Advocate Amit Choudhary Story: यूपी के अमित चौधरी को जाना था आर्मी में पहुंच गया जेल ! पुलिस वाले का कत्ल, गैंगस्टर की यातनाएं, फिर खुद लड़ा अपना केस
एडवोकेट अमित चौधरी
यूपी के बागपत (Baghpat) में रहने वाले एक ऐसे निर्दोष युवा लड़के (Innocent Young Boy) की सच्ची कहानी (True Story) जो किसी फ़िल्म की कहानी से कम नहीं, जिसे सुनकर आप सभी की रूह कांप जाएगी. जिस पर एक पुलिस वाले की हत्या व गैंगस्टर का साथ होने का आरोप (Accused Of Constable Murder) लगाकर उसे जेल भेज दिया गय. 862 दिन यानी ढाई साल जेल काटने के बाद वह जमानत पर बाहर आया और फिर उसने वकील बनकर (Become Advocate)अपने केस की पैरवी करते हुए खुद को बेगुनाह साबित किया जिसके बाद कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी (Court Acuitted) कर दिया.
18 साल की उम्र में जेल, फिर वकील बनकर लड़ा अपना केस
उत्तर प्रदेश के बागपत (Baghpat) जिले में रहने वाला एक होनहार नौजवान करीब 12 वर्ष पहले एक पुलिस कांस्टेबल की हत्या के आरोप (Accused Of Cosntable Murder) में जेल (Jail) चला गया था. तब वह सिर्फ 18 साल का था. माथे पर लगे इस कलंक को उसने जेल की चहारदिवारी में रहकर 2 साल 4 महीने और 16 दिन कैसे बिताए ये वही जान सकता है.
जमानत पर बाहर आया खुद के साथ हुए इस अन्याय का बदला लेने के लिए उसने एलएलबी व एलएलएम की पढ़ाई की और वकील बना और खुद के माथे पर लगे हत्या के इस कलंक को उसने झूठा साबित कर दिखाया. आखिरकार 12 साल के लंबे इंतजार के बाद कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया. जानिए कौन हैं ये युवा शख्स जिसने कम उम्र में इतना संघर्ष करते हुए अपनी लड़ाई खुद लड़ी. आज वह ऐसे हज़ारो-लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.
होनहार युवा अमित चौधरी की भावुक कर देने वाली कहानी
उत्तर प्रदेश के बागपत (Baghpat) जिले के किरठल गांव में रहने वाला अमित चौधरी (Amit Chaudhary) नाम का नौजवान शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज तर्रार था. बचपन से ही उसकी इच्छा थी कि वह बड़ा होकर आर्मी (Army) में जाना चाहता है इसलिए वह दिन-रात केवल पढ़ाई पर ही ध्यान दिया करता था उसकी एक बहन भी थी, जिसकी शादी शामली (Shamli) जिले में हुई थी अभी तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था गांव में वह अपने बूढ़े मां-बाप के साथ रहता था. शिक्षा के प्रति उसकी लगन को देखकर गांव वाले भी उसकी सरहाना किया करते थे, लेकिन बीए सेकंड ईयर के इस छात्र के साथ कुछ ऐसा होने वाला था जिसकी उसने कभी भी कल्पना (Imagine) नहीं की थी एक रात हुई बड़ी घटना उसकी जिंदगी बदल दी.
12 अक्टूबर 2011 को बदल गयी अमित की जिंदगी
अमित की बहन उसे अपने ससुराल बुलाया करती थी, लेकिन वह आर्मी में जाने के सपने को लेकर इतना डेडीकेटेड था कि उसे समय ही नही मिलता था, लेकिन एक दिन यानी 12 अक्टूबर 2011 को वह अपनी बहन के ससुराल इस शर्त पर पहुँचा की रात भर रुककर सुबह वापस चला आऊंगा. फिलहाल रात में वह अपनी बहन के ससुराल शामली पहुँचा. उसी दिन देर रात मस्तगढ़ गांव में पुलिस और बदमाशो के बीच मुठभेड़ हो गयी. यह बदमाश गैंगस्टर सुमित कैल था जिसपर एक लाख का इनाम था. इस खूनी संघर्ष में पुलिस का एक कांस्टेबल मारा गया जबकि दूसरा बुरी तरह से घायल हो गया.
हत्या के आरोप में अमित को भी उठाया
खैर रात ज्यादा हो चुकी थी. अगली सुबह यानी 13 अक्टूबर को अमित अपने गांव किरठल के लिए वापस चल पड़ा उधर पुलिस भी रात में हुई मुठभेड़ के सिलसिले में गांव वालों से पूछताछ करने पहुँची कि तभी किसी ने बताया कि, मुठभेड़ से पहले गांव में एक लड़का आया था और सुबह वापस भी चला गया पुलिस पूछताछ करती हुई उसकी बहन के घर पहुँची तो उसने बताया कि उसका भाई आया था अपने गांव वापस भी लौट गया लेकिन पुलिस उस नौजवान का पता लगाते हुए उसके अपने गांव किरठल पहुँच गयी उस समय तो वहां पर अमित नहीं मिला लेकिन अगले ही दिन जब वह पुलिस से मिलने पहुंचा तो पुलिस ने उसे कस्टडी में लेकर उन 17 आरोपियों में शामिल कर लिया जो इस घटना के आरोपी थे.
