Kanpur Aruna Kori News : निकाय चुनाव से दो दिन पहले इस कद्दावर नेता ने बीजेपी का थामा दामन, जानिए आप भी
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 01 May 2023 10:50 AM
- Updated 03 Jun 2023 07:44 PM
यूपी निकाय चुनाव 2023 का मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होता जा रहा है, जहां राजनीतिक पार्टियों में उठापटक का सिलसिला जारी है , समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रही अरुणा कोरी ने भाजपा का दामन थाम लिया है जहां इस निकाय चुनाव में भाजपा को और मजबूती मिल सकती है.
हाइलाइट्स
सपा सरकार में पूर्व मंत्री रही अरुणा कोरी हुई बीजेपी में शामिल
कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में दलित वोट बैंक पर अच्छी है पकड़
डिप्टी सीएम पाठक ने दिलाई थी सदस्यता
Sapa Former minister aruna kori joined bjp : उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के पहले चरण के चुनाव के महज़ दो दिन बचे है जिसके बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं ,जहां अब सपा, कांग्रेस और रालोद पार्टी के पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने लगे हैं, उन्हीं में से एक समाजवादी पार्टी का एक मजबूत चेहरा जो तत्कालीन सरकार में पूर्व मंत्री भी रहीं अरुणा कोरी जिन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर अन्य पार्टियों की मुश्किलें बढ़ा दी है ,कानपुर के आसपास और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पहले से ही अच्छी पकड़ है जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है.
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दिलाई सदस्यता
आपको बताते चलें कि रविवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की उपस्थिति में सपा सरकार में पूर्व मंत्री रही अरुणा कोरी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है जहां वह पार्टी को मजबूत बनाने का कार्य कराएंगी, हालांकि इस तरह से अरुणा के भाजपा में शामिल होने का इशारा कहीं न कही 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भी है क्योंकि दलित चेहरा होने के नाते उनकी पकड़ काफी मजबूत है. अरुणा कोरी को शामिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी दलित वोट बैंक को भी मजबूत करने का प्रयास करेगी. जिससे सीधा फायदा निकाय चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है.
कद्दावर नेता के रूप में होती है अरुणा की गिनती
अरुणा गोरी की अगर बात की जाए तो उन्हें कद्दावर नेता के रूप में जाना जाता है, अरुणा कोरी पूर्व में सपा सरकार में मंत्री रही है, कानपुर के श्याम नगर में रहने वाली अरुणा कोरी को समाजवादी पार्टी ने उन्हें एक दलित चेहरे के रूप में शामिल किया जहां 1998 में घाटमपुर लोकसभा से चुनाव भी लड़ा लेकिन वह कुछ वोटों से बसपा से हार गई थी, फिर उन्हें 2002 के विधानसभा चुनाव में भोगनीपुर सीट से लड़ाया गया जहां रिकार्ड मतों से जीती, वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव से बिल्हौर विधानसभा से लड़ीं जहां जीती भी और मंत्री भी बनी. अरुणा मुलायम सिंह यादव और शिवपाल की करीबी मानी जाती थी, जिसमें वह जीतकर मंत्री बनी वर्ष 2017 में देहात के रसूलाबाद से चुनाव लड़ी थी जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने सपा का साथ छोड़ शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रसपा को ज्वाइन किया था, लेकिन इस निकाय चुनाव में कहीं ना कहीं पार्टियों से लोग नाखुश दिखाई दे रहे हैं और पार्टियां छोड़ दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर रहे हैं कुछ इसी तरह अरुणा कोरी ने भी प्रसपा का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन पकड़ लिया.
अरुणा कोरी कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों से भलीभांति वाकिफ है और खासतौर पर कानपुर के बिल्हौर ,घाटमपुर और भोगनीपुर क्षेत्र में दलित वोट पर उनकी अच्छी पकड़ है जिससे बीजेपी को निकाय चुनाव में फायदा हो सकता है उनके भाजपा में शामिल हो जाने से अन्य पार्टियों में भी हलचले बढ़ गयी है.
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