Fatehpur Shikha Tripathi: फतेहपुर के नलकूप ऑपरेटर की बेटी शिखा त्रिपाठी बनी वैज्ञानिक ! गरीबी नहीं रोक पाई हौसले की उड़ान
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) अमौली विकास खंड के कुलखेड़ा गांव की रहने वाली शिखा त्रिपाठी ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक बन जनपद का नाम रोशन किया है. बेहद साधारण परिवार में जन्मी शिखा के पिता नलकूप ऑपरेटर हैं.
फतेहपुर के नलकूप ऑपरेटर की बेटी शिखा बनी वैज्ञानिक (Fatehpur Shikha Tripathi)
यूपी (UP) के फतेहपुर (Fatehpur) अमौली विकास खंड के कुलखेड़ा गांव की शिखा त्रिपाठी ने डिफेंस मिनिस्ट्री के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक विश्लेषण समूह (SAG) में रिसर्च एसोसिएट का पद हासिल किया है. शनिवार को जॉइनिंग लेटर जैसे ही घर आया पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. पिता मनोज त्रिपाठी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. आस पास के लोगों को जानकारी हुई तो सभी बधाई देने घर पहुंचे लगे.
गरीबी भी नहीं रोक पाई शिखा को शिखर तक पहुंचने को
अमौली विकास खंड के छोटे से गांव कुलखेड़ा में जन्मी शिखा त्रिपाठी (Shikha Tripathi) के पिता नलकूप ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं. मां मधू त्रिपाठी एक गृहणी हैं. बचपन से ही पढ़ने में होशियार शिखा को उनके पिता ने खूब पढ़ाया काफी मुश्किल हालातों को उसके सामने आने नहीं. शिखा ने भी अपने पिता सर फर्क से ऊंचा करने की ठान रखी थी. उसने शून्य से शिखर तक का सफ़र अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित कर लिया.
गांव से शुरू की पढ़ाई, कानपुर काशी से हिमाचल पहुंचीं
शिखा त्रिपाठी ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा अमौली के गफूर एजुकेशन सेंटर से की दशवीं में 89 प्रतिशत अंक अर्जित करने के बाद उसने विकास विद्या मंदिर इंटर कॉलेज जहानाबाद से इंटरमीडिएट किया और 93.6 प्रतिशत अंक अर्जित किए.
पीसीएम ग्रुप की शिखा का अगला लक्ष्य कानपुर था, उसने पीपीएन डिग्री कॉलेज से मैथमेटिक्स से स्नातक करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया. स्नातक के पश्चात शिक्षा पहुंच गई बनारस और बीएचयू से प्रथम श्रेणी में एमएससी की डिग्री अर्जित की.
एमएससी के बाद उसने नेट और गेट की परीक्षा पास करते हुए आईआईटी हिमाचल में पीएचडी में इनरोल करा लिया. पीएचडी करते हुए उसने डीआरडीओ के लिए अप्लाई किया और उसमें उसका चयन हो गया.
भारत में फतेहपुर का नाम रोशन करना चाहती हैं शिखा
अमौली की शिखा त्रिपाठी पूरे देश में अपने जनपद और गांव का नाम रोशन करना चाहती हैं. शिखा लगातार रिसर्च करते हुए अपने अगले लक्ष्य तक पहुंचना चाहती हैं. उन्होंने कहा उनके लिए ये अभी पहला पड़ाव है. अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता पिता बाबा और परिवार के लोगों को दिया. उनका कहना है कि बिना इनके सहयोग के वो अपना लक्ष्य कभी अर्जित नहीं कर पाती