरान, फ़िक़ह, तफ़्सीर और इस्लामिक इतिहास की पढ़ाई यानी शिक्षा दी जाती है. समाज में अच्छे नागरिक बनने की भी शिक्षा दी जाती है इसके साथी अरबी भाषा का भी ज्ञान दिया जाता है और लिखने समझने और बोलने का प्रशिक्षण दिया जाता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, Image credit Original source
स्कूलों की तरह कक्षाएं नाम है अलग

इसमें स्कूलों की तरह ही कक्षाओं के अलग-अलग नाम दिए गए हैं. मदरसों को भी राज्य सरकार द्वारा मान्यता दी जाती है. दो तरह से मदरसे चलते हैं एक मदरसा चंदे द्वारा संचालित किया जाता है, दूसरा सरकार की ओर से जिन्हें फंड मिलता है वो, इसमें स्कूलों की तरह ही डिग्री दी जाती है. सबसे पहले मुंशी/मौलवी की डिग्री होती है जो दसवीं कक्षा के बराबर है फिर उसके बाद आलिम की डिग्री आती है जो 12वीं के बराबर होती है फिर उसके बाद ग्रेजुएशन को कामिल और पोस्ट ग्रेजुएट को फ़ाजिल कहा जाता है उसके साथ ही पाठ्यक्रमों में हिंदी और अंग्रेजी के विषय भी जोड़ दिए गए हैं.

16 हज़ार मदरसों की मान्यता की थी रद्द

गौरतलब है कि 22 मार्च को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था. कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी के 16000 मदरसों की मान्यता को रद्द कर दिया था. जिसमें यह कहा गया था की नई व्यवस्थाओं के मानक के हिसाब से मदरसे खरे नहीं उतर रहे हैं. केवल उन्हीं मदरसों को मान्यता मिलेगी जो मानकों के हिसाब से संचालित हो रहे हैं.

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यदि इसके लिए मदरसे यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड में जाकर मान्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश में 16000 मदरसे संचालित है. जिनमें से 560 मदरसो को सरकार से अनुदान भी दिया जाता था. करीब 17 लाख छात्र-छात्राएं मदरसों में पढ़ते हैं इसके साथ ही 9500 के करीब शिक्षक भी है. बीते दिनों हाईकोर्ट ने इन सभी मदरसा बोर्ड को अवैध करार दिया था.

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मदरसा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में रखी बात

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मदरसा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को अंजुम कदरी, मैनेजर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (यूपी), ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (नई दिल्ली), मैनेजर एसोसिएशन अरबी मदरसा नई बाजार और टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया कानपुर द्वारा दायर की गई थी. वहीं कोर्ट अब इन सभी बिंदुओं पर जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा.

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