Kalighat Kali Temple: 51 शक्तिपीठों में से एक कोलकाता में कालीघाट काली मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ, जानिए पौराणिक महत्व
History of Kali Shakti Peeth: शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुके हैं हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिनों का विशेष महत्व है, मां दुर्गा के यह 9 दिन विशेष आस्था, भक्ति और साधना के दिन है. कोलकाता स्थित कालीघाट काली मंदिर के दर्शन की विशेष मान्यता है,यह देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है. यहां देवी काली की प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है.यहाँ माता सती के दाई पैर की उंगलियां गिरी थी. तबसे यह शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.
हाईलाइट्स
- कोलकाता में कालीघाट काली मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ है, यहां दूर-दराज से भक्तो का लगता है तांता
- माता सती के जहां भी अंग गिरे थे, वहां आज है शक्तिपीठ
- कालीघाट काली मंदिर में माता सती के पैर की उंगलियां गिरी थी, बहुत ही सिद्ध शक्तिपीठ है
Special significance of Kalighat Kali Temple in Kolkata : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व प्रारम्भ हो चुका है, ऐसे में देवी माता के 51 शक्तिपीठ जो भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर देशों में भी है, माता सती के शरीर के जितने अंग जिन जगहों पर गिरे थे, वह शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गए. कोलकाता के कालीघाट काली मंदिर भी एक सिद्ध शक्तिपीठ है,जानिए इस शक्तिपीठ की मान्यता और पौराणिक महत्व के बारे में.
कालीघाट काली मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ
51 शक्तिपीठों में से एक सिद्ध शक्तिपीठ कोलकाता में है, जिसे कालीघाट देवी मन्दिर के नाम से जाना जाता है, यह शक्तिपीठ हुगली नदी किनारे स्थित है,
जब माता सती के मृत शरीर के अंग कई जगहों पर गिरे थे, उनमें से माता के दाएं पैर की उंगलियां, यहां आकर गिरी थीं, तबसे यह देवी मन्दिर शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा.
यहां वैसे तो बंगाल व कोलकाता में नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है, कालीघाट देवी मंदिर जिसे भारत का सबसे सिद्ध मन्दिर भी कहा जाता है, दूर दराज से भक्त यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां सच्चे मन से जो भक्त माता के दर्शन करता है उसकी मनोकामना माता जरूर पूर्ण करती हैं.
यहां प्रचंड रूप की प्रतिमा है मौजूद
बात की जाए कालीघाट मंदिर की तो यहां काली माता की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा मौजूद है. इस प्रतिमा में देखा जा सकता है कि माता काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे हुए हैं,इसके साथ ही नरमुंड की माला गले में पहने हुए है, उनके हाथ में कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में नरमुंड भी बंधे हुए हैं. उनकी जिह्वा बाहर निकली हुई है और उससे कुछ रक्त की बूंदे टपक रही हैं. यह जीभ स्वर्ण से बनी हुई है.
ऐसे पहुंचे दर्शन करने
कोलकाता के कालीघाट मंदिर दर्शन के लिए प्लान बना रहे हैं, हवाई मार्ग या ट्रेन के रास्ते आराम से पहुंचा जा सकता है. कालीघाट मंदिर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है. प्रसिद्ध हावड़ा जंक्शन, कालीघाट मंदिर से महज 10 किमी दूर है. कोलकाता आने के बाद मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.