Kanpur Bara Devi Temple: कानपुर के बारा देवी मन्दिर की दिलचस्प है कहानी ! मां के दर पर चुनरी बांधने की है मान्यता, एक साथ 12 बहनें बन गईं थीं मूर्ति
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चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पावन 9 दिनों का पर्व (Festival) चल रहा है. देश भर में माता के जयकारों के साथ भक्ति प्रसिद्ध देवी मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. कानपुर (Kanpur) में भी लगभग 1700 वर्ष पुराना देवी मंदिर है, जिसका इतिहास बेहद अनूठा है यहां चुनरी बांधकर मन्नत मांगी जाती है. बड़ी दिलचस्प है इस मंदिर की कहानी..
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कानपुर के बारादेवी मंदिर की है अद्भुत मान्यता
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का पावन पर्व चल रहे है देश के तमाम शक्तिपीठों (Shaktipith) व देवी मंदिरों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. कानपुर (Kanpur) का यह ऐतिहासिक और चमत्कारिक मंदिर जूही क्षेत्र में बना हुआ है. जिसे बारा देवी (Bara Devi) के नाम से जाना जाता है.
यही नहीं दक्षिणी इलाके में कई जगह बारा देवी के नाम से जाने जाते हैं. बारादेवी मंदिर की मान्यता यह है कि भक्त देवी माता के दर पर आकर लाल चुनरी बांधते हैं और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो वह जल्दी खोल लेते हैं चलिए आपको बताएंगे कि यह बारा देवी मंदिर कितना पुराना है और इसके पीछे का पौराणिक महत्व क्या है.
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नवरात्रि पर भक्तों का उमड़ता है हुजूम
कानपुर दक्षिणी इलाके में बना यह बारा देवी मंदिर (Bara Devi Temple) में नवरात्रि के दिनों में लाखों की भीड़ उमड़ती है. देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन यह भीड़ नवरात्रि के दिनों में कहीं अधिक बढ़ जाती है. मंदिर के आसपास प्रसाद, चुनरी और नारियल की दुकान भी सजी रहती है और मेला का भी आयोजन होता है.
यहां पर माता को रिझाने के लिए खतरनाक करतब दिखाते हैं तो वही जवारे भी निकाले जाते हैं, ऐसा भी बताया गया था यहां पर कई भक्तों ने जीभ भी काट कर चढ़ाई है लेकिन प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी गई.
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1700 साल पुराना है इतिहास
जानकारों की माने तो यह प्रसिद्ध बारा देवी माता की प्रतिमा करीब 1700 साल पुरानी है. नवरात्रि के दिनों में भारी संख्या में भक्तों का जन सैलाब उमड़ चुका है. जय माता दी के जयकारों के साथ भक्त कतारों में खड़े होकर मां के दर्शन कर रहे हैं. हाथों में लाल चुनरी प्रसाद की टोकरी लेकर भक्त माता के दर्शन करते हुए देखे जा रहे हैं. मंदिर की ऐसी मान्यता है कि माता के दरपर चुनरी चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं जिनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
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12 बहनों पर आधारित है इस मंदिर की कहानी
मंदिर के पुजारी की माने तो यह प्रतिमा काफी प्राचीन है इसकी कोई बहुत ज्यादा सटीक जानकारी नहीं है लेकिन यह बहुत ही सिद्ध और चमत्कारिक मन्दिर हैं, मां के दर्शन करने आये कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है माता हमेशा अपने भक्तों पर कृपा करती है.
वहीं इस मंदिर को लेकर एक कहानी भी बताई जाती है कि ऐसा कहा जाता है कि पिता से हुई अनबन के बाद एक साथ 12 बहने घर से भाग गई थी और यह सारी बहनें किदवई नगर स्थित एक मूर्ति में जाकर स्थापित हो गई. बहनों के श्राप से पिता भी पत्थर हो गए. सालों बाद यह बहने बारा देवी के नाम से प्रसिद्ध हुईं. उत्तरप्रदेश के कोने-कोने से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर के आसपास दक्षिण के कई इलाकों के नाम भी बारादेवी मंदिर के नाम से रखे गए हैं जैसे बर्रा विश्व बैंक बारा सिरोही जैसे नाम दर्ज है.