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Kanpur IIt News: कानपुर IIT को मिली बड़ी कामयाबी ! देश की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल का किया सफल परीक्षण

Kanpur IIt News: कानपुर IIT को मिली बड़ी कामयाबी ! देश की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल का किया सफल परीक्षण
कानपुर आईआईटी, Image Credit Original Source

कानपुर आईआईटी न्यूज़ इन हिंदी

कानपुर आईआईटी (Kanpur Iit) तकनीकी के मामले (Technical Matters) में बड़े से बड़े झंडे गाड़ता जा (Raising Flag रहा है. उनके नाम एक और उपलब्धि (Achieve) दर्ज हो गयी है. अबकी बार जिस तकनीकी पर सफलता पाई है वह कई मायनों के बेहद खास है. आईआईटी ने देश की पहली हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल टेस्ट (Hyper Velocity Expansion Tunnel Test) सुविधा की सफलतापूर्वक टेस्टिंग करते हुए हाइपरसोनिक टेस्टिंग वाले कुछ देशों की सूची में शामिल हो गया है.

कानपुर आईआईटी ने इस तकनीकी का किया सफल टेस्टिंग

कानपुर आईआईटी (Kanpur Iit) तकनीकी के मामले में बड़े-बड़े डेवलपमेंट (Developement) कर रहा है. आईआईटी ने जिस नई तकनीकी पर सफलता हासिल की है, वह भारत के आंतरिक और रक्षा संगठनों को मजबूत बनाने का प्रयास करेगा. जानिए यह नई तकनीकी क्या है जिसपर आईआईटी ने सफल टेस्टिंग कर ली है. इसका आगे कैसे प्रयोग किया जा सकेगा और इस तकनीकी का क्या नाम ईजाद किया गया है.

हाइपरसोनिक टेस्टिंग वाले देशों में भारत का भी नाम शामिल

कानपुर आईआईटी (Kanpur Iit) की यह नई तकनीक देश में सबसे बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है. इस तकनीकी के ईजाद होने के बाद आईआईटी का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है. दरअसल कानपुर आईआईटी ने हाइपर वेलोसिटी एक्सपेंशन टनल (Hypervelocity Expansion Tunnel) की सफलतापूर्वक टेस्टिंग (Successful Testing) कर ली है और उसे स्थापित भी कर दिया है. इस तकनीकी के ईजाद होने के बाद अब हाइपरसोनिक टेस्टिंग वाले देशों में भारत का भी नाम शामिल हो गया.

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एस2 तकनीकी कानपुर आईआईटी, Image Credit Original Source
भारत के आंतरिक और रक्षा संगठन होंगे मजबूत

इस तकनीकी के तहत हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों (Hypersonic Cruise Missaile) को सटीक निशाना लगाने के लिए तैयार किया जा सकेगा. यह अपनी क्षमताओं के साथ आंतरिक और रक्षा संगठनों को भी सशक्त बनाएगा. नई तकनीक परियोजना का नाम कानपुर आईआईटी के निदेशक ने S2 रखा है. कानपुर आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर गणेश ने बताया कि S2 भारत के आंतरिक और रक्षा संगठनों को मजबूत बनाने का कार्य करेगा. उन्होंने बताया कि इसे बनाने के लिए नई तकनीक और इंजीनियरिंग की आवश्यकता थी. आगे इस परीक्षण से इसरो और डीआरडीओ के मिशन को भी काफी मदद और सफलता मिलेगी.

क्या कहते हैं प्रोफेसर?

इस परीक्षण को लेकर आने वाले समय में बेहतर परिणाम आएंगे. S2 सुविधा वाहनों के वायुमंडलीय प्रवेश, स्क्रेमजेट उड़ानों और बैलिस्टिक मिसाइलों व क्षुद्र ग्रह के दौरान हाइपरसोनिक स्थितियों का अनुकरण करते हुए 3-10 किमी प्रति सेकेंड के बीच उड़ान गति उत्पन्न करने की क्षमता रखता है. आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग (Aerospace engineering Department) प्रमुख प्रो. जीएम कामथ ने बताया कि इस परीक्षण सुविधा से भविष्य में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल या राकेट लांचर व्हीकल को अधिक गति अवस्था में सटीक परिणाम देने के लिए तैयार किया जाना आसान होगा.

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