पुलिस कस्टडी के दौरान जानवरों जैसा किया बर्ताव
पुलिस ने उसे कस्टडी में तो ले लिया फिर उसके साथ थर्ड डिग्री दिखाते हुए काफी टॉर्चर किया. महीनों पुलिस वाले उसके साथ मारपीट करते रहे अमित ने अपने बयान में बताया कि कस्टडी के दौरान जो भी पुलिसकर्मी आता है उसे बड़े बेरहमी से मारा करता इतनी मार खाने की वजह से कई बार वह बेहोश भी हो जाता था. पूरे शरीर उसका जख्मों से भरा रहता था. लेकिन पुलिस वालों का दिल बिल्कुल भी नहीं पसीजता था. केवल न्यायालय में पेश करने के लिये पुलिसकर्मी चेहरे पर नुकसान नहीं पहुंचाते थे.
18 साल थी अमित की उम्र 862 दिन रहा जेल
जिस वक्त यह घटना हुई अमित केवल 18 साल के थे. बीए सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे थे. झूठी हत्या के आरोप का कलंक उनके माथे पर लग गया. जिसके बाद ढाई साल उन्हें मुजफ्फरनगर जेल में गुजारनी पड़ी. इस बीच ऐसे मोड़ भी आये जब अपनों ने उससे मुंह मोड़ लिया. क्योंकि उसके ऊपर मर्डर का और गैंगस्टर का दाग लगा हुआ था कुछ लोग थे भी जिन्होंने उसका हौसला बढ़ाया. 862 दिन जेल में रहने के बाद वह जब जमानत पर बाहर आये तो उनके अपनो ने ही मुंह फेर लिया. अमित को लगने लगा कि बाहर की जिंदगी तो काटने को दौड़ रही है.
हार नहीं मानी और सड़कों तक सँघर्ष के बाद चुना न्याय का रास्ता
खैर उसने हार नहीं मानी और वह गरुग्राम जाकर कैलेंडर बेचने लगा. फिर एक वकील के यहां काम करने लगे. उस दरमियां उसका कई लोगों ने उसका साथ दिया और उसका हौसला बढ़ाया. किसी तरह 2015 में ग्रेजुएशन किया. माथे के कलंक को हटाना था अमित के मन में अपने को निर्दोष करने का विश्वस था. फिर चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से एलएलबी व एलएलएम की पढ़ाई की. अब आप सोचिए अमित हत्या के मामले में आरोपी था, माथे पर लगे इस कलंक को हटाने के लिए अपने केस की पैरवी उसने खुद वकील बनकर की. इस हत्याकांड से जुड़े तमाम साक्ष्य उसने एकत्रित करना शुरू किया.
आईओ वकील की ड्रेस में अमित को देख रह गया दंग
फिर अमित जब मुजफ्फरनगर कोर्ट में वकील के वेश में कोर्ट पहुंचा तो बताते हैं अमित वाले मामले में आईओ भी कोर्ट पहुंचा था, आइओ ने उससे पूछा आप किसका केस लड़ रहे हैं. पहले तो अमित ने सोचा कि इन्हें कुछ न बताएं लेकिन कुछ देर बाद ही अमित ने आईओ को बताया शायद आप मुझे पहचाने नहीं मैं वही अमित चौधरी हूँ जिसे झूठे हत्या का आरोप में आपने सलाखों में डालकर उसका भविष्य बर्बाद किया. यह बात सुन आईओ हक्का बक्का रह गया.
सितम्बर 2023 को अमित चौधरी को कोर्ट ने कर दिया बरी
खैर जिरह शुरू हुई तो अमित ने वकील बनकर खुद अपने केस की पैरवी की. उसने जज को पूरा वाक्यां बताया. उधर आईओ लगातार उसपर हत्या व गैंगस्टर के साथी होने का आरोप लगा रहा था. वो कहते हैं कि ईश्वर पर विश्वास और जब हम सही हैं तो हमारी ईश्वर भी सुनता है. सितंबर 2023 में उन सभी आरोपितों को कोर्ट लाया गया. अमित भी पेशे के सम्मान करते हुए कटघरे में खड़ा हुआ. उसने इतने साक्ष्य जज के सामने रख दिये कि आईओ जवाब भी न दे पाए. अमित ने कहा जज साहब मेरी हिस्ट्री की जानकारी करवा लीजिए मेरे ऊपर कभी कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड का कलंक लगा हो या किसी थाने में मुकदमा दर्ज हो.
वहीं तमाम साक्ष्यों के आधार पर जज ने पूरा कैसे को स्टडी करते हुए आईओ को फटकार लगाई और कहा कि आप जानते हैं कि जो धारा लगाई गई है आप किस तरीके से एक निर्दोष को फांसी की सजा दिलवा सकते थे. फिलहाल जज ने अमित चौधरी को बाईज्जत बरी कर दिया. अमित चौधरी की यह मार्मिक और दर्द भरी कहानी उन युवाओं को प्रेरणा देती है जो कहीं ना कहीं निराशा रहते हैं और इसी जुल्म का शिकार हैं, अमित ऐसे लोगों के लिए लड़ना चाहते हैं जो गलत मुकदमों में फंसकर न्याय की आस लगाए रहते हैं.