UPPCL News: जनरेशन टैरिफ रेगुलेशन का विरोध शुरू, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बिजली बिल का बोझ?

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UPPCL को 1000 करोड़ रुपये से अधिक के संभावित नुकसान से बचाने के लिए बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की जा सकती है. उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध जताया है. 12 फरवरी को इसके लिए जनसुनवाई होगी. क्या बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बोझ?
UPPCL News: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित जनरेशन टैरिफ रेगुलेशन-2024 (बिजली उत्पादन दरों की नियमावली) का विरोध शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि इस नियमावली के लागू होने पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को बिजली उत्पादन इकाइयों को प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) देनी होगी, जिसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा.
बिजली दरों में बढ़ोतरी की आशंका

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जताई आपत्ति
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को नियामक आयोग में इस प्रस्ताव के खिलाफ आपत्ति दाखिल की. उनका कहना है कि इस नियमावली से UPPCL को 1000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा, जिसका भार अंततः बिजली उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा.
निजी कंपनियों को होगा फायदा?
उपभोक्ता हित के खिलाफ प्रस्ताव?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि प्रस्तावित नियमावली के तहत प्लांट लोड फैक्टर (PLF) के आधार पर 55 पैसे से लेकर 1 रुपये प्रति यूनिट तक प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है.
- पीक आवर (बिजली की अधिकतम मांग के समय) यदि लोड फैक्टर 50-55% रहता है, तो 55 पैसे प्रति यूनिट इंसेंटिव दिया जाएगा.
- अलग-अलग स्लैब के आधार पर यह प्रोत्साहन राशि 1 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ सकती है.
इससे UPPCL को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा, जिसकी भरपाई उपभोक्ताओं से की जाएगी.
प्रदूषण नियंत्रण की लागत भी उपभोक्ताओं पर डालने की तैयारी
नियमावली में प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े खर्चों को भी बिजली दरों में जोड़े जाने का प्रावधान है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अवधेश वर्मा ने इसे गलत और उपभोक्ता विरोधी नीति बताया है. उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन की लागत और पर्यावरण नियंत्रण खर्च का बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर डालना अनुचित है.
जनसुनवाई में उठेगा मामला
12 फरवरी 2025 को नियामक आयोग में इस प्रस्ताव पर जनसुनवाई होगी, जहां बिजली उपभोक्ता परिषद इस प्रस्ताव के खिलाफ अपना पक्ष मजबूती से रखेगी. अगर यह नियमावली लागू होती है, तो बिजली की दरें बढ़ सकती हैं, जिससे आम जनता को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है.