Kangda Bajreshwari Shaktipeeth: 'बज्रेश्वरी देवी' शक्तिपीठ के दर्शन का जानिए पौराणिक महत्व

Kangda Bajreshwari Shaktipeeth: हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है. यहां देवी माता के कई शक्तिपीठ हैं. माता सती के मृत देह के अंग जिस स्थान पर गिरे वह शक्तिपीठ बन गया. कांगड़ा जिले के नगरकोट धाम में बज्रेश्वरी देवी शक्तिपीठ है. यहां माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था. इस शक्तिपीठ में मां तीन पिंडियों के रूप में हैं. बज्रेश्वरी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे दुख अपने आप दूर हो जाते हैं.

Kangda Bajreshwari Shaktipeeth: 'बज्रेश्वरी देवी' शक्तिपीठ के दर्शन का जानिए पौराणिक महत्व
हिमाचल-कांगड़ा में बज्रेश्वरी देवी शक्तिपीठ, फोटो साभार सोशल मीडिया

हाईलाइट्स

  • हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है बज्रेश्वरी देवी मंदिर
  • 51 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ है बज्रेश्वरी देवी मंदिर, यहाँ माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था
  • पिंडियां रूप में मौजूद हैं माता, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना

Mythological significance of Bajreshwari Devi Shaktipeeth : शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों पर हमारी टीम आपको देश के कोने-कोने में स्थित देवी शक्तिपीठों के दर्शन के साथ ही इन शक्तिपीठों के पौराणिक महत्व को भी बता रहे हैं. हिमाचल की ऊंची पहाड़ियों पर देवी बज्रेश्वरी माता के सिद्ध दरबार की अहम विशेषता है.चलिए आपको इस सिद्ध शक्तिपीठ के रहस्य और महत्व के बारे में बताएंगे.

 

बज्रेश्वरी माता शक्तिपीठ के करें दर्शन

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक छटाओं से घिरा प्रदेश है. यहां ऊंची-ऊंची पहाड़ियां,झरने और हरे-भरे सुंदर मनोरम वातावरण किसी का भी मन मोह सकते हैं. यहां कांगड़ा जिले के नगरकोट धाम पर बज्रेश्वरी देवी का भव्य दरबार है. पर्यटक स्थल होने के चलते यहां देश-विदेश से लोगों का आना-जाना लगा रहता है. नवरात्रि के खास मौके पर यहां के दर्शन का महत्व बढ़ जाता है. 

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पिंडी रूप में हैं मां मौजूद, सती माता का गिरा था वक्ष बना शक्तिपीठ

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था, तबसे यह सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. भक्तों की इस शक्तिपीठ से अटूट आस्था जुड़ी हुई है. यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां दर्शन मात्र से भक्तों के सारे दुखों का निवारण हो जाता है. माँ के इस पावन धाम में देवी तीन पिंडियों रूप में मौजूद हैं. गर्भगृह में मुख्य प्रतिष्ठित पिंडी बज्रेश्वरी माता की है,दूसरी माँ भद्रकाली और तीसरी सबसे छोटी पिंडी माता एकादशी की है.

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कई बार लूटा गया मन्दिर

बताया जाता है महाभारत काल में पांडवों ने इस मंदिर का उद्धार किया था. महमूद गजनवी ने कई बार इस मंदिर को लूटा भी था. 1905 में आए भूकम्प में मन्दिर का काफी भाग नष्ट हुआ था. बाद में पुराने ढांचे का ही इसे रूप दिया गया. ब्रजेश्वरी मंदिर में हिंदुओं और सिखों के अलावा मुस्लिम लोग भी आस्था के फूल चढ़ाते हैं. मंदिर में मौजूद तीन गुंबद तीन धर्मों के प्रतीक हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर को मारने के बाद मां के  शरीर में कुछ घाव हो गए थे. उन चोटों को दूर करने के लिए देवी मां ने अपने शरीर पर मक्खन का लेप लगाया था.

भैरव बाबा का भी है मन्दिर

जिस दिन मां ने यह मक्खन लगाया था, उस दिन पिंडी को मक्खन से ढका जाता है और सप्ताह भर उत्सव मनाया जाता है. यहां भैरव बाबा का मन्दिर भी है, भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले से आगाह कर देते हैं ऐसा कहा जाता है कोई विपदा या संकट आने वाला होता है तो भैरव बाबा की मूर्ति से आंसू गिरने लगते हैं. फिर इस आपदा को टालने के लिए पुजारी माता से प्रार्थना कर हवन कराते हैं.

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