Kaushambi Sheetla Mata Shaktipith: 'कड़ा' धाम शक्तिपीठ माँ शीतला देवी मन्दिर का जानिए पौराणिक महत्व

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के सिराथू में सिद्ध शक्तिपीठ है, यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है जिन्हें शीतला देवी माता के नाम से जाना जाता है. इस जगह को कड़ा धाम कहा जाता है, देवी माता का मन्दिर गंगा किनारे स्थित है. माता सती का हाथ इस जगह पर गिरा था, तभी से यह शक्तिपीठ बन गया, नवरात्रि के दिनों में लाखों की संख्या में कई राज्यों से भक्त यहाँ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्तों की शीतला माता मंदिर से अटूट और गहरी आस्था जुडी हुई है.
हाईलाइट्स
- यूपी के कौशाम्बी में है सिद्ध शक्तिपीठ, कड़ा धाम शीतला माता मंदिर
- गंगा किनारे स्थित है यह सिद्ध शक्तिपीठ , माता सती का गिरा था हाथ
- नवरात्रि में उमड़ता है भक्तों का सैलाब, जलहरी को भरने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर कृपा करती
Kada Dham Shaktipeeth in Kaushambi : देश भर में नवरात्रि की धूम मची हुई है. हमारे देश में देवी माता के 51 शक्तिपीठ है, कुछ देश से बाहर भी हैं. जिनकी अद्भुत मान्यता और विशेष महत्व है. माता के शक्तिपीठ देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी है. इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में भी है जो पतित पावनी मां गंगा नदी के किनारे स्थित है. चलिए इस सिद्ध शक्तिपीठ की मान्यता और पौराणिक महत्व को विस्तार से बताएंगे.
शीतला माता सिद्ध शक्तिपीठ के दर्शन का महत्व

कड़ा धाम के नाम से हुआ प्रसिद्ध, माता सती का गिरा था हाथ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सती का मृत शरीर जब भगवान शिव लेकर जा रहे थे, तभी विष्णु जी के सुदर्शन चक्र से माता के जो अंग अलग-अलग होकर जिस जगह पर गिरे थे, वह सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाने गए. उनमें से कौशांबी में एक सिद्ध शक्तिपीठ शीतला देवी भी है. यहां पर माता सती का हाथ गिरा था तब से यह शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा, जो स्थान कालांतर में करा था लेकिन बाद में अपभ्रंश होकर कड़ा नाम से प्रसिद्ध हो गया.इस जगह को कड़ा धाम कहा जाता है, इस शक्तिपीठ पर भक्तों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है. माता के दर्शन करने मात्र से ही सभी प्रकार के दुखों, रोगों का निवारण हो जाता है और सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है.
युधिष्ठिर ने किये थे दर्शन
माता के चरणों के समीप अद्भुत जलहरी, जानिए मान्यता
शीतला माता (Sheetala Kada Dham) के दरबार में नवरात्रि में यहां पर भक्तों का भारी हुजूम उमड़ता है, एक दिन पहले से ही यहां पर भक्त दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं. गंगा किनारे स्थित इस मन्दिर में भक्त पहले गंगा स्नान करते हैं फिर माता के दर्शन करते हैं. माता शीतला के चरणों के पास ही एक जलहरी भी है, ऐसा कहा जाता है कि यहां पर बिना अहंकार भाव लिए जल और दूध भरने से माता प्रसन्न होती है और भक्तों पर कृपा करती है ऐसा कहा जाता है कि अहंकार भाव से इस जलहरी को नहीं भरा जा सकता. इसलिए मन में भाव अच्छे और सकारात्मक होने चाहिए.
सदियों से मुंडन की चली आ रही परम्परा
नवरात्रि के अवसर पर यहां पर सदियों से मुंडन संस्कार की परंपरा चली आ रही है. इसके साथ ही नवविवाहित जोड़े भी यहां पर आकर माता के दर्शन करते हैं और अपने वैवाहिक जीवन के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं. मंदिर परिसर के आसपास प्रसाद भंडार की दुकानें सजी हुई रहती हैं, जहां भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, बताशे, माता की चुनरी, पुष्प माता को अर्पित करते हैं इसके साथ ही परिसर में कन्या भोज भी आयोजित किया जाता है.
यहाँ पशुओं का लगता है मेला
शीतला माता (Sheetala Kada Dham) की सवारी गर्दभ(गधा)है, ऐसा कहा जाता है कि उनकी सवारी गर्दभ को चना और हरी घास का भोग लगाना आवश्यक है. इससे माता प्रसन्न होती हैं, यहां पशुओ का मेला भी लगता है, दूर-दराज से लोग पशु लेकर आते हैं.