
Fatehpur Sadar News: फतेहपुर के जिला अस्पताल में ऑपरेशन के नाम उगाही ! 12 से नीचे बॉस नहीं मानेंगे
Fatehpur Medical College
यूपी (uttar pradesh) के फतेहपुर (fatehpur) में मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में ऑपरेशन के नाम पर मरीज से धन उगाही का वीडियो सोसल मीडिया में वायरल हो रहा है. जिला पुरुष अस्पताल के सीएमएस डॉ पीके सिंह ने कहा कमेटी गठित कर कार्रवाई की जाएगी.

Fatehpur Sadar News: उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के फतेहपुर जिले के मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला पुरुष अस्पताल का एक वीडियो सोसल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें मरीज के तीमारदार से ऑपरेशन के नाम पर धन उगाही की जा रही है. हड्डी के ऑपरेशन में पैसे लेने की बात जब सीएमएस डॉ पीके सिंह तक पहुंची तो उन्होंने कमेटी गठित कर कार्रवाई की बात कही है.
हड्डी के ऑपरेशन में सदर में धन उगाही
फतेहपुर (Fatehpur) के जिला पुरुष अस्पताल में हड्डी के ऑपरेशन के नाम पर मरीज के तीमारदार से पैसे लेने का वीडियो सोसल मीडिया में वायरल हो रहा है. वीडियो में सर्जन का एजेंट अपना नाम दिनेश तिवारी बता रहा है जो कि प्लास्टर रूप के अंदर दिखाई दे रहा है.
सीएमएस ने कहा कमेटी गठित कर होगी कड़ी कार्रवाई
जिला पुरुष अस्पताल के ऑपरेशन के नाम पर वायरल वीडियो को देखकर सीएमएस डॉ पीके सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के संज्ञान में है ये मामला हमने एचओडी पैथोलॉजी और एचओडी ईएनटी के डॉक्टरों की एक टीम बनाकर दो दिन में इसकी पूरी जांच कराकर जो लोग इसमें दोषी होंगे उनपर कड़ी कार्रवाई करते हुए दंड दिया जाएगा.
जब कूप में पड़ी हो भांग तो कौन होगा दोषी
जिला अस्पताल में ऑपरेशन के नाम पर वसूली का ये पहला मामला नहीं है. बिना पैसे के यहां किसी प्रकार का ऑपरेशन नहीं होता है. मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जिला अस्पताल में धन उगाही और भी तेज हो गई है. जानकारों की माने तो पूरे अस्पताल में डॉक्टरों के एजेंट लगे हुए हैं जो मरीजों और तीमारदारों से धन उगाही करता है और खुद का हिस्सा लगाते हुए डॉक्टरों को देता है. सूत्रों की माने तो हर एक ऑपरेशन में पूरे स्टॉप का हिस्सा तय होता है और सबका एक रेट फिक्स है.
जिला अस्पताल में कार्रवाई के नाम पर होती है खानापूर्ति
फतेहपुर के जिला अस्पताल पुरुष या महिला दोनों में एक नहीं कई बार वीडियो भी वायरल हुए और डॉक्टरों की शिकायत भी हुई लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है. किसी भी कार्रवाई को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है. दर्जनों कमेटियां गठित हुई लेकिन कोई भी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची इसलिए कहा जाता है कि जब कूप में भांग पड़ी हो कौन किस पर कार्रवाई करेगा.
